जानें रोहिंग्या पर भारत और पड़ोसी देशों का क्या है आधिकारिक स्टैंड
भारत नहीं चाहता रोहिंग्या शरणार्थियों को शरण देना
इस सप्ताह सोमवार को भारत की केंद्र सरकार ने रोहिंग्या शरणार्थियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया है। जिसमें सरकार ने सर्वोच्च अदालत को कहा है कि अवैध रोहिंग्या शरणार्थी देश की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते हैं। हलफनामे में उनके पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से कनेक्शन होने की आशंका जताई गई है और उन्हें भारत में रहने की इजाजत नहीं देने का अनुरोध किया है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 3 अक्टूबर तक अगली सुनवाई के लिए टाल दिया है। हलफनामे की मानें तो देश में अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या 40 हजार से ऊपर पहुंच गई है। ऐसे में कहा गया है कि जिन लोगों के पास संयुक्त राष्ट्र के दस्तावेज नहीं हैं, उन्हें भारत से जाना ही होगा। बांग्लादेश कर रहा है व्यवस्थावहीं भारत का पड़ोसी देश बांग्लादेश उन्हें शरण देने की पेशकश कर रहा है। उन्होंने म्यांमार में हिंसा के चलते अपने यहां आये 400,000 से अधिक रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों के लिए 14000 नये आश्रय स्थल का निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया है। बांग्लादेश सरकार का कहना है कि वे रोहिंग्या मुस्लिमों को शरण देने का पूरा इंतजाम कर रहे हैं। साथ ही वे ये भी कह रहे हैं कि इन आश्रय स्थलों का निर्माण इसलिए कर रहें हैं ताकि शरणार्थी एक क्षेत्र में सीमित रहें और पूरे देश में फैल कर अव्यवस्था ना फैलायें।
म्यांमार: वो अकेला शख्स जो सुलझा सकता है रोहिंग्या संकटपाकिस्तान क्या करेगा
इस किस्से में सबसे अजीब स्थिति पाकिस्तान की लग रही है। उनके यहां से कोई आधिकारिक बयान इस स्थिति पर नहीं आया है, लेकिन पाकिस्तानी आतंकवादी मसूद अजहर ने खुलकर रोहिंग्या मुसलमानों का समर्थन कर दिया है। मसूद ने हाल ही में कहा है कि म्यांमार मुस्लिमों के बलिदान के चलते पूरी दुनिया में मुस्लिम समाज में एक जुटता आई है। इसीलिए उसने आवाह्न किया है कि दुनिया के सभी मुस्लिमों को इस मामले में एक साथ आना चाहिए।
दुनिया में 5 शरणार्थी समस्याएं जो कर रही मानवता को शर्मसारइस बीच जहां से ये सारा मामला शुरू हुआ यानि म्यांमार, वहां की नेता आंग सांग सू ची ने कहा है कि वो रोहिंग्या मुसलमानों से बात करना चाहती हैं, ताकि जान सकें कि वे म्यांमार छोड़कर क्यों जा रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि रोहिंग्या संकट से निपटने के लिए उनकी सरकार की जो अंतरराष्ट्रीय आलोचना हो रही है उससे उन्हें डर नहीं लगता है। म्यांमार के उत्तरी रख़ाइन प्रांत में 25 अगस्त को रोहिंग्या संकट की शुरुआत के बाद पहली बार देश को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि ज्यादातर मुसलमानों ने रख़ाइन नहीं छोड़ा है और हिंसा अब खत्म हो गई है।
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