पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष अशोक गांगुली को उनके पद से हटाने का औपचारिक अनुरोध किया है.


फ़ेसबुक पर एक पोस्ट के ज़रिये ममता बनर्जी ने कहा है, ''जस्टिस गांगुली के ख़िलाफ़ लगे आरोपों की प्राथमिक स्तर पर पुष्टि होने के बाद उन्होंने राष्ट्रपति को एक दूसरी चिट्ठी भी भेजी है जिसमें उन्हें पद से हटाने की औपचारिक तौर पर सिफ़ारिश की गई है.''राष्ट्रपति, राज्य सरकार की इस सिफ़ारिश को सुप्रीम कोर्ट के पास भेजेंगे. दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट को यदि लगता है कि जस्टिस गांगुली पर लगाये गए आरोप सही हैं तो अदालत उन्हें अध्यक्ष पद से हटाने के लिए सलाह दे सकती है.कहां हैं पेंचलेकिन संविधान विशेषज्ञों ने ये सवाल उठाए हैं कि पीड़ित महिला की तरफ से कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई गई है, ऐसी स्थिति में जस्टिस गांगुली के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कहां तक मुमकिन हो सकेगी.


न्यायाधीशों की एक समिति ने जस्टिस गांगुली के ख़िलाफ़ अपनी ही एक इंटर्न के साथ अपमानजनक व्यवहार करने की प्राथमिक स्तर पर पुष्टि की है.चूंकि जिस दिन ये घटना हुई, तब तक जस्टिस गांगुली अपने आख़िरी दिन का काम ख़त्म कर चुके थे. इस हालत में सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकेगा.

वहीं जस्टिस गांगुली पर पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग से इस्तीफ़ा देने के लिए दबाव बढ़ता जा रहा है. राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस जस्टिस गांगुली का इस्तीफा पहले ही मांग चुकी है.बदलता रुख़उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होने के बाद ममता बनर्जी ने ही जस्टिस गांगुली को राज्य मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया था.लेकिन सरकार के ऊपर मानवाधिकार हनन के एक के बाद एक आरोप लगते रहे हैं और हर एक आरोप में जस्टिस गांगुली राज्य सरकार को दोषी ठहराते रहे हैं.नतीजतन, किसी मामले में सरकार को जुर्माना भरना पड़ा तो किसी मामले में आला अधिकारियों को सुनवाई के लिए आयोग में बुलाया गया. इतना ही नहीं, धीरे-धीरे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी जस्टिस गांगुली के ख़िलाफ़ खुलकर बोलने लगीं.ममता बनर्जी का कहना है, ''हमने ही उन्हें मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष बनाया और अब वो ही सरकार के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने लगे हैं.''यही वजह है कि वे मानवाधिकार आयोग के किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं होती हैं.

Posted By: Subhesh Sharma