मेरे रूम में भी था सचिन का पोस्टर: धोनी
हमने सुना है कि एक ज़माने में आपके रांची के घर में सचिन तेंदुलकर का एक बहुत बड़ा पोस्टर आप रखते थे, क्या ये सच है?हां, ये बात सच है, मेरे पास सचिन का पोस्टर था, लेकिन बहुत बड़ा नहीं. सचिन का एक छोटे आकार का पोस्टर ज़रूर मैं अपने कमरे में रखता था.जब हम छोटे थे और क्रिकेट खेलना शुरू किया था, उस वक्त सचिन एक बहुत बड़े आइकन थे. ये बात लगभग 1993-94 की होगी.मेरा जन्म 1981 में हुआ था. सचिन ने 1989 में इंटरनेशनल क्रिकेट खेलना शुरू किया था. 16-17 साल की उम्र में उस समय भारतीय टीम में दिग्गज खिलाड़ियों के बीच खेलना बहुत बड़ी उपलब्धि थी.
सचिन को चौके और छक्के मारते देख आपको उनसे प्रेरणा मिली. लेकिन आप अपने दिल से बताइए विश्व कप और जयपुर के मैच में आपको चौके-छक्के मारते देख सचिन की क्या प्रतिक्रिया थी?
मेरे लिए वो बहुत अच्छा पल था, मेरे साथियों ने भी उसका काफी मजा लिया था. पाजी ने भी उसका काफी मज़ा लिया. जब मैंने 183 की पारी खेली तब भी काफी मजा आया क्योंकि उस वक्त हम 290 के आसपास स्कोर का पीछा कर रहे थे, यह उस वक्त एक टफ स्कोर माना जाता था.हालांकि ये बहुत पुरानी बात नहीं है लेकिन इस स्कोर का पीछा करने के बाद जीत से सब बहुत खुश थे. सचिन भी बहुत खुश थे, जिस तरह हमने मैच को चौके-छक्के लगाकर मैच जीता. लगभग 10 छक्के लगे थे इस मैच में.विश्व कप के मैच की बात करें तो टीम का हर सदस्य जीतना चाहता था. पूरी टीम ने बहुत मेहनत की थी. ये कहा जाता है कि मेज़बान टीम के लिए विश्व कप जीतना बहुत मुश्किल होता है. क्वार्टर फ़ाइनल और सेमीफ़ाइनल में हमने काफी क़रीबी मैच खेले थे.फ़ाइनल में फिर जिस तरह हमने रिकॉर्ड स्कोर का पीछा किया था और जीत हासिल की थी, सबकी प्रतिक्रिया बहुत खुशनुमा थी. सब बहुत खुश थे, वो एक बहुत विशेष पल था.
बहुत ज़्यादा असामान्य है, लेकिन मुझे लगता है इसमें टैलेंट और कड़ी मेहनत के अलावा सटीक टाइमिंग का भी हाथ है. इतना लंबा इवेंटफ़ुल करियर होने के लिए आपको जल्दी शुरूआत करनी पड़ती है.क्योंकि अगर कोई खिलाड़ी 20 साल की उम्र में खेलना शुरू करता है तो भारत में वो 44 साल तक नहीं खेल सकता. इसलिए मुझे लगता है कि सचिन के करियर शुरू करने की टाइमिंग बहुत सटीक थी.उन्होंने सही समय पर इंटरनेशनल क्रिकेट खेलना शुरू किया. बीच में कुछ चोटों के कारण वो लगभग 6 महीने तक मैदान पर नहीं आ पाए. लेकिन उन्होंने हमेशा वापसी की.क्रिकेट मुख्य चीज थी. तो जिस तरह उन्होंने मेहनत की, खुद को मेंटेन किया और सफलता को जिस तरह संभाला, इन सब आंकड़ों को जिन्हें आप 'असामान्य' बता रहे हैं उन्हें बनाने में इन सब चीज़ों का बहुत बड़ा हाथ है.ये जो मुकाम आने जा रहा है लोग कह रहे हैं, कि उनको पहले ही खेलना छोड़ देना चाहिए था या और खेलना चाहिए था. क्या आपको नहीं लगता कि हमें उनके इस सफ़र का, जो अब अंतिम दौर में है उसका आनंद उठाना चाहिए. क्या कहना है इस पर आपका?मुझे नहीं पता कि लोग क्या कह रहे हैं, मैं बस इतना जानता हूँ कि मेरे पास सचिन तेंदुलकर को लाइव खेलते देखने के लिए, उनके साथ ड्रेसिंग रूम शेयर करने के लिए बस आख़िरी टेस्ट मैच है.
सचिन को लोग उनके 'असामान्य' आंकड़ों के लिए एक क्रिकेटर के तौर पर ही सबसे पहले याद करेंगे.सचिन एक महान क्रिकेटर और एक महान व्यक्ति हैं और हमेशा सिर्फ युवा क्रिकेटरों के ही नहीं सबके प्रेरणास्रोत रहेंगे.