हुड्डा सरकार में बार-बार तबादलों का दंश झेल चुके सीनियर आईएएस ऑफिसर प्रदीप कासनी को हरियाणा की नवर्निवाचित बीजेपी सरकार में भी ‘ईमानदारी’ का खमियाजा भुगतना पड़ा है. कासनी को नियुक्ति के 39 दिन बाद ही गुड़गांव के मंडलायुक्त पद से हटा दिया गया है.


फिर हुआ कासनी का ट्रांसफरसीनियर आईएएस ऑफिसर प्रदीप कासनी को अपनी ईमानदार छवि के लिए बीजेपी सरकार की तरह तोहफे के रूप में एक और ट्रांसफर ऑर्डर मिल गया है. गौरतलब है कि गुड़गांव के हरसरू में भू-माफिया और निजी कंपनियों के बीच साठगांठ उजागर करने के बाद हटाए गए कासनी को फिलहाल प्रतीक्षा सूची में रखा गया है. कासनी पर बावल में लाजिस्टिक हब के लिए अधिग्रहण प्रक्रिया में किसानों को गलत अवार्ड देने का आरोप है. इस मामले में कुछ और अधिकारियों पर तबादले की गाज गिर सकती है, जिनमें रेवाड़ी के डीसी और एसडीएम प्रमुख हैं. 11997 बैच के आइएएस अधिकारी प्रदीप कासनी को 21 नवंबर को गुड़गांव का मंडलायुक्त बनाया गया था. राजीव रंजन को मिला अतिरिक्त कार्यभार
रोहतक के मंडलायुक्त राजीव रंजन को गुड़गांव के मंडलायुक्त का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है. गौरतलब है कि हुड्डा सरकार में प्रशासनिक सुधार आयोग के सचिव के नाते सेवा के अधिकार आयोग और राज्य सूचना आयोग में सदस्यों की नियुक्ति के तरीके पर सवाल खड़े करके कासनी चर्चा में आए थे. भाजपा ने तब कासनी की तरफदारी करते हुए हुड्डा सरकार पर उन्हें तंग करने के आरोप लगाए थे.कासनी ने कहा शायद परेशान थे भूमाफिया


कासनी ने इस मामले पर कहा,'मुझे नहीं पता मेरा तबादला क्यों किया गया है. मैं हैरान हूं. गुड़गांव के हरसरू में जमीन माफिया और निजी कंपनियों की साठगांठ को उजागर किया था. यह तो बहुत छोटा मामला है. अभी ऐसे कई बड़े मामले सामने आने थे. इससे पहले ही मुझे रुखसत कर दिया गया है. मुझे यह कहने में कोई हर्ज नहीं कि भूमाफिया मेरी कार्य प्रणाली से परेशान हो गया होगा. वैसे इस बारे में मुख्यमंत्री जी ही बेहतर बता सकते हैं.बावल का अवार्ड भी अहम वजहकासनी के तबादले के पीछे बावल में लाजिस्टिक हब के लिए अधिगृहीत भूमि का किसानों को गलत अवार्ड दिया जाना भी अहम वजह हो सकती है जिससे राज्य सरकार पर करीब 500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त नुकसान हो सकता था. यद्यपि राज्य सरकार वहां जमीन अधिग्रहण रद्द कर चुकी है. हुड्डा सरकार में 45 ट्रांसफर

आईएएस अशोक खेमका और प्रदीप कासनी में कई समानताएं हैं. खेमका का पिछली सरकार तक 43 बार ट्रांसफर हुआ और कासनी को 45 बार ट्रांसफर का दंश झेलना पड़ा था. गौरतलब है कि दोनों अधिकारियों को हरियाणा के ईमानदार और तेज-तर्रार अफसर का दर्जा हासिल है और दोनों अधिकारियों को हुड्डा सरकार की उपेक्षा के सामना करना पड़ा है. उल्लेखनीय है कि कासनी को 2005 में सत्ता में आई भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के कार्यकाल के दौरान अलग-अलग मौकों पर 8 महीने कोई पोस्टिंग नहीं मिल पाई थी.

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Posted By: Prabha Punj Mishra