ओ गॉड, जेल में मोबाइल

शोले फिल्म में असरानी का डॉयलाग तो आपको याद ही होगा जेल में सुरंग कुछ इसी अंदाज में अपने सेंट्रल जेल के अधिकारी भी चौंक पड़े जब उन्हें पता चला कि जेल में मोबाइल है। तमाम सिक्योरिटी चेक और इंतजामों के बावजूद ना सिर्फ जेल में मोबाइल पहुंच गया बल्कि उसका इस्तेमाल भी किया जा रहा था। आप भी देखिये कैसे जेल की सुरक्षा का धता बता कर मोबाइल पहुंचा अंदर

जेल में अब तो जैमर लगवा दो साहब

- सेंट्रल जेल में अजीवन कारावास की सजा काट रहे आजमगढ़ के कैदी के पास हाई सिक्योरिटी सेल में मिला मोबाइल फोन

- खाना गर्म रखने वाले टिफिन बॉक्स में नीचे की ओर स्पेस बनाकर रखकर अंदर भेजा गया ड्यूल सिम मोबाइल

- लम्बे समय से चल रही है सभी जेलों में मोबाइल जैमर लगाने की बात मगर अब तक नहीं हुआ कुछ भी

1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ: मर्डर केस में बनारस सेंट्रल जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे कैदी के पास मोबाइल फोन मिला है। इस खुलासे ने जेल प्रशासन के होश उड़ा दिए हैं। जांच शुरू हो गई। मोबाइल कैसे जेल के अंदर पहुंचा, मोबाइल में किनके नम्बर सेव हैं, अब तक कितने कॉल किए गये और किसको किए गये, इसकी रिपोर्ट आना बाकी है। इन सब के बीच एक बात पर किसी की नजर नहीं है। वो है, जेल में मोबाइल जैमर के इंतजाम की। जेल में इससे पहले भी मोबाइल फोन इस्तेमाल की खबरें आ चुकी हैं। हालांकि जेल के अंदर सिस्टम इतना तगड़ा है कि आज तक कोई भी अफसर मोबाइल फोन पकड़ नहीं सका है। बावजूद इसके कई खतरनाक और शातिर अपराधी अंदर फोन का इस्तेमाल करते हैं, इस बात के संकेत मिलते रहे हैं।

अब जाकर खुली है पोल

सेंट्रल जेल में सुरक्षा व्यवस्था की अनदेखी का आरोप पहले भी लगता रहा है। इस वजह से डीएम से लेकर कई अधिकारी जेल का औचक निरीक्षण कर चुके हैं। हालांकि अधिकारियों के पहुंचने से पहले जेल में सब कुछ दुरुस्त हो जाता है। कोई बरामदगी नहीं होती। लेकिन सोमवार को जेल के अंदर से चल रहे एक बड़े खेल का खुलासा हुआ है। जेल सूत्रों की मानें तो सेंट्रल जेल 13 साल से हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे आजमगढ़ निवासी अपराधी असहर उर्फ गुन्नू के पास से अफसरों ने डबल सिम लगा सैमसंग का एक मोबाइल फोन बरामद किया है। सीनियर जेल सुपरिटेंडेंट संजीव कुमार त्रिपाठी ने कबूल किया है कि सोमवार रात शक के आधार पर गुन्नू के बैरक की तलाशी ली गई तो उसके पास रखे टिफिन से ये फोन बरामद हुआ है। फोन अंदर कैसे पहुंचा, इसके पीछे उसका क्या मकसद था, इसकी जांच की जा रही है।

शातिर दिमाग ने फोन पहुंचाया अंदर

गुन्नू के पास फोन बरामदगी के बाद जेल के अफसर भी हैरान थे कि आखिर तमाम तरह की तलाशी के बावजूद फोन अंदर पहुंचा तो कैसे? हालांकि शुरूआती जांच में ही सच्चाई सामने आ गई। सूत्रों ने बताया कि गुन्नू के बैरक से मिले टिफिन बाक्स में अंदर लगे थर्माकोल को काट कर मोबाइल फोन के लिए जगह बनाई गई थी। ये टिफिन गुन्नू से कुछ दिन पहले मिलने आए लोग साथ लेकर आए थे। उसमें गर्म खाना देख किसी को शक भी नहीं हुआ। उनके जाने के बाद मोबाइल का इस्तेमाल गुन्नू कर रहा था।

