इंडिया में इंडस्‍ट्रियल आउटपुट रेट में आई कमी से मोदी सरकार के अर्थव्‍यवस्‍था में जल्‍द सुधार लाने के सपनों पर पानी फिरता नजर आ रहा है. गौरतलब है कि जुलाई में इंडस्ट्रियल आउटपुट ग्रोथ रेट 0.5 पर आकर ठहर गया है.


अब कैसे आएंगे अच्छे दिन


मोदी सरकार ने देश में अच्छे दिन लाने के लिए कई तरह के कदम उठाए हैं. इन कदमों में अर्थव्यवस्था में सुधार करना भी शामिल है. लेकिन पिछले चार महीनों के इंडस्ट्रियल आउटपुट ग्रोथ रेट पर नजर डाली जाए तो इन प्रयासों को काफी धक्का लगता है. दरअसल जुलाई में इंडस्ट्रियल आउटपुट ग्रोथ रेट 0.5 परसेंट पर आ गई है. हालांकि खुदरा मुद्रास्फिति के मुद्दे को सरकार को कुछ राहत मिली है क्योंकि अगस्त में खुदरा मुद्रास्फिति घटोतरी के साथ 7.8 परसेंट पर रही. दरअसल इंडस्ट्रियल इंडेक्स ऑफ आउटपुट के अनुसार विनिर्माण और उपभोक्ता सामानों में कमी आने की वजह से इंडस्ट्रियल आउटपुट ग्रोथ रेट में कमी आई है. आईआईपी के आंकणों के अनुसार जून में यह दर 3.9 परसेंट का राइज रही वहीं पिछली जुलाई में यह रेट 2.6 परसेंट इनक्रीज हुआ था. इसके साथ ही साल के पहले चार महीनों में आईआईपी की एवरेज ग्रोथ रेट 3.3 परसेंट थी वहीं पिछले साल 0.1 परसेंट थी. सीआईआई ने कहा सुधार में लगेगा वक्त

सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा है कि इन आंकणों को देखकर लगता है कि अभी इंडिया का इंडस्ट्रियल सेक्टर पूरी तरह से विकसित नही हुआ है. लेकिन कुछ बातों से पता चलता है कि नए ऑर्डर में कुछ तेजी आएगी. गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ब्याज दर के मामले में कोई ढील नही बरत रहा है. घटे सब्जियों और अनाज के दामदेशभर में सब्जियों और अनाज के दाम घटने से मुद्रास्फिति में कमी आई है. जुलाई में यह आंकड़ा 7.96 परसेंट था. इसके साथ ही लास्ट ईयर यह आंकड़ा 9.52 परसेंट था.

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Posted By: Prabha Punj Mishra