टीम इंडिया के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी का कहना है कि बचपन में मास्टर ब्लास्टर उनके आइकन हुआ करते थे और उन्होंने अपने कमरे में सचिन का एक पोस्टर लगा रखा था. ऐसी ही कुछ अनकही बातों को धोनी ने बीबीसी के साथ साझा किया.


हमने सुना है कि एक ज़माने में आपके रांची के घर में सचिन तेंदुलकर का एक बहुत बड़ा पोस्टर आप रखते थे, क्या ये सच है?हां, ये बात सच है, मेरे पास सचिन का पोस्टर था, लेकिन बहुत बड़ा नहीं. सचिन का एक छोटे आकार का पोस्टर ज़रूर मैं अपने कमरे में रखता था.जब हम छोटे थे और क्रिकेट खेलना शुरू किया था, उस वक्त सचिन एक बहुत बड़े आइकन थे. ये बात लगभग 1993-94 की होगी.मेरा जन्म 1981 में हुआ था. सचिन ने 1989 में इंटरनेशनल क्रिकेट खेलना शुरू किया था. 16-17 साल की उम्र में उस समय भारतीय टीम में दिग्गज खिलाड़ियों के बीच खेलना बहुत बड़ी उपलब्धि थी. सचिन के आक्रामक खेल से ही धोनी को आक्रामक खिलाड़ी बनने की प्रेरणा मिली.


सचिन को चौके और छक्के मारते देख आपको उनसे प्रेरणा मिली. लेकिन आप अपने दिल से बताइए  विश्व कप और जयपुर के मैच में आपको चौके-छक्के मारते देख सचिन की क्या प्रतिक्रिया थी?

मेरे लिए वो बहुत अच्छा पल था, मेरे साथियों ने भी उसका काफी मजा लिया था. पाजी ने भी उसका काफी मज़ा लिया. जब मैंने 183 की पारी खेली तब भी काफी मजा आया क्योंकि उस वक्त हम 290 के आसपास स्कोर का पीछा कर रहे थे, यह उस वक्त एक टफ स्कोर माना जाता था.हालांकि ये बहुत पुरानी बात नहीं है लेकिन इस स्कोर का पीछा करने के बाद जीत से सब बहुत खुश थे. सचिन भी बहुत खुश थे, जिस तरह हमने मैच को चौके-छक्के लगाकर मैच जीता. लगभग 10 छक्के लगे थे इस मैच में.विश्व कप के मैच की बात करें तो टीम का हर सदस्य जीतना चाहता था. पूरी टीम ने बहुत मेहनत की थी. ये कहा जाता है कि मेज़बान टीम के लिए विश्व कप जीतना बहुत मुश्किल होता है. क्वार्टर फ़ाइनल और सेमीफ़ाइनल में हमने काफी क़रीबी मैच खेले थे.फ़ाइनल में फिर जिस तरह हमने रिकॉर्ड स्कोर का पीछा किया था और जीत हासिल की थी, सबकी प्रतिक्रिया बहुत खुशनुमा थी. सब बहुत खुश थे, वो एक बहुत विशेष पल था.धोनी ये बताइए कि आपको सचिन के आंकड़े जैसे 24 साल तक क्रिकेट खेलना, 100 शतक बनाना, 200 टेस्ट, हजारों रन असामान्य नहीं लगते?

बहुत ज़्यादा असामान्य है, लेकिन मुझे लगता है इसमें टैलेंट और कड़ी मेहनत के अलावा सटीक टाइमिंग का भी हाथ है. इतना लंबा इवेंटफ़ुल करियर होने के लिए आपको जल्दी शुरूआत करनी पड़ती है.क्योंकि अगर कोई खिलाड़ी 20 साल की उम्र में खेलना शुरू करता है तो भारत में वो 44 साल तक नहीं खेल सकता. इसलिए मुझे लगता है कि सचिन के करियर शुरू करने की टाइमिंग बहुत सटीक थी.उन्होंने सही समय पर इंटरनेशनल क्रिकेट खेलना शुरू किया. बीच में कुछ चोटों के कारण वो लगभग 6 महीने तक मैदान पर नहीं आ पाए. लेकिन उन्होंने हमेशा वापसी की.क्रिकेट मुख्य चीज थी. तो जिस तरह उन्होंने मेहनत की, खुद को मेंटेन किया और सफलता को जिस तरह संभाला, इन सब आंकड़ों को जिन्हें आप 'असामान्य' बता रहे हैं उन्हें बनाने में इन सब चीज़ों का बहुत बड़ा हाथ है.ये जो मुकाम आने जा रहा है लोग कह रहे हैं, कि उनको पहले ही खेलना छोड़ देना चाहिए था या और खेलना चाहिए था. क्या आपको नहीं लगता कि हमें उनके इस सफ़र का, जो अब अंतिम दौर में है उसका आनंद उठाना चाहिए. क्या कहना है इस पर आपका?मुझे नहीं पता कि लोग क्या कह रहे हैं, मैं बस इतना जानता हूँ कि मेरे पास  सचिन तेंदुलकर को लाइव खेलते देखने के लिए, उनके साथ ड्रेसिंग रूम शेयर करने के लिए बस आख़िरी टेस्ट मैच है.
मैं इसका मज़ा लेना चाहता हूँ. उन्होंने हमें अपने इस सफर में खुशी और आनंद के कई क्षण दिए हैं, कई 'माइलस्टोन' और 'लैंडमार्क' बनाए हैं.यह टेस्ट मैच बहुत विशेष है, क्योंकि हमें पता है कि सचिन इसके बाद इंटरनेशनल क्रिकेट में कभी नहीं दिखेंगे. उन्हें और खेलना चाहिए था या नहीं, क्योंकि वो फ़ैसला कर चुके हैं कि 200वां टेस्ट उनका आखिरी टेस्ट होगा तो हमें इसका मजा लेना चाहिए.दिल से मैं ये चाहता हूँ कि वो अंतिम टेस्ट मैच में, उस तरह खेलें जिस तरह वो चाहते हैं. हम ये कह कर कि वो  शतक लगाएं, उन पर किसी तरह का कोई दबाव नहीं डालना चाहते. उन्हें अंतिम मैच का मज़ा लेने दें.मैं निराश नहीं हूँ, लेकिन दिल के एक कोने में टीस जरूर है कि हम अब कभी सचिन को इंटरनेशनल क्रिकेट में खेलते नहीं देखेंगे. लेकिन दूसरी कई खुशियां हैं, जो अपने लंबे करियर में उन्होंने हमें दी हैं, वो इसकी भरपाई कर देंगी.उनका लंबा करियर, जिस तरह उन्होंने परफॉर्म किया है, जिस तरह उन्होंने चोटों से जूझकर हर बार वापसी की है, और उनका महान व्यक्तित्व होने से मैं बहुत खुश हूँ.
सचिन को लोग उनके 'असामान्य' आंकड़ों के लिए एक क्रिकेटर के तौर पर ही सबसे पहले याद करेंगे.सचिन एक महान क्रिकेटर और एक महान व्यक्ति हैं और हमेशा सिर्फ युवा क्रिकेटरों के ही नहीं सबके प्रेरणास्रोत रहेंगे.

Posted By: Satyendra Kumar Singh