कर्मचारियों की मांग, बिल्डिंग में एक नया सेक्शन जोड़ा जाए

PATNA : पटना को हरा-भरा रखने की जिम्मेदारी जिस वन विभाग को दी गई है उसके ही कर्मचारी रोजाना ऑफिस में सुविधा के अभाव में किसी तरह से विभाग का काम संभाल रहे है। नेहरु नगर स्थित पटना वन विभाग को बने 40 साल से अधिक समय हो चुके हैं। जबकि समय के अनुसार दस्तावेजों की संख्या पांच गुनी हो चुकी है। जिससे कर्मचारियों के आस-पास ऊपर नीचे चारों तरफ फाइलों का अंबार लगा हुआ है। लेकिन सरकार को अभी तक इस विभाग को अपडेट करने की सुध नहीं है।

फाइलों को कैसे रखें सेफ, अलमारी हो चुकी है फुल

विभाग के फ‌र्स्ट फ्लोर पर पूरे पटना से संबधित फाइलों को रखा जाता है। हर साल फाइलों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। विभाग के कर्मचारियों ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि यहां पर कुल मिलाकर 30 अलमारी है। लेकिन अब एक भी अलमारी में जगह नहीं बची है। हालत यहां पर यह है कि ऑफिस के हर फर्नीचर और तख्तों पर फाइलें रखी हुई है। यहां तक कि जिस टेबल पर हम काम करते हैं वह भी फाइलों के बोझ से दबी हुई है। इतनी सारी फाइलें खुले में होने से चूहों से इन फाइल को खतरा हो सकता है। दूसरी तरफ मौसम की मार से कागजों को नुकसान हो रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि हम अपना काम करें या इन फाइलों की चिंता करें। अगर कोई जरूरी कागज नष्ट हो जाए तो अधिकारियों के द्वारा रिसोर्सेस की कमी की जगह सीधे तौर पर हमें जिम्मेदार ठहरा दिया जाएगा।

40 सालों से नहीं हुआ है बिल्डिंग में कोई काम

नेहरु नगर में स्थित पटना वन विभाग की बिल्डिंग 1979 में बनकर तैयार हुई थी। कर्मचारियों का कहना है कि उस समय के हिसाब से तो यहां पर पर्याप्त जगह थी। लेकिन आज के समय के हिसाब से फाइल मेंटेनेंस और अन्य सुविधाओं को लेकर कार्यालय आउटडेटेड होता जा रहा है। यहां पर बैठने की जगह भी कम पड़ रही है। बिल्डिंग में और एक सेक्शन जोड़ने की जरुरत है। पटना में फॉरेस्ट गार्ड की कुल 67 पोस्ट है जिसमें से 35 पोस्ट पर भर्ती अभी तक नहीं की गई है। अगर सभी पोस्ट पर भर्ती हो जाती है और उनमें से आधे लोग भी यहां आ जाते हैं तो यहां खड़े होने की जगह भी नहीं बचेगी।

सुविधा के नाम पर 40 साल पीछे

विभाग में ग्राउंड और फ‌र्स्ट फ्लोर पर एक-एक शौचालय है लेकिन पिछले 40 सालों में इसमें किसी तरह का कोई डेवलपमेंट नहीं हुआ है। पुरुष कर्मी तो किसी तरह से मैनेज कर लेते हैं लेकिन यहां पर काम करने वाली महिलाओं के लिए स्थिति बहुत ही दयनीय हो चुकी है। कर्मचारियों का कहना कि पटना में ही वन विभाग का हेड ऑफिस से इसकी तुलना करेंगे तो यह ऑफिस कहीं नहीं ठहरता है। राजधानी बदल रही है और इसकी पूरी जिम्मेदारी हमारे कंधों पर है जबकि सुविधा के नाम पर हम 90 के दशक में जी रहे हैं।

यह समस्या मेरे संज्ञान में है, कर्मचारियों की जो जरुरत है उसको लेकर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इसके बाद हेड ऑफिस में संबधित विभाग को समाधान के लिए भेजा जाएगा।

- एस कुमारस्वामी, वन प्रमंडल पदाधिकारी, पटना

Posted By: Inextlive