- केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण रहीं कॉन्क्लेव की चीफ गेस्ट

- मसूरी में 11 हिमालयी राज्यों की हुई कॉन्क्लेव, कई अहम मुद्दों पर हुई चर्चा

- सभी राज्यों के प्रतिनिधियों ने मंथन के बाद पारित किया मसूरी संकल्प

- हिमालयी राज्यों का विकास, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, पलायन जैसे मुद्दों पर मंथन

देहरादून, उत्तराखंड में पहली बार आयोजित हिमालयन कॉन्क्लेव में 11 हिमालयी राज्यों द्वारा मंथन के बाद मसूरी संकल्प पारित किया गया। मसूरी के एक होटल में आयोजित हुई कॉन्क्लेव में 11 राज्यों के सीएम व प्रतिनिधियों ने भाग लिया और हिमालयी राज्यों द्वारा हिमालय की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने व देश की समृद्धि में योगदान का संकल्प लिया। वहीं, बायोडायवर्सिटी, ग्लेशियर, नदियों, झीलों के संरक्षण का भी प्रण लिया गया।

3 सीएम, बाकी रिप्रेजेंटेटिव

हिमालयन कॉन्क्लेव में 11 हिमालयी राज्यों ने पार्टिसिपेट किया। उत्तराखंड ने कॉन्क्लेव को होस्ट किया, जबकि तीन और राज्यों से सीएम यहां पहुंचे। बाकी 7 राज्यों से सरकार के प्रतिनिधियों ने पार्टिसिपेट किया। कॉन्क्लेव में सेंट्रल फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण चीफ गेस्ट रहीं।

सीमांत आबादी का है सामरिक महत्व- सीतारमण

सेंट्रल फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह हिमालयन कॉन्क्लेव, हिमालयी राज्यों के विकास में अहम भूमिका निभाएगी। हिमालयी राज्यों का विकास केंद्र सरकार की प्राथमिकता में शामिल है साथ ही सीमांत इलाकों से पलायन रोकने के लिए भी कवायद की जा रही है। इसमें पंचायतीराज संस्थाएं अहम भूमिका निभा सकती हैं। सीमांत इलाकों में रहने वाली आबादी का सामरिक महत्व भी है, ये देश की सुरक्षा में आंख और कान की भूमिका निभाते हैं।

नदियों के संरक्षण को मिले अलग बजट- सीएम उत्तराखंड

उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि सभी हिमालय राज्यों की भौगोलिक परिस्थितियां समान हैं। पीएम के जल संचय अभियान में हिमालयी राज्यों की खास भूमिका रही है। उन्होंने केंद्र से मांग की कि इन राज्यों को नदियों के पुनर्जीवीकरण के लिए अलग से बजट दिया जाए। 2025 तक आर्थिक विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए हिमालयी राज्यों में वैलनेस व टूरिज्म पर काम करना होगा। आपदा, पलायन पर सभी स्टेट को मिलकर काम करने की जरूरत है।

हिल एरिया में रेल-हवाई कनेक्टिविटी जरूरी- सीएम हिमाचल

हिमाचल के सीएम जयराम ठाकुर ने हिल एरियाज में रेल व हवाई कनेक्टिविटी डेवलेप करने की जरूरत पर जोर दिया और इसे प्राथमिकता के साथ विकसित करने की मांग की। कहा कि छोटे स्टेट्स के पास सीमित संसाधन हैं, ऐसे में केंद्र से वित्तीय सहायता को बढ़ाया जाए।

भौगोलिक आधार पर हों विकास के मानक- सीएम मेघालय

मेघालय के सीएम कोनराड कोंगकल संगमा ने कहा कि हिमालयी राज्यों में विकास योजनाओं की लागत अधिक होती है, भौगोलिक परिस्थितियां अलग होती हैं। ऐसे में केंद्र द्वारा विकास योजनाओं के मानकों को भौगोलिक आधार पर तय किया जाए। उन्होंने हिमालयी राज्यों में परस्पर सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर भी जोर दिया।

कॉन्क्लेव में इन विषयों पर चर्चा

- नागालैंड के सीएम नेफियू रियो ने पर्वतीय क्षेत्रों में आजीविका संव‌र्द्धन व इको सिस्टम के महत्व पर जोर दिया।

- अरुणाचल के डिप्टी सीएम चोवना मेन ने कहा कि सीमांत क्षेत्रों में आधारभूत सुविधाओं के विकास पर विशेष ध्यान की जरूरत।

- 15वें वित आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह ने कहा कि वित आयोग हिमालयी राज्यों की समस्याओं से वाकिफ है। हिमालयी राज्यों की मांगों से आयोग सहमत है। संवैधानिक दायरे में हर समस्या का निदान किया जाएगा।

- नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि हिमालयी राज्यों में विकास की संभावनाएं हैं। जिसके लिए टारगेट सेट करने की जरूरत है। टूरिज्म के लिहाज से ये राज्य समृद्ध हैं। वैल्यू एडेड एग्रीकल्चर के प्रोत्साहन पर भी उन्होंने जोर दिया। कॉन्क्लेव के माध्यम से सभी हिमालयी राज्य आपसी तालमेल से प्रोजेक्ट तैयार कर नीति आयोग के समक्ष रखें।

- मिजोरम के मंत्री टीजे लालनुनल्लुंगा ने प्राकृतिक आपदा, बायोडायवर्सिटी संरक्षण में स्थानीय लोगों की भागीदारी व डिजिटल कनेक्टिविटी पर जोर दिया।

-केंद्रीय पेयजल सचिव परमेश्वरन अय्यर ने जल शक्ति अभियान पर प्रस्तुतिकरण दिया।

-राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य कमल किशोर ने हिल एरियाज में परिस्थितियों के मुताबिक भवन निर्माण पर जोर दिया।

-सिक्किम के सीएम के सलाहकार डॉ। महेन्द्र पी लामा ने ईको सिस्टम सर्विसेज पर बल दिया।

- जेएंडके गवर्नर के एडवाइजर केके शर्मा, आईआईएफएम की डॉ। मधु वर्मा व सुशील रमोला ने भी विचार व्यक्त किये। उत्तराखंड के टूरिज्म मिनिस्टर सतपाल महाराज ने कॉन्क्लेव में पार्टिसिपेट करने वाले सभी राज्यों के प्रतिनिधियों का आभार जताया।

Posted By: Inextlive