Bareilly: सिटी में 'सुंदरता' का 'काला कारोबार' धड़ल्ले से चल रहा है. ब्रांडेड कंपनियों के ब्यूटी प्रोडक्ट्स का डुप्लीकेट वर्जन बेहद कम कीमत में आपको लुभाने के लिए मार्केट में मौजूद हैं. ऐसे में अब आप भी जरा अलर्ट हो जाइए क्योंकि ये 'नकली सुंदरता' आपकी स्किन का ग्लो खराब कर सकती है. आई नेक्स्ट रिपोर्टर निधि गुप्ता की रिपोर्ट.


Beauty ka ‘black market’


अब तक आपने मार्केट में फूड आइटम्स में सिंथेटिक केमिकल्स तो सुने होंगे, पर अब यह फर्जीवाड़ा आपकी खूबसूरती पर ग्रहण लगाने लगा है। खास बात यह है कि इस फर्जीवाड़े को पहचानना भी बच्चों का खेल नहीं है। सिटी के मार्के ट में इसकी रिटेल और होल सेल मार्केट में अच्छी-खासी खपत हो रही है। मार्केट एक्सपट्र्स की मानें तो बरेली में बाजार में इस तरह के प्रॉडक्ट्स का मंथली कारोबार 70-80 लाख का है। इन्हें खरीदने वाले केवल सिटी में ही नहीं वरन आस-पास की तहसीलों से भी आते हैं। पर यह सब सिटी में होने के बावजूद एफएसडीए की टीम शायद इससे बेखबर ही है। वास्तव में यह टीम केवल फूड अडल्ट्रेशन को चेक करने तक ही सीमित नजर आती है। आई नेक्स्ट ने मार्केट में जाकर पड़ताल की तो कॉस्मेटिक की डुप्लीकेसी सामने तो आई पर इसे आईडेंटिफाइ करना जरा मुश्किल ही है।फ्रेगरेंस से पहचानना आसान

अगर आप किसी प्रोडक्ट के रेग्युलर यूजर हैं, तो उसकी फ्रेगरेंस से भी काफी फैमिलियर हो जाते हैं। ऐसे में प्रोडक्ट खरीदने से पहले हो सके तो उसकी फ्रेगरेंस जरूर देखें। इसके अलावा प्रोडक्ट की मैनुफै क्चरिंग डेट, एड्रेस, एक्सपायरी डेट जरूर देखें। ओरिजनल प्रोडक्ट में जहां यह कंप्यूटर प्रिंटिंग में होती है, वहीं डुप्लीकेट में यह स्टांप से लगी दिखाई देती है। यह कई बार प्रोडक्ट्स की डुप्लीकेसी पहचानने में हेल्प करते हैं। डुप्लीकेट प्रोडक्ट्स में बारकोड भी कई बार मिसिंग होता है। डुप्लीकेट प्रोडक्ट में एमआरपी आम तौर पर प्रोडक्ट पर नहीं लिखी जाती है। कंपनी बनाती नहीं, यहां मिलता हैमार्केट में कुछ ऐसे प्रोडक्ट्स एग्जिस्ट कर रहे हैं, जिन्हें कॉस्मेटिक कंपनी मैनुफैक्चर ही नहीं करती हैं। इनमें लैक्मे, लॉरियल की फेशियल किट्स ऑन डिमांड मिलती हैं। खास बात यह है कि कंपनी तो फेशियल किट बनाती ही नहीं है। इन किट्स का सबसे ज्यादा इस्तेमाल गली-मोहल्लों में खुले ब्यूटी पार्लर्स सबसे ज्यादा करते हैं। डुप्लीकेट क्रीम में 100 रुपए किलो में मिलने वाले मॉश्चराइजर को ही एसेंस डालकर तकरीबन सेम पैकिंग में सेल किया जाता है।ये भी मौजूद हैं मार्केट मेंमार्केट में शहनाज हुसैन की फेशियल किट, लैक्मे का फाउंडेशन, डेनिम का डियोड्रेंट, एक्स के डियोड्रेंट, निविया की क्रीम, फेयर एंड लवली, गार्नियर, लॉरियल के प्रोडक्ट्स, वीएलसीसी की किट का नकली वर्जन प्रमुख रूप से सेल हो रहा है। इनकी डिमांड सबसे ज्यादा होने की वजह से खपत भी ज्यादा होती है।डुप्लीकेट पुरानी पैकिंग में

ओले की नैचुरल व्हाइट क्रीम की पैकिंग हाल ही में चेंज की गई है पर मार्केट में इसकी डुप्लीकेट क्रीम अभी भी पुरानी पैकिंग में ही आ रही है। हालांकि, शॉप ओनर्स का कहना है कि जल्द ही यह भी नई पैकिंग में मार्केट में होगी। खास बात यह है कि डुप्लीकेट प्रोडक्ट में मैनुफैक्चरिंग एड्रेस लिखा ही नहीं है, वहीं इसे स्मेल करने पर यह साफ हो जाता है कि कौन सी क्रीम ओरिजनल है। ये हैं प्रमुख बाजारसिटी में डुप्लीकेट कॉस्मेटिक के होल सेल की मार्केट कुतुबखाना, नबावान गली, कासिफ प्लाजा में है। वहीं रिटेल में यह सामान कुतुबखाना की दुकानों के अलावा सैलानी, सुभाषनगर, जगतपुर के मार्केट में धड़ल्ले से बिक रहा है।कहां बिकता है मालआम तौर पर यह डुप्लीकेट माल सिटी के ऑथराइज्ड स्टोर्स पर नहीं मिलता है। वहीं दुकानों पर भी इसकी संभावना काफी कम रहती है। सिटी के अंदर घनी आबादी वाले इलाकों में बनी दुकानों में इसकी खपत ज्यादा होती है। वहीं होलसेल मार्केट से यह माल पूरे डिस्ट्रिक्ट की मार्केट में सप्लाई होता है। तस्करी का माल भी बाजार में
डुप्लीकेसी के साथ मार्केट में तस्करी का माल भी धड़ल्ले से बिक रहा है। मार्केट सर्वे करने पर यह सामने आया कि बाजार में मेड इन इंडिया के अलावा 'मेड इन नेपाल' के प्रोडक्ट्स भी मौजूद हैं। इन्हें सस्ते दामों में मार्केट में सेल किया जा रहा है। 'फेयर एंड लवली' खरीदा तो उसमें 'मेड इन इंडिया' के प्रोडक्ट में हिंदुस्तान यूनीलीवर का लोगो है। वहीं इसकी प्राइस 44 रुपए प्रिंटेड है। यह प्रोडक्ट मार्केट में मिनिमम 40 रुपए देकर खरीदा जा सकता है पर 'मेड इन नेपाल' के प्रोडक्ट में लोगो अधूरा और इसकी प्रिंटेड प्राइस 52 रुपए है, पर इसे 30 रुपए में खरीदा जा सकता है।पहचानो तो जानेनॉर्मली समझना मुश्किल है कि कौन असली है और कौन नकली। गार्नियर लाइट क्रीम का प्राइस 68 रुपए है, वहीं इसकी डुप्लीकेट क्रीम केवल 30 में मिल रही है, लेकिन प्रिंट रेट 72 रुपए है। इसमें मैनुफक्चर डिटेल में लॉरियल का नाम भी गायब है। यही नहीं इसकी मैनुफैक्चरिंग डेट भी 2016 की है।150 गुना तक है मुनाफा
मार्केट में मिलने वाले डुप्लीकेट माल में तकरीबन 150 गुने का मुनाफा होता है। वहीं इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि इन दुकानों पर आने वाले कस्टमर्स सस्ते दामों पर ब्रांडेड कॉस्मेटिक मिलने से खुश रहते हैं। उन्हें ये लगता है कि ब्रांडेड आइटम पर बार्गेनिंग हो गई। पर वे यह नहीं जानते कि सस्ती मिलने वाली यह कॉस्मेटिक उनकी स्किन को ही डैमेज कर सकती है। खास बात यह है कि इस कॉस्मेटिक पर अच्छी-खासी बार्गेनिंग के बाद भी शॉपकीपर को अच्छा-खासा मुनाफा हो जाता है।धोखा खा जाएंगी आंखेंमार्केट में कुछ ऐसे प्रोडक्ट्स हैं जिनकी पैकिंग ब्रांडेड प्रोडक्ट जैसी ही है बस नाम में थोड़ा सा डिफरेंस है। जैसे 'फेयर एंड लवलीÓ के मिलते-जुलते नाम के कई ब्यूटी प्रोडक्ट्स बाजार में मौजूद हैं। 'लैक्मे' ब्रांड के नाम जैसे भी मार्केट में कई ब्यूटी प्रोडक्ट्स हैं। इनके प्राइस में अच्छा-खासा अंतर है। मेरे संज्ञान में अब तक ऐसा कुछ भी नहीं है। अगर मार्केट में किसी प्रॉडक्ट की डुप्लीकेसी या स्मगलिंग हो रही है, तो एफएसडीए की टीम अभियान चलाकर मार्केट में जाकर इसकी सैंपलिंग करेगी। इसके लिए मैं फूड इंस्पेक्टर्स को निर्देश दूंगा।-सुनील कुमार, चीफ फूड सेफ्टी ऑफीसरअगर क्रीम डुप्लीकेट है, तो वह स्किन को फेयर करने की बजाय डार्क कर देगी। इसकी पहचान भी आसान नहीं होती है। मगर यूज के साथ अगर स्किन पर इरिटेशन महसूस हो तो क्रीम पर लिखे हुए कंटेंट चेक करने चाहिए। हालांकि ऐसे प्रोडक्ट्स से बचना चाहिए। कोशिश करें कि किसी स्टैंडर्ड शॉप से ही कॉस्मेटिक खरीदें।  -डॉ। वीके चावला, डर्मिटोलॉजिस्ट

Posted By: Inextlive