समय-समय पर भारतीय मुस्लिमों पर देश के खिलाफ उठने वाले सवालों और अलकायदा के भ्रम का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारतीय मुस्लिमों की देशभक्ति पर सवाल नहीं उठाया जा सकता. यह बात उन्‍होंने प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने पहले इंटरनेशनल इंटरव्‍यू में कही.

अलकायदा को है भ्रम
नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारतीय मुस्लिम देश के लिए ही जिएंगे और देश के लिए ही मरेंगे. उन्होंने कहा कि अल कायदा को इस बात का भ्रम है कि वे उसके इशारों पर नाचेंगे. सीएनएन से बातचीत में अलकायदा की ओर से हाल में जारी विडियो के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में मोदी ने कहा कि उनका मानना है कि वे हमारे देश के मुसलमानों के साथ अन्याय कर रहे हैं. अगर कोई यह सोचता है कि मुसलमान उनके इशारों पर नाचेंगे तो यह उनका भ्रम है. भारत के मुसलमान जान दे देंगे, लेकिन भारत के साथ विश्वासघात नहीं करेंगे. वे भारत के लिए बुरा नहीं सोचेंगे.
भारत में हैं करीब 17 करोड़ मुसलमान
उन्होंने भारतीय मुसलमानों की देशभक्ति के समर्थन में तर्क देते हुए कहा कि भारत के पड़ोस में अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अलकायदा का अच्छा प्रभाव है. भारत में करीब 17 करोड़ मुसलमान हैं, लेकिन उनमें से अलकायदा के सदस्य न के बराबर हैं. उन्होंने अलकायदा को मानवता के खिलाफ संकट बताते हुए इसके खिलाफ मिलकर लड़ने की बात कही.
अमेरिका और भारत की संस्कृति में हैं काफी समानताएं
मोदी ने अमेरिका और भारत के बीच संबंध को और मजबूत बनाने पर जोर दिया. सितंबर के अंतिम सप्ताह में मोदी अमेरिका के दौरे पर जाने वाले हैं. उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच उनके इतिहास और संस्कृति के कारण समानताएं पाई जाती हैं. उन्होंने इस बारे में तर्क देते हुए कहा कि यदि आप पिछली सदी पर नजर डालेंगे तो पाएंगे कि अमेरिका ने दुनिया भर से आए हुए लोगों को अपनाया है. भारत भी अपने यहां किसी को भी रहने की अनुमति देता है. दुनिया के हर कोने में भारत के लोग रहते हैं. इस बात से भारतीय और अमेरिकी समाज के अंदर पाए जाने वाले सह-अस्तित्व का गुण झलकता है.
21वीं सदी में दोनों देशों के संबंध लेंगे नया रूप
मोदी ने स्वीकार किया कि अतीत में भारत-अमेरिका संबंधों में उतार-चढ़ाव आए हैं. उन्होंने पूरा भरोसा जताया कि 21वीं सदी में भारत और अमेरिका का संबंध नया आकार लेगा. मोदी ने कहा कि उन्हें पक्का भरोसा है कि भारत और अमेरिका मजबूत रणनीतिक गठबंधन बनाएगा. उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के संबंधों को दिल्ली और वॉशिंगटन तक सीमित नहीं समझना चाहिए. दोनों देश महसूस करते हैं कि उनका संबंध का दायरा बहुत बड़ा है.

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Posted By: Ruchi D Sharma