गजल को युवाओं के दिलों तक पहुंचाने वाले मशहूर गजल गायक जगजीत सिंह ने आज सुबह इस दुनिया को अलविदा कह दिया. यह खबर उन्हीं की गायी उस गजल की तरह है जिसमें वे सवाल करते हैं- चिट्ठी न कोई संदेश जाने वो कौन सा देश जहां तुम चले गए.


पूरी दुनिया और खासकर  साउथ एशिया में गजल सम्राट के रुप में पहचाने जाने वाले जगजीत सिंह ने सोमवार सुबह लीलावती अस्पताल में अंतिम सांस ली. वे पिछले 18 सितंबर से ब्रेन हेमरेज के बाद इस अस्पताल में भर्ती थे. उनके अस्पताल में भर्ती होने के बाद से ही उनके जल्द स्वस्थ्य होने के लिए लोग दुआएं कर रहे थे लेकिन अफसोस ऐसा हो न सका. (Young Jagjit Singh)


सोमवार सुबह जगजीत सिंह के नहीं रहने की खबर जैसे ही फ्लैश हुई, म्यूजिक इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ पड़ी. दरअसल जगजीत सिंह साहब किसी परिचय के मोहताज नहीं है. उनकी गायी हुयी ग़ज़लें पिछले तीन दशको से हम सब के दिलो को राहत दे रही है. जिंदगी के हर पल के लिए गजल के इस शहंशाह ने अपनी आवाज दी. वह चाहे होंठो से छू लो तुम..' हो या फिर 'वो कागज की कश्ती' हो. उनकी आवाज युवाओं के दिलों में सबसे पहले जगह बनाती थी. वे खुद भी कहते थे कि युवाओं को गजल सुननी चाहिए और गानी भी चाहिए.

एक बातचीत में वर्तमान दौर के शायरों पर बात करते हुए जगजीत सिंह ने कहा था कि फैज अहमद फैज इस सदी के सबसे अहम शायर हैं और फिराक के बाद उनका ही नाम जुबां पर आता है. उन्होंने कहा था, मुझे लगता हैं कि फैज इस समय के सबसे अहम शायर हैं और इस सेंचुरी के सबसे बड़े शायरों में फिराक गोरखपुरी के बाद उनका ही नाम जुबां पर आता है. सिंह ने फैज साहब की कई गजलें गायी थी.(With Gulzar)हिन्दुस्तान और पाकिस्तान और पूरे उपमहाद्वीप के गजल गायकों में जगजीत सिंह का नाम बहुत ही सम्मान से लिया जाता है. आम लोगों में गजलों को लोकप्रिय बनाने में उनका अहम योगदान है. उन्होंने हिन्दी के अलावा पंजाबी, बांग्ला, उर्दू, गुजराती, सिंधी और नेपाली में भी कई गीत-गजल गाए. 2003 में भारत सरकार ने कला में उनके खास योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया था. लाखों दिलों को अपनी नज्मों और गजलों से छूनेवाले जगजीत सिंह गंभीर बीमारी से जूझते हुए अपने पीछे एक सुरीला संसार छोड़ गए.

Posted By: Kushal Mishra