जम्मू-कश्मीर: बाढ़ के बाद अब महामारी का खतरा!
अब सरकार का ध्यान दवाओं पर
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अब उनका ध्यान दवाओं और क्लोरीन जैसी पानी को शुद्ध करने की दवाओं पर है. क्लोरीन के लाखों टैबलेट वितरित किए जा रहे हैं. उन्होंने नगर निकायों से कहा है कि साफ सफाई व्यवस्था को सक्रिय किया जाए. उन्होंने बताया कि उनकी मुख्य चिंता बचाव और भोजन की व्यवस्था को लेकर है. बीमारियों और महामारी की रोकथाम उनकी प्राथमिकता पर है. उमर ने कहा कि राज्य में 1.5 लाख लोग अब भी फंसे हुए हैं. अधिकारियों ने बताया कि राज्य के बाढ़ग्रस्त इलाकों से अब तक 1,42,000 लोगों को बचाया गया है, लेकिन अब भी हजारों लोग फंसे हुए हैं.
लाए जा चुके हैं वाटर फिल्ट्रेशन संयंत्र
जम्मू में एक रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि जलजनित बीमारियों के प्रकोप की आशंकाएं बढ़ने के साथ जल शुद्ध करने वाली गोलियां और 1.2 लाख बोतल पानी प्रतिदिन फिल्टर करने की क्षमता वाले छह वाटर फिल्ट्रेशन संयंत्र पहले ही श्रीनगर लाए जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि विशाखापत्तनम से सक्शन पंप और दूसरे इंजीनियरिंग उपकरण पहले ही राहत कार्यों के लिए बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचा दिए गए हैं. साथ ही दिल्ली से भी 12 सीवेज पम्प घाटी के लिए लाए जा रहे हैं.
विशेष पुनर्वास पैकेज की घोषणा का अनुरोध
अधिकारियों ने जम्मू-कश्मीर में पिछले 109 सालों में आई सबसे भीषण बाढ़ से हुई तबाही की भयावहता का आंकलन किया और राज्य के मंत्रियों का एक प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिला और उनसे जल्द से जल्द राज्य में हालात सामान्य करने के लिए एक उदार एवं व्यवहारिक वित्तीय एवं विशेष पुनर्वास पैकेज की घोषणा करने का अनुरोध किया. उधर, वित्त मंत्री अब्दुल रहीम राठेर ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन सौंपते हुए राज्य की मदद के लिए कई मांगें रखीं. ज्ञापन में कहा गया कि जीवन और संपत्ति को पहुंचे नुकसान के पैमाने एवं भयावहता को हर लिहाज से एक राष्ट्रीय आपदा की श्रेणी में रखा जा सकता है.
सर्वदलीय बैठक में प्रस्ताव पारित
बाढ़ प्रभावित जम्मू-कश्मीर में जीवन और आजीविका को फिर से पटरी पर लाने का वादा करते हुए राजनीतिक दलों ने आज एक स्वर में राज्य और उससे बाहर के लोगों एवं संगठनों से हरसंभव तरीके से प्रभावित लोगों की मदद करने की अपील की. बाढ़ के संकट से निपटने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया. प्रस्ताव में प्रभावित लोगों के साथ पूरी एकजुटता दिखाई गई और जीवन, आजीविका, निजी संम्पत्तियों और सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण का संकल्प लिया गया. पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती, कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज और भाजपा के जुगल किशोर बैठक में मौजूद नेताओं में शामिल थे. प्रस्ताव में राजनीतिक दलों ने राज्य और उससे बाहर के लोगों एवं संगठनों से राज्य के लोगों की हरसंभव मदद के लिए आगे आने की अपील की.
जलस्तर कम लेकिन खतरे के निशान से अब भी ऊपर
उमर ने बताया कि मध्य कश्मीर में जलस्तर कम हो रहा है, लेकिन वह अब भी खतरे के निशान से ऊपर है और सरकार इसके खतरे के निशान से नीचे जाने का इंतजार कर रही है ताकि झेलम नदी के किनारों से कटाव को रोका जा सके. उन्होंने कहा कि उत्तर कश्मीर में जलस्तर बढ़ रहा है जो चिंता का विषय है और उम्मीद जताई कि यह उतना बुरा नहीं होगा जितना घाटी के दूसरे हिस्सों में है. मुख्यमंत्री के शब्दों में राज्य सरकार के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार जम्मू में 129 लोग मारे गए हैं जबकि कश्मीर घाटी में मतकों की संख्या 30-35 है.
लाए जा रहे हैं संचार उपकरण भी
रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि दूरसंचार विभाग, सेना, बीएसएनएल और कुछ निजी कंपनियों के संचार उपकरण भी लाए जा रहे हैं ताकि संचार नेटवर्क को बहाल किया जा सके. इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार जम्मू-कश्मीर के बाढ़ प्रभावित इलाकों में तत्काल राहत के लिए पेयजल की थैलियां भेज रही है. वहीं ममता ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि भीषण बाढ़ की वजह से कश्मीर के बहुत सारे भाई-बहन अत्यंत परेशानी में हैं. कश्मीर में अलग अलग जगहों के बहुत सारे पर्यटक भी फंसे हुए हैं. उनके राज्य के भी कई पर्यटक वहां फंसे हैं. संकट की इस घड़ी में हम हर किसी से सहयोग की अपेक्षा करते हैं.