कवियों-सूफियों की कल्पनाओं में फूटने वाले प्रेम के ढाई आखर को अब बकायदा विषय के रूप में शामिल किया जाएगा. जहां विद्यार्थी न सिर्फ पाठ्यक्रम के तहत इसका अध्ययन करेंगे बल्कि पचास नंबरों की प्रेम-परीक्षा भी देंगे. कोलकाता में अंग्रेजों के जमाने में बना विरासती प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय विषय के रूप में प्रेम का पाठ पढ़ाएगा. इसमें विद्यार्थियों को बताया जाएगा कि प्यार क्या है? कहां कब और कैसे होता है प्यार? कब और कैसे पता चलता है कि प्यार हो गया? ऐसे ही कई रोचक सवालों के जवाब तलाशने यहां आएंगे छात्र.


लव को पाठ्यक्रम में शामिल करने का सुझावविवि के समाज विज्ञान विभाग ने ‘लव’ यानी ‘प्यार’ को एक पाठ्यक्रम के रूप में शामिल करने का सुझाव दिया, जिसे विवि प्रबंधन ने भी हाथों-हाथ लिया. इस पाठ्यक्रम का किसी भी विषय में स्नातक कर रहा विद्यार्थी अध्ययन कर सकता है. जिसकी परीक्षा के लिए 50 नंबरों का पेपर भी शुरू   किया जाएगा. पाठ्यक्रम में सामाजिक नजरिए से प्यार की अवधारणा केविभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला जाएगा. जिसमें भक्तिकाल से शुरू हुई प्रेम की परिभाषा को मौजूदा बॉलीवुड तक के नजरिये से परखने-समझने की कोशिश की जाएगी. नए सिलेबस में प्रेम का निचोड़


प्रेसिडेंसी विवि की उप कुलपति मालबिका सरकार कहती हैं कि कला के विविध रूपों में प्रेम की अवधारणा व परिभाषाएं भी भिन्न हैं और नए   पाठ्यक्रम में इन सबका निचोड़ होगा. हम सूफी गायन के अलावा रवींद्र संगीत, बालीवुड की फिल्मों और साहित्य में गढ़ी गई प्रेम की परिभाषा  को इसमें शामिल करेंगे. तीसरे या चौथे सेमेस्टर में ले सकेंगे पेपर

उन्होंने बताया कि फिलहाल इस साल दाखिला लेने वाले छात्र तीसरे या चौथे सेमेस्टर में यह पेपर ले सकेंगे, लेकिन भविष्य में इसे पहले सेमेस्टर से शुरू  करने की योजना है. समाज विज्ञानी प्रोफेसर स्वप्न कुमार प्रमाणिक का कहना है कि अब तक समाज विज्ञान के तहत परिवार पर एक अध्याय होता है लेकिन प्यार पर अलग पाठ्यक्रम शुरू करने की यह पहल एक मिसाल है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh