- महीनों से लगा रहे पेंशन के लिए चक्कर, विकलांग कल्याण विभाग से नहीं मिल रहा जवाब

BAREILLY:

विकलांग कल्याण विभाग की तो व्यवस्था ही विकलांग हो गई है। यह कहना है दोनों पैरों से विकलांग महेश का, जो विकलांग कल्याण विभाग के दो माह से चक्कर लगाकर थक गए हैं। बता दें कि विकलांगों की मदद के लिए सरकार की ओर से कई महत्वपूर्ण योजनाएं संचालित हो रही हैं। किराया, आरक्षण एवं पेंशन अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं। लेकिन अधिकारियों की अनदेखी की वजह से लाभार्थी विभाग के चक्कर लगाने को मजबूर हो रहे हैं, लेकिन अभी तक उन्हें कोई संतोषजनक जवाब तक नहीं मिल सका है।

हाथ पसारने की मजबूरी

सरकार की ओर से पेंशन दिए जाने की योजना के बाद भी ब्लाक भोजीपुरा के गांव परधोली निवासी जन्म से विकलांग महेश हाथ पसारने को मजबूर हैं। बड़े भाई रमेश उनका पेट पाल रहे हैं। 35 वर्ष की उम्र में पहली बार विकलांग पेंशन के लिए आवेदन किया था। पेंशन शुरू हुई तो कुछ सहारा मिला। पेंशन योजना के लिए हर वर्ष आवेदन करना पड़ता है। ऐसे में वर्ष 2013 में आवेदन किया लेकिन पेंशन नहीं मिली। सरकार द्वारा विकलांगजनों को वर्ष में 3600 रुपए मिलते हैं। लेकिन महेश ने दो माह तक चक्कर लगाकर किराए में ही केवल ढाई हजार रुपए खर्च कर दिए हैं। महेश ने बताया कि अधिकारी कभी बजट न आने के लिए कहते हैं तो कभी फटकार कर भगा देते हैं।

विकलांगों की करें मदद

मई में डीएम गौरव दयाल ने सभी तहसीलों के विकलांग कल्याण अधिकारी और समाज कल्याण अधिकारियों को विकलांगों की समस्याओं को माह भर में दूर करने के निर्देश दिए थे। उनके आवेदनों का सत्यापन एवं पेंशन के लिए की जाने वाली कवायदों की जानकारी आवेदन कर्ताओं को देने के लिए कहा था। ताकि उन्हें विभाग के चक्कर न लगाने पड़े। महेश की दो माह की भागदौड़ ने विकलांग विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के कार्य व्यवहार की पोल खोल दी है।

किन्ही कारणों से इस वर्ष सरकार की ओर से अभी बजट जारी नहीं हुआ है। दो वर्ष पूर्व आवेदन गलत होने की वजह से रिजेक्ट कर सूचित किया गया था। बजट जारी होते ही खाते में रकम भेज दी जाएगी।

डॉ। प्रदीप शुक्ला, जिला विकलांग कल्याण अधिकारी

Posted By: Inextlive