कोयले के क्षेत्र में सुधार लाने की दिशा में केंद्र सरकार ने एक बड़ी पहल कर दी है. सरकार ने निजी कंपनियों को खुद के इस्‍तेमाल के लिए कोल ब्‍लॉकों की ई-नीलामी और राज्‍यों व सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को सीधे ब्‍लॉक आवंटित करने के लिए अध्‍यादेश्‍ा जारी करने की सिफारिश की है. सोमवार को इसकी जानकारी यहां वित्‍तमंत्री अरुण जेटली ने दी. उन्‍होंने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि सरकार राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी को अध्‍यादेश जारी करने का सुझाव देगी.

PM की अध्यक्षता में हुई बैठक
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में केंद्रीय मंत्रीमंडल ने यह निर्णय लिया. बैठक की जानकारी देते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि रद्द किए गए ब्लॉकों के आवंटन में सरकारी कंपनियों को प्राथमिकता मिलेगी. उन्होंने बताया कि आवंटन की प्रक्रिया तीन से चार महीने में पूरी कर ली जाएगी. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मंत्रिमंडल ने अटके हुए मुद्दों के समाधान के लिए राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने की सलाह देने की सिफारिश की है. इन मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के ब्लॉक आवंटन को रद्द करने के आदेश से पैदा हुई स्थिति भी शामिल है.
पूल में रखी जाएंगी कुछ खानें
निजी क्षेत्र पर उठे सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सीमेंट, इस्पात और बिजली क्षेत्र में कोयले का वास्तविक रूप में इस्तेमाल करने वाली आवेदनकर्ता इकाइयों के लिए कुछ खानें पूल में रखी जायेंगी. इन खानों के लिए ई नीलामी की जायेगी.
मिलने वाली आय पहुंचेगी खानों वाले राज्यों मे
वास्तविक उपयोगकर्ताओं को खान मिल सके इसके लिए ई-नीलामी में उपयुक्त संख्या में खानों को रखा जायेगा. इस पूरी प्रक्रिया से मिलने वाली आय पूरी तरह से उन राज्यों के पास जायेगी, जिनमें ये खानें स्थित होंगी.
फायदा मिलेगा इन राज्यों को
सरकार के इस फैसले से जिन राज्यों को सबसे ज्यादा फायदा होने वाला है उनमें झारखंड, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ आदि शामिल हैं. इसके अलावा कुछ और राज्य भी फायदे में रहेंगे. इनमें मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश शामिल होंगे.
शर्तों पर एक नजर
कोयला मंत्रालय ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से गहन विचार-विमर्श के बाद अध्यादेश का मसौदा तैयार किया है. सूत्रों ने बताया कि जिन आवंटियों के कोल ब्लॉक रद्द हुए हैं, वे नीलामी में भाग लेने के योग्य होंगे. सिर्फ वही कंपनियां आगे आकर नीलामी में हिस्सा नहीं ले पायेंगी, जो कोयला संबंधित मामलों में आरोपी हैं. गौरतलब है कि ई-नीलामी में उन्हीं विदेशी कंपनियों को अनुमति मिलेगी जो भारत में पंजीकृत हैं. नीलामी के लिए रिजर्व मूल्य एक समिति की ओर से तय किया जायेगा. इसमें पहले इनकार का किसी को अधिकार नहीं होगा.
क्या है मामला
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने 1993 से कई कंपनियों को आवंटित 218 में से 214 ब्लॉकों का आवंटन रद्द कर दिया है. इसके अलावा कोर्ट ने केंद्र को ऐसे 42 ब्लॉकों का परिचालन अपने हाथ में लेने की अनुमति दी है जिनमें कारोबार लगभग शुरू हो चुका है.

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Posted By: Ruchi D Sharma