नई सरकार के गठन के दिन करीब आते जा रहे हैं. इसके साथ ही इससे जुड़ी उम्मीदें भी चरम पर पहुंचती जा रही हैं. मगर अब डर इस बात का है कि अगर सरकार की नीतियां उम्मीदों के मुताबिक नहीं होंगी तो इससे करारा झटका भी लग सकता है. नई सरकार से खास तौर पर देश का उद्योग जगत काफी आशान्वित है.


एसोचैम ने किया सर्वेप्रमुख उद्योग चैंबर एसोचैम की तरफ से देश के 450 सीईओ के बीच किए गए सर्वेक्षण से पता चलता है कि इस बार नई सरकार से जितनी उम्मीदें हैं वैसी पिछले 20 वर्षों में कभी नहीं लगाई गई. सर्वे में शामिल 67 फीसद सीईओ ने कहा है कि नई सरकार से कुछ ज्यादा ही उम्मीदें लगा ली गई हैं. शेयर बाजार, उद्योग जगत, विदेशी निवेशकों के साथ ही भारत स्थित विदेशी दूतावास भी नई सरकार का ऐतिहासिक उम्मीदों के साथ इंतजार कर रहे हैं. मगर चुनाव परिणाम उम्मीदों के मुताबिक नहीं आए तो इसका खामियाजा भी उठाना पड़ सकता है.क्या हो गवर्नमेंट की इकोनॉमिक पॉलिसी
इस सर्वे में यह भी पता चला है कि नई सरकार की क्या आर्थिक नीतियां होनी चाहिए, इसको लेकर भी उम्मीदें परवान चढ़ चुकी हैं. महंगाई और आर्थिक सुस्ती को दूर करने में भले ही समय लगे लेकिन सरकार को इन मुद्दों को लेकर कुछ ठोस उपाय करने होंगे.इंडिया रेटिंग्स की रिपोर्ट भी ऐसी


ऐसी ही बात देश की प्रमुख रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स की तरफ से सोमवार को जारी रिपोर्ट में भी कही गई है. रिपोर्ट में आर्थिक चुनौतियों के बारे में कहा गया है कि अगर नई सरकार मौजूदा नीतियों में व्यापक बदलाव के लिए ठोस कदम नहीं उठाती है तो इससे गलत संकेत जाएगा. वैसे, केंद्र में कोई भी सरकार बने अगले 2-3 वर्षों तक नौ फीसद की विकास दर को हासिल करना मुश्किल होगा. इंडियन इकोनॉमी की मौजूदा स्थिति संतोषजनकएजेंसी की रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति को संतोषजनक बताया गया है और कहा गया है कि अगर सही नीतियां लागू की जाए तो तेज आर्थिक विकास दर की नींव खड़ी की जा सकती है. अल-नीनो को लेकर यह रिपोर्ट कहती है कि इसका फिलहाल नकारात्मक असर पडऩे की उम्मीद कम है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh