कैंडिडेट की इमेज नहीं महंगाई तय करेगी इलेक्शन 2014 की तकदीर
आई नेक्स्ट ने यूपी, बिहार, उत्तराखंड और झारखंड के 12 शहरों में चुनाव से पहले 10 मुद्दों पर लोगों की रायशुमारी करवाई. इसमें 18 हजार से ज्यादा लोगों ने अपनी प्राथमिकता बताई. 77 फीसदी से ज्यादा लोगों का मानना था कि इलेक्शन 2014 का फैसला महंगाई के मुद्दे पर होगा. सिर्फ 16 फीसदी लोगों के लिए ही कैंडिडेट की इमेज मायने रखती है. पढि़ए आई नेक्स्ट की एक्सक्लूसिव सर्वे की विस्तृत रिपोर्ट...1. महंगाई : कुकिंग गैस, पानी और इलेक्ट्रिसिटी से गरमाया मुद्दा
इन्फ्लेशन का ग्राफ तो सरकारी आंकड़ों की बाजीगरी में उलझ कर रह गया. इसका गणित होल सेल प्राइज इंडेक्स और कंज्यूमर प्राइज इंडेक्स में लोगों को कन्फ्यूज करता रहा. दूसरे शब्दों में कहें तो महंगाई दर कभी भी कायदे से चुनावी मुद्दा नहीं बन पाई. लेकिन आप के अरविंद केजरीवाल ने बिजली और पानी की दरें कम कराने का वादा किया और दिल्ली में सरकार बना डाली. तो महाराष्ट्र में कांग्रेसी सांसद संजय निरूपम ने अपनी ही सरकार के खिलाफ धरना दे दिया साथ ही और भी राज्यों में बिजली की दरों का मुद्दा गरमा गया. इतना ही नहीं कुकिंग गैस पर सब्सिडी पहले 6 सिलेंडर फिर 9 सिलेंडर और अब 12 सिलेंडर कर दी गई. इनके भाव साल भर सुर्खियां बनी रहीं. शायद यही वजह है कि अब हमारे सर्वे में 77.10 परसेंट लोगों के लिए यह चुनावी मुद्दा बन चुकी है. इन लोगों का कहना है कि वोट करने से पहले वे उसी कैंडिडेट का चुनाव करेंगे जो महंगाई कम करने की स्कीम लेकर आएगा.2. करप्शन : कोलगेट ने धो डालापिछले 10 सालों में सरकार घोटालों को लेकर खासी चर्चा में रही. टूजी में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा को जेल भी हुई. इतना ही नहीं कॉमन वेल्थ गेम को लेकर भारतीय ओलंपिक संघ के तत्कालीन अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी को भी जेल जाना पड़ा. कोलगेट को लेकर सरकार से लेकर सीबीआई तक को सुप्रीम कोर्ट में सफाई देनी पड़ी. सेना में साजोसामान की खरीद को लेकर घोटाले पर तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह और सरकार के बीच मीडिया में जमकर बयानबाजी चलती रही. इसके अलावा राज्यों से भी घोटाले की खबरें आती रहीं यहां तक कि बीजेपी की बहुमत वाली कर्नाटक सरकार के तत्कालीन सीएम वीएस येदियुरप्पा को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी. इन सब सुर्खियों का असर ही है कि सर्वे में शामिल 76.49 परसेंट लोग करप्शन के मुद्दे पर वोटिंग करेंगे.3. महिला सुरक्षा : दामिनी ने झकझोर दिया
दिल्ली में चलती बस में एक पैरामेडिकल स्टूडेंट के गैंगरेप ने देश भर को झकझोर कर रख दिया. इस मुद्दे पर पहली बार समूचे देश में लोग सड़क पर थे. लोगों में महिला सुरक्षा को लेकर सरकार के खिलाफ गुस्सा देखने को मिला. इतना ही नहीं विदेशों में भी प्रदर्शन हुए. सरकार पर दबाव बना और एक कमीशन का गठन किया गया और उसकी सिफारिशों के अनुरूप महिलाओं की अस्मिता से जुड़े कानून कड़े किए गए. कड़े कानून होने के बावजूद मुंबई में सरेशाम एक महिला फोटो पत्रकार के साथ गैंगरेप की खबर आ गई. कानून कड़े होने के बावजूद 66.76 परसेंट लोग इसे मुद्दा मानते हैं और वे उसी को वोट करेंगे जिसके पास महिलाओं की सुरक्षा को लेकर उचित रोडमैप होगा.4. बेरोजगारी : अवसर दो मौका लो
हमारा देश दुनिया का न सिर्फ सबसे बड़ा लोकतंत्र है बल्कि यहां की आबादी का 65 फीसदी यूथ है. यानी 'युवा जोश' अब तो चुनाव में यह हर पार्टी का जुमला भी बन गया है. यूथ वोटर्स को रिझाने के लिए हरकोई उन्हें उचित प्रतिनिधित्व देने की बात कर रहा है. कभी कोई पार्टी अपने युवा कार्यकर्ता को पार्टी का पद दे रही है तो कोई उन्हें पार्टी का टिकट देकर यूथ वोटर्स को अपनी तरफ करने में लगा है. लेकिन रोजगार के लिए दर-दर की ठोकरें खाकर बेरोजगार मानव ऊर्जा और ऐसे बच्चों के गार्जियंस ने मन ही मन ठान लिया है कि वोट तो उसी को देंगे जो उन्हें रोजगार के अवसर मुहैया कराने के लिए बेहतर ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट प्लान करेगा. हमारे सर्वे में 66.10 परसेंट ऐसे लोगों ने कहा कि उनके वोट देने का पैमाना तो रोजगार ही होगा.5. बेहतर शिक्षा : नर्सरी की फीस और प्राथमिक विद्यालय की पढ़ाई, दोनों बाप रे बाप!
प्राथमिक विद्यालयों के मिड डे मील का डंक हर महीने-दो महीने में अखबारों में छाया रहता है. मां-बाप बच्चों को अ से आम पढ़ाने स्कूल भेजते हैं लेकिन अकसर खराब मिड डे मील खाकर उनके बच्चे अस्पताल में जीवन और मौत से जूझते नजर आते हैं. ऐसे में कोई भी समर्थ परिवार अपने बच्चे को सरकार स्कूल नहीं भेजना चाहता. ऐसे में पब्लिक स्कूलों के नर्सरी क्लास की सीटों की एक तरह से बोली लगनी शुरू हो जाती है. दिल्ली में तो हाई कोर्ट को नर्सरी एडमिशन में हस्तक्षेप करना पड़ा. दिल्ली के एलजी को फरमान जारी करना पड़ा. हमारे सर्वे में शामिल 59.18 परसेंट वोटर्स का कहना था कि स्कूली लेवल पर बेहतर शिक्षा का 'सिलेबस' जिसने तैयार किया होगा उसे ही वोट देंगे.