रांची में रोज पारा नीचे गिर रहा है. अभी रात का न्यूनतम तापमान 7 डिग्री तक जा रहा है. ठंढ के कारण लोग बीमार भी पड़ रहे हैं. लेकिन राज्य के सबसे बड़े अस्पताल राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस रिम्स में फर्श पर ही बीमारों का इलाज हो रहा है. रिम्स के कॉरीडोर में जमीन पर इलाज कराने को मजबूर है बीमार लोगों के साथ-साथ उनके परिजन भी भारी परेशानी का सामना कर रहे हैं.


रांची (ब्यूरो)। रिम्स में इलाज कराने आने वाले मरीजों को बेड तक मयस्सर नहीं हो पा रहा है। अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग का हाल सबसे ज्यादा खराब है। यहां दर्जनों मरीजों का इलाज अस्पताल के गलियारे में हो रहा है। न्यूरो वार्ड में रोगियों की बढ़ती संख्या के चलते संसाधन कम पड़ते जा रहे हैं। न्यूरो विभाग में न्यूरो आईसीयूए, सेमी आईसीयूए, स्क्रीनिंग और वार्ड के सभी बेड को जोड़ दें, तो 106 बेड ही रिम्स न्यूरो में हैं। दूसरी ओर रोगियों की संख्या हमेशा 150 से 200 के बीच रहती है। ऐसे में करीब 100 रोगियों को बेड तक नहीं मिल पाता। कड़ाके की ठंड में दिन तो किसी तरह कट जाती है, लेकिन रात काटना सबसे ज्यादा कठिन हो जाता है। मरीजों का कहना है कि ऐसी स्थिति में मरीज तो क्या उनकी देखभाल में लगे परिजन भी बीमार पड़ सकते हैं। बेड से अधिक मरीज


रिम्स के अधिकारियों का कहना है कि हमारी प्राथमिकता इलाज करना है। अस्पताल में मरीजों की संख्या अधिक हो जाने के कारण हम सभी मरीजों को बेड नहीं उपलब्ध करा पाते हैं। इसलिए मजबूरी में गलियारे में इलाज किया जा रहा है। हलांकि, जैसे-जैसे मरीज ठीक होकर जाते हैं, बेड खाली होने पर दूसरे मरीजों को बेड उपलब्ध कराया जाता है।

नहीं है न्यूरो की सुविधा न्यूरो वार्ड में रोगियों की बढ़ती संख्या की एक बड़ी वजह यह है कि राज्य में रिम्स को छोड़कर किसी अन्य सरकारी चिकित्सा संस्थान में न तो न्यूरो के विशेषज्ञ हैैं और न ही सुविधाएं ही हैं। ऐसे में राज्य के लोगों के साथ-साथ राज्य के पड़ोसी राज्यों से भी रिम्स रोगी पहुंचते हैं और यहां के चिकित्सक कम संसाधनों में ही उनका बेहतरीन इलाज करने की कोशिश भी करते हैं। हर दिन राज्य भर में कई जगह दुर्घटनाएं भी होती है, दुर्घटना में बहुत सारे लोगों को हेड इंज्युरी भी होती है और लोग रिम्स पहुंच जाते हैं।ठंढ से बढ़ रहे हैं मरीज

बढ़ती ठंड के साथ मौसमी बीमारी ने भी अपना कहर शुरू कर दिया है। झारखंड के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। पिछले तीन दिनों में ही ठंड, बुखार, सर्दी-खांसी आदि बीमारियों के 120 से अधिक मरीज भर्ती हो चुके हैं। जबकि ओपीडी में मेडिसिन विभाग में रोजाना 150 से 200 मरीजों की संख्या देखी जा रही है। 10 प्रतिशत से अधिक मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है। उन्हें अगले दिन बुलाया जा रहा है। बताते चलें कि मेडिसिन विभाग में 6 यूनिट हैं। सभी में 50-50 बेड की क्षमता के हैं। जबकि 2 यूनिट यानी डी 1 और डी 2 वार्ड कोविड वार्ड के रूप में तब्दील है। ऐसे में चार यूनिट में 200 बेड भरने के बाद अब मरीजों का इलाज फर्श पर भी शुरू हो चुका है

Posted By: Inextlive