नेताजी सुभाषचंद्र बोस केंद्रीय जेल में गुरुवार को सिहोर जिले के ग्राम इच्छावार निवासी मगनलाल आदिवासी को फांसी दी जानी थी जो की टल गई है. आरोपी पिता को गुरुवार की सुबह फांसी दी जानी थी लेकिन फांसी बुधवार देर रात टाल दी गई. नाटकीय घटनाक्रम में पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल विवेक तन्खा ने शाम को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पी. सदाशिवम के यहां अर्जी लगाई. चीफ जस्टिस ने बंगले पर ही मामले की सुनवाई की और वहीं से देर रात फांसी पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश जारी कर दिया. मगनलाल को गुरुवार सुबह फांसी दी जानी थी.


जल्लाद अहमद पहुंच चुका था शहर मेंमगन को यह सजा अपनी ही पांच मासूम बेटियों का बेरहमी से कत्ल करने के आरोप में दी जा रही थी. मगन को फांसी देने के लिए लखनऊ का जल्लाद अहमद शहर भी पहुंच चुका था. अहमद वही शख्स है, जिसने आतंकी अजमल कसाब को फांसी पर लटकाया था. मगनलाल जबलपुर सेंट्रल जेल में बने तख्ते पर लटकने वाला 235वां कैदी होता. बुधवार को जेल प्रशासन ने मगनलाल के पुतले रामसिंह को फांसी देकर रिहर्सल भी कर ली थी.राष्ट्रपति ने खारिज कर दी दया याचिका
23 जुलाई, 2013 को राष्ट्रपति द्वारा मगन की दया याचिका खारिज कर दी थी. जेल प्रशासन ने फांसी देने की तैयारियां पूरी कर ली थी. बुधवार को मगन का मेडिकल परीक्षण कराकर उसे सुरक्षित वार्ड में रखा गया था. योजना के मुताबिक, मगनलाल को गुरुवार को नींद से जगाया जाता. दैनिक क्रियाओं के बाद उसे नहलाकर नए वस्त्र पहनाए जाते. फिर गीता का पाठ सुनाया जाता. इसके बाद मगन को फांसी के तख्ते पर ले जाकर जेलर उसे बेटियों को मारने से लेकर फांसी की सजा सुनाए जाने तक की दास्तान चार्जशीट पढ़कर सुनाते. इसके बाद उसे फंदे पर लटका दिया जाता.दो पत्नियों से संपत्ति विवाद


मगनलाल ने अपनी दो पत्नियों से संपत्ति को लेकर हुए विवाद के बाद 11 जून, 2010 को शराब के नशे में दो साल से छह साल तक की उम्र की अपनी पांच बेटियों को कुल्हाड़ी से काट डाला था. बेटियों को मारने के बाद मगन ने खुद भी फांसी लगाने का प्रयास किया था, लेकिन गांव वालों ने उसे पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया था. मगन को सिहोर डिस्ट्रिक्ट सेशन जज ने फांसी की सजा सुनाई थी. मगन की माफी याचिका एमपी हाई कोर्ट जबलपुर के बाद सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली ने भी खारिज कर दी थी.

Posted By: Satyendra Kumar Singh