नवाबी नगरी की गंगा-जमुनी संस्कृति की मिसाल पूरी दुनिया में दी जाती है। यहां कोई भी धार्मिक आयोजन हो सभी धर्मों के लोग उसमें हिस्सा लेते हैं।


लखनऊ (ब्यूरो)। मोहर्रम के दौरान भी हमेशा की तरह यह परंपरा एक बार फिर दिखाई दे रही है। बड़ी संख्या में हिंदू भी अजादारी में शरीक हो रहे हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे लोगों से मिलवाने जा रहे हैं, जो लखनऊ की गंगा-जमुनी तहजीब को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। पेश है अनुज टंडन की विशेष रिपोर्ट...मां के साथ बचपन से जाता था'बचपन में मां के साथ मजलिसों और अजादारी में जाता था। जिसके बाद अंदर से ही इसको लेकर इच्छा बढ़ती गई और बाद में अजादारी करने लगा। पिछले 5 साल से बराबर आग पर मातम करने के साथ अलम भी उठाता आ रहा हूं। मेरे मन में जितनी श्रद्धा हिंदू देवी देवताओं के प्रति है उतनी ही दूसरों धर्म को लेकर भी है। इस बार मातम के साथ कमा या गंधेर का मातम भी करने का इरादा है।'- शिवम अग्निहोत्री, डालीगंज



लोग जियारत के लिए आते हैं

'हमारे यहां 5 पीढ़ी से अजादारी पूरी अकीदत से जारी है। किशनु खलीफा इमामबाड़ा 140 साल से हिंदू-मुस्लिम एकता और गंगा जमुनी संस्कृति का बेमिसाल नमूना है। जो 1980 में मेरे दादा गयादीन धानुक और पिताजी किशनु खलीफा की ओर से कायम किया गया था। अजादारी का जो सिलसिला चला वो अब तक जारी है। दूर-दूर से लोग जियारत के लिए यहां आते हैं। इतना ही नहीं ताजिया पर हिंदू देवी-देवता की तस्वीर भी लगाता हूं। क्योंकि मेरे लिए सभी भगवान एक हैं।' - हरीश चंद्र धानुक, बसीरतगंजमातम और मजलिस होती है'रकाबगंज के पांडेयगंज में हमारे घर में इमामबाड़ा बना है। मोहर्रम के लिए हम खुद ताजिया बनाते हैं और मेरी मां राधा मेरे भाई अंकित के नाम मुनादी ताजिया रखती हैं। इसके अलावा परिवार के दूसरे लोग अकीदत की बुनियाद पर ताजिया रखते और अजादारी करते हैं। 1-9 मोहर्रम तक मातम और मजलिस का आयोजन होता है। आजा खाने में आठ सफर को शब्बेदारी होती है। दादा जब छोटे थे तब उनहोंने अपने हाथ से इसकी नींव रखी थी। जो आजतक जारी है।' - विकास भारती, पांडेयगंजइमामबाड़ा में रखता हूं ताजियामैं बचपन से ही मजलिस, मातम और जुलूस देखने जाता था। यही नहीं पिछले 60 साल से हम लोग अजादारी करते आ रहे हैं। मोहर्रम के दौरान गम मनाते हैं और ताजिया भी अलग-अलग इमामबाड़ा में जाकर रखते हैं। मेरा मानना है कि धर्म के आधार पर किसी को न बांटे, कर्बला के जीवन को अपने में उतारें और अच्छी संगत कर जीवन में सुधार लाएं।
- रमेश गुप्ता, नरहीlucknow@inext.co.in

Posted By: Vandana Sharma