डांस बार हमेशा ही कंट्रोवर्सीज में रहते हैं. कुछ लोगों का मानना है कि इससे कई महिलाओं को रोजगार मिलता है. इसलिए इस पर बैन नहीं लगना चाहिए. वहीं कई लोग यह भी मानते हैं कि डांस बार अश्लीलता और महिलाओं के खिलाफ क्राइम को बढ़ावा देते हैं. इसलिए इन्हें बंद किया जाना चाहिए. फिलहाल जस्टिस सीएस धर्माधिकारी कमेटी ने डांस बार पर 'कंप्लीट बैन' लगाने और फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों पर अश्लीलता रोकने के लिए एक पॉलिसी बनाने की सिफारिश की है.


महाराष्ट्र सरकार ने कमेटी बनाईमहाराष्ट्र सरकार ने यह कमेटी महिलाओं के खिलाफ क्राइम पर काबू करने के उपायों के रेकमेंडेशन के लिए गठित की है. ये सुझाव राज्य सरकार द्वारा अप्वाइंट कमेटी ने अपनी चौथी और पांचवीं रिपोर्ट में दिए हैं. इसे एक पीआईएल पर बांबे हाई कोर्ट में पेश किया गया है. इस पेटीशन में महिलाओं की सुरक्षा निश्चित करने के उपायों की मांग की गई है. समिति ने डांस बार पर कंप्लीट बैन लगाने की सिफारिश में कहा है कि जब राज्य सरकार ने इस पर बैन लगाया था, उस समय महिलाओं के खिलाफ क्राइम के मामलों में गिरावट आई थी. पहले भी बैन हो चुके हैं डांसबार
साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने डांस बार पर लगे बैन को हटा लिया था. इसके बाद इस साल जून में महाराष्ट्र एसेंबली में बैन को लेकर एक नए बिल को मंजूरी दी गई. इसमें बड़े होटलों के साथ पब्लिक प्लेसेज पर डांस आयोजनों को इस दायरे में लाया गया. राज्य सरकार ने डांस बार पर साल 2005 में पाबंदी लगा दी थी. लेकिन थ्री और फाइव स्टार होटलों को से बैन नहीं हटाया गया.सरकार के इस फैसले को भेदभाव वाला बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.

Posted By: Shweta Mishra