पिछले कुछ दिनों से नेट न्‍यूट्रलिटी को लेकर चल रहा विवाद काफी गहराता जा रहा है. भारती एयरटेल द्वारा फ्लिपकार्ट के साथ 'एयरटेल जीरो' स्‍कीम शुरु करने से इंटरनेट की स्‍वतंत्रता पर सवाल खड़े होने लगे हैं. जिसको लेकर सभी देशवासी एक साथ मिलकर प्रोटेस्‍ट करना शुरु कर दिया. हालांकि उनकी यह मेहनत रंग लाई और फ्लिपकार्ट ने एयरटेल को बॉय बोल दिया. फिलहाल यह जंग और कितनी लंबी होती है यह तो वक्‍त बताएगा लेकिन हम आपको बताते हैं नेट चार्ज को लेकर टेलिकॉम कंपनियों के बड़े-बड़े खेल....

पहले समझे अपने डेटा को
सबसे पहले हम बात करते हैं डेटा की. यह दो तरह का होता है. पहला है हेवी डेटा, इसमें वीडियो और वॉयस कॉल वगैरह चलती हैं. जबकि दूसरे यानी कि लाइट डेटा में टेक्स्ट और मैसेज वगैरह ट्रैवेल होता है. अब यहां यह समझना होगा कि, डेटा सिर्फ डेटा होता है, जोकि 0 और 1 बाइनरी नंबर्स में ट्रैवेल करता है. किसी भी टेलिकॉम कंपनी को इन्हीं नंबर्स के सहारे डेटा इधर से उधर भेजना होता है अब इसमें चाहे वीडियो हो या फिर टेक्स्ट. अब ऐसे में जितनी कॉस्ट 1 जीबी के टेक्स्ट डेटा में आएगी उतनी ही 1 जीबी के वीडियो या वॉयस डेटा में. लेकिन कंपनियां वीडियो या वॉयस कॉल के लिए अलग चार्ज लेती हैं जोकि गलत है.
5 के बदले वसूलते हैं 250
अब अगर इंटरनेशनल कनेक्िटविटी की बात करें, तो इसमें 2एमबीपीएस डेटा के लिए कंपनियों को 20,000-40,000 रुपये प्रति महीना चार्ज देना पड़ता है. अब इसे 1जीबी के हिसाब से काउंट किया जाए तो कंपनी को 30-60 रुपये प्रति जीबी भुगतान करना पड़ता है. हालांकि यह चार्ज लोकल ऑपरेटर्स के लिए होता है. एयरटेल और आइडिया जैसे बड़ी कंपनियों के यह चार्ज सिर्फ 5-10 रुपये प्रति जीबी लगता है. लेकिन कंपनियां अपने कस्टमर्स को 1जीबी डेटा 250 रुपये में बेचती हैं. यानी कि कंपनियों को लगभग 50 गुना सीधा मुनाफा होता है. हालांकि वहीं MTNL जैसी छोटी कंपनियां 83 रुपये वसूलकर कम मुनाफा कमाती हैं.

तीन तरह का है डेटा सोर्स :-

इस गणित को समझने के लिए सबसे पहले डेटा सोर्स को जानना होगा. यह तीन प्रकार का होता है.
- Indian ISP (peer) directly
- Indian ISP through the NIXI
- outside India
outside India :- इसमें डेटा सोर्स इंडिया के बाहर होता है. जैसे कि यूएस और रोमानिया से डेटा ट्रांसफर होता है जोकि इंडिया में लगे हुए लैंडिंग स्टेशन (मुंबई और चेन्नई) पर आता है. जिसके बाद यह लोकल और नेशनल टेलिकॉम ऑपरेटर्स कंपनियों द्वारा सेलुलर टॉवर पर ट्रांसपोर्ट कर दिया जाता है. इसके बाद वॉयरलेस के जरिए इसे स्मार्टफोन या डोंगल पर रिसीव कर लिया जाता है. इसमें कंपनियों को डेटा कॉस्ट 5-10 रुपये प्रति जीबी पड़ता है.
ISP through the NIXI :- इसे India's National Internet Exchange कहा जाता है. यह इंडिया का डेटा सेंटर कहलाता है. इसे होलसप्लॉयर के तौर पर माना जाता है, जोकि एक्चेंज प्लेटफॉर्म के तरह वर्क करता है. यह घरेलू सेंटर होता है, इसमें कंपनियों को डेटा कॉस्ट 0-5 रुपये प्रति जीबी देना पड़ता है.

ISP (peer) directly :-
इसमें दो कंपनियां आपस में मिलकर डेटा ट्रांसफर करती हैं. अब ऐसे में कंपनियों को या तो NIXI के जरिए डेटा ट्रांसफर करना होता है, या फिर पीयर प्रोसेस से.

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari