प्रतिभाशाली ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज की गेंद से सिर पर चोट लगने से अकस्मात मौत ने पूरी दुन‍िया को झकझोर दिया है. सबसे खास बात यह है कि उन्होंने हेल्मेट भी पहन रखा था ऐसे में सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि क्या वर्तमान हेलमेट पूरी तरह से सुरक्षा देने लायक हैं? क्‍योंक‍ि पिच पर बल्लेबाज जिस गेंद का सामना करते हैं उसका वजन 155 ग्राम से लेकर 163 ग्राम तक होता है जो औसतन अधिकतम 145 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से फेंकी जाती है. ऐसे में इस मौत ने खेल और खासकर क्रिकेट में खिलाड़ियों की सुरक्षा पर एक बार फिर से बहस छेड़ दी है. हालांक‍ि इस मामले में इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकलवॉन ने हेल्मेट की बहस पर कहा क‍ि ह्यूज को लगी चोट के पीछे सुरक्षात्मक उपकरण तकनीक या अन्य कमी जैसा कोई कारण ढूढ़ना बेकार है.

पुराना हेल्मेट नहीं कर सका सुरक्षा
कुछ जानकारों का कहना है कि अगर फिल ह्यूज भारतीय फोरमा हेल्मेट पहने होते तो उनकी जान शायद बच सकती थी, क्योंकि ह्यूज ने क्रिकेट के दौरान  ऑस्ट्रेलियन कंपनी मसूरी का हेल्मेट पहन रखा था. भारतीय क्रिकेटरों की बात करें तो अधिकांश खिलाड़ी फोरमा हेल्मेट इस्तेमाल करते हैं. फोरमा में कान और गर्दन के आस-पास की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा गया है, जबकि मसूरी हेल्मेट ऐसा नहीं है. वहीं मसूरी कंपनी का कहना है कि पुराने हेल्मेट की अपेक्षा लेटेस्ट मॉडल अतिरिक्त सेफ्टी देने में सक्षम है, जब कि फिलिप ह्यूज पुराने मॉडल का हेमलेट पहने हुए थे. इसलिए हेल्मेट उनकी सुरक्षा नहीं कर सका.

न बनाएं इसे बहस का टॉपिक
वहीं, इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकलवॉन ने हेल्मेट की बहस को फिजूल करार देते हुए कहा है कि जब बल्लेबाज चार-छह घंटे लगातार बल्लेबाजी करता है तो एक गेंद जज करने में गलती हो जाती है, उन्होंने पूछा कि क्या जब हेल्मेट नहीं हुआ करते थे तब क्या क्रिकेट नहीं खेला जाता था. हमें ह्यूज की मौत का बहुत दुख है. गौरतलब है कि शेफील्ड शील्ड और न्यू साउथवेल्स के बीच मंगलवार को मैच के दौरान घायल हुए 25 वर्षीय फिलिप ह्यूज कोमा की हालत में सेंट विंसेंट अस्पताल में भर्ती थे. ह्यूज की आपात सर्जरी भी कराई गई थी, लेकिन वह बच नहीं सके. ऑस्ट्रेलियाई टीम के डॉक्टर पीटर ब्रूकनर ने कहा कि चोटिल होने के बाद से मौत तक एक बार के लिए भी फिल ह्यूज को होश नहीं आया.

स्टाइलिश हेल्मेट का जमाना
साल भर पहले ही इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल और ब्रिटिश स्टैंडर्ड इंस्टिट्यूशन हेल्मेट सेफ्टी से जुड़े नए गाइडलाइंस पर सहमत हुए हैं. आजकल टॉप क्रिकेटर फास्ट या मीडियम पेस बॉलिंग अटैक का सामना करते वक्त हेल्मेट का निश्चित तौर पर इस्तेमाल करते हैं. ब्रिटेन में तो 18 साल से कम के क्रिकेटरों को हेल्मेट पहनना अनिवार्य है. आधुनिक हेल्मेट इस तरह डिजाइन किए गए हैं, जो गेंद लगने की दशा में उसके झटके को सोख लेते हैं. इसके लिए, हेल्मेट के अंदरुनी और बाहरी खोल के बीच फोम लगाया जाता है. इसके अलावा, हेल्मेट के खोल कार्बन फाइबर के होते हैं, जो हल्के होने के साथ साथ चोट बर्दाश्त करने लायक होते हैं. आधुनिक क्रिकेट में सबसे स्टाइलिश हेल्मेट्स पहनने के लिए इंग्लैंड के जेम्स टेलर का नाम फेमस है.

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Posted By: Satyendra Kumar Singh