डायरेक्‍टर आर. बाल्की की फिल्‍म 'शमिताभ' दो बड़े किरदारों पर आधारित है. यह फिल्‍म बड़ी खूबसूरती से हिंदी फिल्मकारों व सितारों की सोच तथा कार्यप्रणाली पर करारा प्रहार कर जाती है. एक साधारण सी कहानी ने बहुत बड़ा आकार लिया. इसके अलावा फिल्‍म के संगीत ने भी इसकी कहानी को बांधने का काम किया है.

अहम और क्रेडिट लेने का टकराव
फिल्‍म की कहानी में एक किरदार दानिश (धनुष) नामक एक व्‍यक्‍ित की है. जो एक कस्‍बे में रहता है. वह किसी भी कीमत पर फिल्‍म जगत का एक बड़ा सुपरस्‍टार बनना चाहता है, लेकिन न उसके पास कोई संसाधन है और न कोई बड़ा सोर्स है, सबसे बड़ी बात तो यह है कि उसके पास अवाज नहीं होती है. बावजूद इसके वह मुंबई आता है और यहां पर उसकी मुलाकात फिल्म की एडी अक्षरा (अक्षरा हासन) से होती है. ऐसे में वह अक्षरा और एक दूसरे किरदार अमिताभ सिन्‍हा (अमिताभ बच्चन) की आवाज की मदद से बहुत जल्‍द एक बड़ा सुपरस्‍टार बन जाता है, लेकिन फिर वहीं चीजे सामने आ जाती है. दोनों के बीच जल्द ही अहम और क्रेडिट लेने का टकराव शुरू हो जाता है. दोनों के अंदर ये चीजें घर कर जाती हैं.

Shamitabh
U/A; Drama
Director: R. Balki
Cast: Amitabh Bachchan, Dhanush, Akshara Haasan, Abhinaya Anand

 

फिल्म को कहीं से भी बोझिल नहीं होने दी
फिल्‍म ने कुछ लेवल तक अच्‍छा काम किया है. आर. बाल्की ने फिल्‍म को बोझिल नहीं होने दिया है. सबसे खास बात तो यह है कि उन्‍होंने एक बड़ी ही नार्मल स्‍टोरी को उठाया और उसे तरास कर एक फिल्‍म के रूप में पेश किया. उन्होंने फिल्‍म में परिस्थितियों का ताना-बाना बेहद रोचक और तार्किक बुना है. जिससे कि फिल्‍म को बड़ा क्रेडिट मिलता है. इसके अलावा फिल्‍म के गाने भी उसकी स्‍टोरी को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं. शमिताभ फिल्म का निर्देशन बेजोड़ है. सबसे खास बात तो यह है कि निदेशक आर. बाल्की ने फिल्म को कहीं से भी बोझिल नहीं होने दिया है. उन्‍होंने फिल्‍म में बॉलीवुड की एक सच्‍ची कहानी को उभारा है. कि कैसे इस इंडस्‍ट्री में लोग आते हैं और अपना करियर बनाने के लिए स्‍ट्रगल करते हैं. ढाई घंटे की इस जब बीच में कुछ स्‍ट्रेच्‍ड आते हैं. ऐसे में फिल्‍म में कई सीन ऐसे हैं जो पटरी से उतरती फिल्‍म में जान डालने का काम करते हैं. जिससे फिल्‍म में अंत तक कॉमेडी, सीरियस, भावुकता के सींस का प्रेजंटेशन हो चुका होता है. इसके अलावा शमिताभ में किरदारों की असुरक्षा, अविश्वास और अहम की गुत्थमगुत्थी बारीकी से देखने को मिलती है.

अदाकारी पर अभी और काम करना होगा
एक बात तो साफ है कि लाइफ के कुछ खास सीक्‍वेंस देखने के लिए इस फिल्‍म को जरूर देखें. जिसमें यह दिखाया गया है कि लोग अलग अलग जरूर हो सकते हैं, लेकिन उन्‍हें आपस में मिलाकर उनके टैलेंट को एक दिशा दी जा सकती है. टैलेंट से भरा धनुष कड़ी मेहनत से अपनी प्रतिभा को बाहर निकालता है तो किस तरह से वह एक सक्‍सेज मैन बन जाता है. सफलता उसके कदम चूमती है. इसके अलावा वहीं अमिताभ बच्‍चन कुछ भी न होते हुए एक अच्‍छी और मोहक आवाज रखते हैं. जिससे अपनी मेहनत और आवाज के बल पर अपने कैरियर को बुलंदियों तक पहुंचाते हैं. जिससे यह साफ है कि फिल्‍म में इनकी भूमिका ठीक ठाक हैं. वहीं अक्षरा हासन इस फिल्म से अपना डेब्यू कर रही हैं. उन्होंने असिस्टेंट डायरेक्टर यानी एडी की भूमिका अच्‍छे से निभायी है, लेकिन उन्हें अपनी अदाकारी पर अभी और काम करना होगा. एक एक्‍ट्रेस के रूप में उन्‍हें अभी खुद को और भी तरासने की जरूरत है.

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Posted By: Satyendra Kumar Singh