मार्कंडेय काटजू ने हमारी ज्युडुशियरी के बारे में एक सनसनीखेज खुलासा किया है. काटजू के मुताबिक मननोहन सरकार ने एक करप्ट जज को प्रमोट कर मद्रास हाई कोर्ट में एडीशनल जज बनाया. यह खबर टाइम्स ऑफ इंडिया ने दी है.


चीफ जस्टिस ने कोई एक्शन नहीं लियाकाटजू ने मनमोहन सिंह और उनकी सरकार पर भी भ्रष्ट जज को बचाने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के तीन चीफ जस्टिस पर भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं. काटजू ने कहा कि मनमोहन सिंह ने अपनी सरकार बचाने के लिए एक भ्रष्ट शख्स को मद्रास हाई कोर्ट का एडिशनल जज बने रहने दिया, वहीं चीफ जस्टिस आरसी लहोटी ने इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई और सरकार की बात को मान लिया. मार्कंडे काटजू ने चीफ जस्टिस वाईके सबरवाल और केजी बालाकृष्णन पर भी उस भ्रष्ट जज के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया है. इस एडिशनल जज को बाद में नए चीफ जस्टिस सभ्रवाल द्वारा एक और कार्यकाल दिया गया. इसके बाद अगले चीफ जस्टिस केजी बालाकृष्णन ने उसे स्थाई जज नियुक्त कर दिया गया. हालांकि उसका ट्रांसफर दूसरे हाई कोर्ट में हो गया.


आठ जजों ने की थी खिलाफत

काटजू के मुताबिक, इस शख्स को सीधे जिला अदालत का जज एप्वाइंट किया गया था. मद्रास हाई कोर्ट के कई पोर्टफोलियो के जजों द्वारा उस शख्स पर 8 गंभीर टिप्पणियां की गईं थीं. काटजू ने दावा किया है कि मद्रास हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस ने एक झटके में जिला अदालत के इस जज पर लगे सभी आरोपों को खारिज कर दिया जिसके बाद उसे हाई कोर्ट एडिशनल जज बनाया गया. यह तब हुआ जब कांग्रेस की यूपीए केंद्र में थी और उसकी सहयोगी पार्टी डीएमके तमिलनाडु की सत्ता में.उस जज के पीछे तमिलनाडु के बड़े नेता थेकाटजू के मुताबिक, 'उस भ्रष्ट जज को तमिलनाडु के एक बड़े राजनेता का समर्थन प्राप्त था. जानकारी के अनुसार उस शख्स जिला अदालत के जज के तौर पर राजनेता को जमानत दी थी.' मार्कंडेय काटजू ने यह भी आरोप लगाया है कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस आरसी लहोटी ने शिकायत के बावजूद उस भ्रष्ट जज को पद पर बने रहने दिया. इसके पीछे मनमोहन सिंह सरकार की अहम भूमिका रही. मनमोहन सिंह को तमिलनाडु के एक नेता ने इशारे में धमकी दी थी कि अगर उस जज को हटाया जाता है तो केंद्र सरकार गिर जाएगी जिसके बाद एक कांग्रेसी नेता ने पूर्व चीफ जस्टिस पर दबाव बनाया था कि इस एडिशनल जज के खिलाफ कार्रवाई ना हो. इसके बाद उस शख्स को एडिशनल जज के तौर पर एक साल का एक्सटेंशन दे दिया गया था.मनमोहन सिंह की सरकार ने दिया एक्सेटेंशन

मार्कंडेय काटजू लिखते हैं, 'यूपीए सरकार उस वक्त सत्ता में थी. कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी तो थी, पर उसे बहुमत नहीं था. उसके साथियों में तमिलनाडु की एक पार्टी इस भ्रष्ट जज का समर्थन कर रही थी. इस पार्टी ने तीन जजों की सिफारिश पर विरोध जताया. मेरी जानकारी के मुताबिक मनमोहन सिंह संयुक्त राष्ट्र की महासभा में हिस्सा लेने के लिए न्यूयॉर्क जा रहे थे. इस दौरान तमिलनाडु के मंत्रियों ने मनमोहन सिंह से कहा कि जब तक वह न्यूयॉर्क से लौटेंगे तब तक सरकार गिर जाएगी क्योंकि उनकी पार्टी समर्थन वापस लेगी (अगर एडिशनल जज को उसके पद पर नहीं बने रहने दिया गया). मनमोहन सिंह सकते में आ गए. हालांकि एक सीनियर कांग्रेसी मंत्री ने उन्हें परेशान ना होने की सलाह दी. इसके बाद वह मंत्री जस्टिस लहोटी से मिला और उन्हें सरकार पर खतरे की जानकारी दी. इसके बाद जस्टिस लहोटी ने भारत सरकार को चिट्ठी लिखकर उस भ्रष्ट जज को एडिशनल जज के तौर पर एक साल का एक्सटेंशन देने की सिफारिश की. पता नहीं इसके लिए चीफ जस्टिस ने कोर्ट के जजों कॉलेजियम से बात की थी या नहीं.'

Posted By: Shweta Mishra