दवा मूल्‍य निर्धारण नियामक NPPA ने डायबिटीज और दिल के मर्ज से जुड़ी 50 दवाओं के 108 नॉन शेड्यूल्‍ड फॉर्म्‍युलेशन पैक के दाम तय कर दिये हैं. इससे इस मर्ज से जुड़ी प्रमुख दवाओं के सस्‍ते होने की उम्‍मीद है.


मिलेंगी सस्ती दवाएंइस फैसले के बाद एटोवास्टैटिन, ग्लिक्लेजाइड, ग्लिमेपाइराइड, हेपारिन और मेटोलाजोन जैसी प्रमुख दवाएं सस्ती हो सकती हैं. NPPA ने नोटिफिकेशन में कहा कि यह कदम दवा मूल्य नियंत्रण आदेश (डीपीसीओ) 2013 के 19वें पैराग्राफ के तहत उठाया गया है. इस फैसले के संबंध में इंडियन फार्मा एलायंस के सेक्रेटरी जनरल डी.जी.शाह ने कहा कि हम एनपीपीए नॉन शेड्यूल्ड प्रोडक्ट्स में इस अनुच्छेद को लागू किये जाने के खिलाफ हैं. क्योंकि यह पैराग्राफ NPPA को असाधारण परिस्थिति में यदि सही लगता है तो उसे जनहित में निश्चित अवधि के लिये किसी दवा की कीमत या खुदरा कीमत पर नियंत्रण का अधिकार देता है. यदि NPPA को यह तरीका अपनाने की अनुमति दी जाती है, तो हर दवा की कीमत नियंत्रित हो जायेगी. दवा मूल्य नियंत्रण आदेश 2013 के मुताबिक, सरकार फिलहाल NLEM के दायरे में आने वाली 652 दवाओं की कीमत का नियंत्रण करता है.


ऐंटिबायोटिक्स में नंबर 1

अमेरिकी यूनिवर्सिटी प्रिंसटन के रिसर्चरों की स्टडी मे पता चला है कि इंडिया, दुनिया भर में ऐंटिबायोटिक्स का सबसे बड़ा कंज्यूमर है. इंडिया के बाद इसके सबसे ज्यादा कंज्यूमर चीन और अमेरिका में हैं. ग्लोबल ट्रेंड्स इन ऐंटिबायोटिक्स कंजप्शन, 2000-2010 नाम की स्टडी बताती है कि बीते 10 साल में दुनिया में ऐंटिबायोटिक्स का इस्तेमाल 36 परसेंट तक बढ़ गया है. इस बढ़ोत्तरी में तीन चौथाई हिस्सा केवल 5 ब्रिक्स देशों- भारत, चीन, ब्राजील, रूस और साउथ अफ्रीका का ही है. रिसर्चस का कहना है कि डॉक्टरों से लेकर हॉस्पिटल स्टाफ तक सभी हेल्थ ऑफिसर ऐंटिबायोटिक्स दवाओं के इस्तेमाल पर प्रभावी तरीके से नजर नहीं रख रहे हैं.

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari