- मदर्स डे को लेकर हर ओर चल रही है सेलिब्रेशन की तैयारियां, लेकिन मां से दूर रह रहे बच्चों को है मदर्स डे पर मां के पास न होने की तकलीफ

- मदर्स डे पर मां से दूर होने के कारण पढ़ने के लिए शहर में रह रही कई ग‌र्ल्स हैं मायूस

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ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ: मां जिसे भगवान से ऊपर का दर्जा मिला। मां वह दोस्त जिसके साथ लाइफ के हर सीक्रेट शेयर करने में बच्चा कभी नहीं हिचकता। मां वह नाम जिसकी गोद में सिर रखते ही जीवन के सारे गम दूर हो जाते हैं। उसी मां के लिए बना खास दिन मदर्स डे संडे को सेलिब्रेट होगा। इस खास दिन के लिए हर कोई अपने लेवल पर तैयारियां कर रहा है। कोई मां को स्पेशल गिफ्ट देने के लिए शॉपिंग करने निकला है तो कोई सरप्राइज प्लैन कर रहा है लेकिन इस दौरान कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जिनकी मां उनसे दूर है और उनको इस बात का गम है कि मदर्स डे पर वह मां की ममता से वंचित रह जायेंगे और वह भी मां को थैंक्स कहने के लिए उनके पास नहीं होंगे।

घर से दूर रहने वालों का है दर्द

बनारस विद्या का मंदिर है। यहां देश विदेश से हर साल हजारों बच्चे अपने पेरेंट्स को छोड़कर पढ़ने आते हैं। ऐसे ही कुछ बच्चों से हमने बातचीत कर उनकी फीलिंग जानी क्योंकि मदर्स डे संडे को सेलिब्रेट होना है और ये बच्चे अपनी मां से दूर उनके बुने गए सपनों को पूरा करने की खातिर घर से दूर रह रहे हैं। बीएचयू की कई छात्राओं ने मदर्स डे पर मां से दूर होने के दर्द को बयां करते हुए कहा कि ये फीलिंग बहुत खराब है क्योंकि जब मार्केट में देखते हैं कि लोग अपनी मां के लिए गिफ्ट ले रहे हैं और मदर्स डे पर बच्चे मां को घुमाने के लिए निकलते हैं तो हमें भी मां की बहुत याद आती है लेकिन क्या करें मां ने ही तो पढ़ा लिखाकर बड़ा आदमी बनाने का सपना संजोकर हमें यहां भेजा। इसलिए उनके खातिर ही यहां हैं।

मैं मदर्स डे पर मां के पास होना चाहती हूं लेकिन कॉलेज के कारण नहीं जा पा रही हूं। मजबूरी है हॉस्टल में ही रहकर मदर्स डे सेलिब्रेट करना होगा।

रचना सिंह, हॉस्टलर

मदर्स डे पर मां से दूर होना बहुत तकलीफ दे रहा है क्योंकि एक वही दिन तो होता है जब हम सब मां को स्पेशल अटेंशन देते हैं। फिर भी मेरी कोशिश होगी की मैं मां के पास जाऊं।

ज्योत्सना सिंह, हॉस्टलर

मां की जगह लाइफ में कोई नहीं ले सकता। उनके लिए एक दिन होता है मदर्स डे का। उस दिन भी उनसे दूर होना बहुत तकलीफ दे रहा है।

सुमित सिंह, हॉस्टलर

मां की ममता का कोई मोल नहीं। मैं मां को थैंक्स नहीं कहती लेकिन मां से दूर होना बहुत दुखद है। खासतौर पर मदर्स डे के मौके पर।

उमा पाठक, हॉस्टलर

मां की जगह जिंदगी में सबसे ऊपर है और उनसे पहले कोई नहीं है। मदर्स डे पर मां के पास जाना चाहता हूं लेकिन पढ़ाई के कारण मुश्किल है।

सुदीपमणि त्रिपाठी, हॉस्टलर

Posted By: Inextlive