क्राइम ब्रांच कर रही नम्बर्स की पड़ताल

जेल के अंदर से बरामद मोबाइल फोन का क्या-क्या इस्तेमाल हो चुका है और क्या इस्तेमाल होना था, अब अफसर इसकी पड़ताल में जुटे हुए हैं। एसएसपी के निर्देश पर क्राइम ब्रांच मोबाइल से की गई कॉल्स की डिटेल खंगाल रही है। वहीं जेल में मोबाइल कैसे पहुंचा, इस मामले के भी जांच हो रही है। माना जा रहा है कि इस खेल में कुछ बंदीरक्षकों के अलावा जेल सिक्योरिटी के स्टाफ भी शामिल हो सकते हैं। ये भी संभावना जताई जा रही है कि इससे पहले भी इसी तरकीब से और भी मोबाइल फोन जेल में पहुंचाए गये हों।

चार्जिग की सुविधा नहीं फिर भी

सेंट्रल जेल में सुरक्षा की अनदेखी तब हो रही है जब इस वक्त कई बड़े अपराधी यहां बंद है। माफिया बृजेश सिंह को पिछले कई दिनों से सेंट्रल जेल में ही रखा गया है जबकि मिर्जापुर और चंदौली के तीन हार्डकोर नक्सली भी यहां बंद हैं। इससे भी बड़ी बात ये है कि जेल में मोबाइल चार्जिग के लिए कोई सिस्टम नहीं है। फिर भी आपसी मिली भगत से यहां कुछ भी पाना और करना संभव है जिसका फायदा बड़े अपराधी पैसे खर्च करके उठाते हैं। पिछले दिनों बनारस में ही एसटीएफ के हत्थे चढ़े तीन बदमाशों ने ये खुलासा किया था कि जेल में बंद सुभाष ठाकुर हनी गैंग की मदद से किस तरह अपराध को अंजाम दे रहा है। वहीं अभी हाल ही में जेल में बंद यूपी के दो बड़े माफियाओं के बीच गैंगवार की आशंका पर एक बड़ा खुलासा भी हुआ है। इसके बावजूद जेल से चल रहे खेल को रोकने में पूरा का पूरा महकमा फेल है।

आखिर क्यों नहीं लग रहा जैमर?

जेलों से अपराध संचालित होने की सबसे बड़ी वजह हैं जेलों के अंदर चोरी छिपे हो रहा मोबाइल का इस्तेमाल। बनारस ही नहीं बल्कि कई जिला और सेंट्रल जेलों में चोरी छिपे मोबाइल फोन इस्तेमाल के संकेत मिलते रहे हैं। कई बार पकड़े जाने वाले अपराधी भी ये कबूलते हैं कि उन्हें क्या करना है, कब करना है, इस बारे में सारे इंस्ट्रक्शंस जेल में बंद आकाओं के जरिये मिलते हैं। इसके बावजूद कोई भी जेल प्रशासन इस पर रोक नहीं लगा पा रहा है। यहां तक की जेल में मौजूद मोबाइल फोन को पकड़ तक नहीं पा रहा। जेलों में मोबाइल फोन इस्तेमाल न हो, इसलिए करीब 10 साल पहले मोबाइल जैमर लगाने की योजना बनी। लेकिन कोई भी राज्य सरकार इस दिशा में ठोस पहले नहीं कर सकी है। इसके पीछे वजह ये भी है कि तमाम जेलों में सफेदपोश और बड़े माफिया भी बंद हैं जिनके पॉलिटिकल कनेक्शन बहुत ज्यादा स्ट्रांग हैं। अपराधियों के साथ सफेदपोशों के भी मंसूबे धराशाई हो जाएंगे।

ये मामला गंभीर है। मोबाइल जेल में कैसे पहुंचा और इसके पीछे कौन है, इसकी जांच पुलिस कर रही है। हाई सिक्योरिटी सेल में हुई इस चूक के बाद जेल सुरक्षा को और मजबूत किया गया है। अब आने वाले हर मुलाकाती की अच्छे से जांच के बाद ही उसे अंदर एंट्री दी जायेगी।

संजीव कुमार त्रिपाठी, सीनियर सुपरिटेंडेंट, सेंट्रल जेल

Posted By: Inextlive