क्या है नेशनल हेराल्ड विवाद, जानिए...
अपने हित के लिए इस्तेमालदिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी को समन जारी किया है. इसके साथ ही दोनों को 7 अगस्त को कोर्ट में पेश होने को कहा गया है. यह समन नैशनल हेरल्ड केस में जारीद किया गया है. यह केस बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दायर किया है. स्वामी ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने कांग्रेस के धन को निजी प्रापर्टी में लगाकर अपने हित के लिए इस्तेमाल किया गया है. उनका आरोप है कि हेरल्ड हाउस के नाम से जो 1600 करोड़ रुपये की संपत्ति है, उसका इस्तेमाल निजी फायदे के लिए किया जा रहा है. यह संपत्ति एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड की है.नेशनल हेराल्ड और कांग्रेस
नेशनल हेराल्ड की स्थाापना देश के पहले पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी. 8 सितंबर, 1938 में लखनउ में नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना की गई थी. अखबार के पहले संपादक भी देश के पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू ही थे. प्रधानमंत्री बनने तक नेहरू नेशनल हेराल्ड बोर्ड के चेयरमैन रहे. वहीं आजादी की लड़ाई में इस अखबार ने अहम भूमिका अदा की. इसके बाद हेराल्ड ने बाद में हिंदी नवजीवन और उर्दू कौमी आवाज अखबार भी निकाला. नखराब आर्थिक हालात के चलते 2008 में अखबार का प्रकाशन बंद हो गया और 2008 में अखबार का मालिकाना हक एसोसिएटेड जर्नल्स के पास चला गया. नेशनल हेराल्ड को चलाने वाली कंपनी एसोसिएट जर्नल्स ने कांग्रेस पार्टी से बिना ब्याज के 90 करोड़ का कर्ज लिया वहीं कांग्रेस ने कर्ज देने का मकसद कंपनी के कर्मचारियों को बेरोजगार होने से बचाना बताया. करोडो़ रुपये खर्च होने के बाद भी नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन इसके दोबारा कभी शुरू नहीं हुआ. 26 अप्रैल 2012 को यंग इंडिया कंपनी ने एसोसिएटेड जर्नल्स का मालिकाना हासिल कर लिया. जिसमें यंग इंडिया कंपनी में 76 परसेंट शेयर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के हैं. बाकी शेयर सैम पित्रोदा, सुमन दुबे, मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज के पास हैं. यंग इंडिया ने हेराल्ड की 1600 करोड़ की परिसंपत्तियां महज 50 लाख में हासिल कीं.