बदमाश और बिन्दास ही नहीं बल्कि इस तरह के 274 नए वर्ड्स को आक्सफोर्ड डिक्शनरी ने अपनी वकैब्लरी में शामिल किया है. यही नहीं अब तक हिन्दी इतिमोलजी के 374 नए वर्ड्स आक्सफोर्ड डिक्शनरी की इंग्लिश वकैब का हिस्सा बन चुके हैं.


अगर आपको कोई अंग्रेज ‘यू आर वेरी बदमाश कहता’ मिले तो ये मत समझियेगा कि उसे हिन्दी की अच्छी समझ है. दरअसल 'बदमाश', 'बुद्धू' और 'बिन्दास' जैसे ये पापुलर वर्ड्स अब इंग्लिश बोलचाल में शामिल कर लिये गये हैं. बदमाश और बिन्दास ही नहीं बल्कि इस तरह के 274 नए वर्ड्स को आक्सफोर्ड डिक्शनरी ने अपनी वकैब्लरी में शामिल किया है. यही नहीं अब तक हिन्दी इतिमोलॉजी के 374 नए वर्ड्स आक्सफोर्ड डिक्शनरी की इंग्लिश वकैब का हिस्सा बन चुके हैं. इडियन कान्टेक्स्ट में बात करें तो संस्कृत के 337, उर्दू के 144 और तमिल के 27 शब्दों को डिक्शनरी ने हूबहू इंग्लिश लैंग्वेज में एक्सेप्ट कर लिया है. Interesting हैं ये words अच्छा- achha साधू- sadhuगुंडा- goondaनमकीन- namkinनेता- netaछी-छी- chhi-chhi सेठ- sethमहाजन- mahajanढ़ाबा- dhaba आन्दोलनों का भी है असर
गांधी से लेकर जेपी और फिर अन्ना हजारे जैसे लीडर्स ने गांधीगिरी को जितना पापुलर किया उतनी ही पापुलैरिटी उसमे यूज होने वाले वर्ड्स को भी मिली.  बापू- bapuधरना-  dharna, घेराव- gherao, महाजन- mahajanझुग्गी- jhuggi, हिन्दुत्व- HindutvaInternet ने बढ़ाई value  


इंडिया में मौजूद इंटरनेट के करोड़ों यूजर्स और इंडियन पापुलेशन की ग्लोबल रीच की वजह से हिन्दी के कुछ वर्ड्स काफी पापुलर हुए हैं. इंडियन इंग्लिश न्यूजपेपर्स काफी पहले से ही इस तरह के वर्ड्स को यूज करते रहे हैं. यह हिन्दी की पापुलैरिटी ही थी कि इंडिया में बेहद पापुलर सोशल नेटवर्किंग साइट्स फेसबुक और आर्कुट दोनों ने ही अपनी साइट को काफी पहले ही वर्नाकुलर कर दिया था. Mobile का भी रहा है contribution मोबाइल तक सबसे पहले हिन्दी को पहुचाने के लिये नोकिया ने ही एप्लीकेशन लांच की थी. इसके बाद लगभग हर बड़ी कम्पनी ने मोबाइल पर हिन्दी की सुविधा मुहैया करा दी है.   Global Language Monitor reportGlobal Language Monitor की एक रिपोर्ट के मुताबिक इंग्लिश के अभी तक मैक्सिमम दस लाख शब्द हैं जबकि हिन्दी के 1 लाख 20 हजार शब्द हैं. अमेरिकन यूनिवर्सिटीज में 2006 से 2009 के बीच हिन्दी कोर्सेज में एडमिशन लेने वालों की तादात 13.4 पर्सेंट बढ़ी है.    हर साल 14 सितम्बर को मनाए जाने वाले हिन्दी दिवस पर कई साहित्यकारों ने हिन्दी के फ्यूचर को लेकर चिन्ता जताई थी और यह भी बहस हो रही थी कि पिछले कुछ सालों से हिन्दी को काफी नुकसान हुआ है.

Posted By: Divyanshu Bhard