संयुक्‍त राष्‍ट्र ने अपनी एक रिपोर्ट जारी करते हुये कहा कि कार्बन डाइऑक्‍साइड के बढ़ने से वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसें नये रिकॉर्ड स्‍तर पर पहुंच गई हैं. जो कि एक गंभीर खतरा बनकर उभर सकती हैं.

बिगड़ रहा मौसम का संतुलन
विश्व मौसम संगठन (WMO) ने इस मुद्दे पर एक रिपोर्ट जारी की है. WMO प्रमुख मिशेल जारौद ने कहा,'बेशक हम जानते हैं कि जीवाश्म ईंधन जलाने जैसी मानवीय गतिविधियों के चलते हमारी जलवायु बदल रही है और मौसम अधिक विषम हो रहा है. जारौद ने एक बयान में कहा,'हमें कार्बन डाइआक्साइड और अन्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती कर इस प्रवृत्ति को उलटना होगा. उन्होंने चेतावनी दी कि हम वक्त के पीछे छूट रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड इन सभी गैसों ने मिलकर 2013 में नये रिकार्ड बनाये हैं.
टूट गया 30 साल का रिकॉर्ड
ग्रीन हाउस बुलेटिन के मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग में मुख्य भूमिका निभाने वाले कार्बन डाइऑक्साइड के वैश्विक सांद्रण में 2012 और 2013 के बीच वृद्धि हुई है, जो पिछले 30 साल में सर्वाधिक सालाना वृद्धि है. अगले साल पेरिस में होने वाली वार्ता से पहले बदलाव के लिये गति बनाने की कोशिश को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून द्वारा 23 सितंबर को बुलाये गये एक सम्मेलन से पहले यह रिपोर्ट आई है.
जलवायु समझौते का करार
आपको बता दें कि पेरिस वार्ता में एक ऐतिहासिक जलवायु समझौता होना है, जो साल 2020 से प्रभावी होगा. संयुक्त राष्ट्र ग्लोबल वार्मिंग को औद्योगिक क्रांति के पूर्व के स्तर से 2 डिग्री सेल्सियस अधिक रखने की मांग कर रहा है, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि उत्सर्जन की मौजूदा प्रवृत्ति सदी के अंत तक तापमान को इस स्तर से दोगुना बढ़ा सकती है. जारौद ने कहा कि हमारे पास ज्ञान है और तापमान में वृद्धि को 2 डिग्री के अंदर रखने की कोशिश करने के लिये हमारे पास औजार भी हैं.

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari