व‌र्ल्ड एपीलेप्सी डे

- मरीजों को ज्यादा देखभाल और सहानुभूति की होती है जरूरत

- कई कारणों से होता है मिर्गी का रोग, पारिवारिक इतिहास भी है रीजन

PRAYAGRAJ: जिसे भूत प्रेत का साया कहा जाता है, असल में वह मिर्गी रोग है। आज भी सोसायटी में मिर्गी के मरीजों को हेय दृष्टि से देखा जाता है। अगर दवाओं के साथ मरीज को अपनापन मिले तो रोगी सामान्य जीवन बिता सकता है। व‌र्ल्ड इपीलेप्सी डे पर रविवार को सिटी में कई जगह अवेयरनेस प्रोगाम्स आर्गनाइज किया गया।

सिटी में भी बढ़ रहे मरीज

सिटी में मिर्गी के रोगियों की संख्या में इजाफा हो रहा है। प्रति हजार 5-6 मरीज इस समय मौजूद हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक इंडिया में प्रति वर्ष पांच लाख नए मरीज सामने आ रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, जब ब्रेन में स्थायी रूप से परिवर्तन हो जाता है और ब्रेन असामान्य संकेत भेजता है, तब मिर्गी के दौरे पड़ते हैं। इससे मस्तिष्क की कार्यप्रणाली गड़बड़ा जाती है। 15 परसेंट मामलों में ही इस रोग का कारण पारिवारिक इतिहास होता है।

ये हैं लक्षण

- शरीर में झुनझुनाहट होना, उस गंध को सूंघना, जो वास्तव में वहां होती ही नहीं है, या भावनात्मक बदलाव। इसके अलावा चाल गड़बड़ा जाना, देखने, सुनने और स्वाद को पहचानने में गड़बड़ी, मूड खराब होना और बेहोशी जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं।

ये हैं कारण

- सिर में गहरी चोट लगना

- स्ट्रोक, ब्रेन ट्यूमर, डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी बीमारियां।

- भावनात्मक दबाव व नींद की कमी।

- अत्यधिक शराब का सेवन।

चलाया गया अवेयरनेस कैम्पेन

मिर्गी दिवस के मौके पर राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सोहबतियाबाग मजार पर दुआ से दवा तक प्रोग्राम का आयोजन किया गया। जिसका नेतृत्व नोडल अधिकारी डॉ। वीके मिश्रा ने किया। मौके पर मजार पर आए सभी श्रद्धालुओं को इपिलेप्सी अर्थात मिर्गी के बारे में जानकारी देना था। मनोचिकित्सक डॉ। राकेश पासवान ने मानसिक परेशानियों से ग्रस्त मरीजों की पहचान की। जिसमें मिर्गी, डिसोसिएशन, बाइपोलर अफेक्टिव डिसऑर्डर, शिजोफ्रेनिया आदि के रोगी शामिल थे। उनको ऑन स्पॉट दवाएं उपलब्ध कराई गई। क्लीनिकल साइकोलाजिस्ट डॉ। ईशान्या राज ने दवाईयों की अहमियत के बारे में बताया।

Posted By: Inextlive