पाकिस्‍तान की दीवार गिरा भारत चाबहार के रास्‍ते अफगानिस्‍तान रूस और यूरोप से जुड़ गया। 1947 के बंटवारे के बाद से ही भारत मध्‍य-पूर्व मध्‍य एशिया और यूरोप से भौगोलिक तौर पर अलग हो गया था। लेकिन अब भारत ने चाबहार के रास्‍ते इस दूरी को पाट दिया है। भारत की मदद से ईरान में तैयार चाबहार बंदरगाह के पहले चरण का रविवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की मौजूदगी में ईरान के राष्ट्रपति डॉ. हसन रोहानी ने उद्घाटन किया।


पोर्ट के साथ विकसित होगा एक विशेष आर्थिक क्षेत्रभारत चाबहार पोर्ट के साथ एक विशेष आर्थिक क्षेत्र भी विकसित करना चाहता है। कुछ दिन पहले ही सड़क, राजमार्ग और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि भारत की योजना चाबहार में कुल दो लाख करोड़ रुपये निवेश करने की है। इसके लिए भारत की कई निजी कंपनियों के साथ बात की जा रही है। भारत वहां एक एलएनजी टर्मिनल और एक यूरिया प्लांट भी लगाना चाहता है। हिंदमहासागर में चीन की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत बना रहा नए परमाणु पनडुब्बीबंदरगाह से भारत की सामरिक मदद भी-अरब सागर में पाकिस्तान ने ग्वादर बंदरगाह के विकास के जरिये चीन को भारत के खिलाफ बड़ा सामरिक ठिकाना मुहैया कराया है।


-चाबहार के विकसित होते ही भारत को अफगानिस्तान और ईरान के लिए समुद्री रास्ते से व्यापार-कारोबार बढ़ाने का मौका मिलेगा। -सामरिक नजरिये से भी पाकिस्तान और चीन को करारा जवाब मिल सकेगा, क्योंकि चाबहार से ग्वादर की दूरी महज 72 किलोमीटर है।  -पाकिस्तानी मीडिया पहले से शोर मचा रहा है कि चाबहार के जरिये भारत अफगानिस्तान और ईरान से मिलकर उसे घेरने में जुटा है।

जानें चीन के OBOR के जवाब में क्या है भारत का AAGCसिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है चाबहार बंदरगाहचाबहार दक्षिण पूर्व ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित एक बंदरगाह है। फारस की खाड़ी के बाहर बसे इस बंदरगाह तक भारत के पश्चिमी समुद्री तट से पहुंचना आसान है। इस बंदरगाह के जरिये भारतीय सामान के ट्रांसपोर्ट का खर्च और समय एक तिहाई कम हो जाएगा। भारत इसके जरिये अफगानिस्तान के लिए रास्ता बनाएगा। बताते चलें कि अफगानिस्तान की कोई सीमा समुद्र से नहीं मिलती है।  भारत के विरोध के बाद भी पाक ने ग्वादार में चीन को दी जमीन

Posted By: Satyendra Kumar Singh