Bareilly : स्पेशल 26 मूवी का 'सोलंकीÓ का कैरेक्टर आपको याद ही होगा. इस कैरेक्टर को निभाने वाले उज्जवल चोपड़ा किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. कई फिल्मों में काम कर चुके उज्जवल टीवी इंडस्ट्री थिएटर और एड वल्र्ड का भी जाना माना चेहरा हैं. सिटी के एक थिएटर फेस्ट में परफॉर्म करने आए उज्ज्वल ने अपने करियर और इंडस्ट्री के बारे में आई नेक्स्ट रिपोर्टर से खुलकर बात की.


आपके करियर की शुरुआत कहां से हुई?मैंने कोई प्रोफेशनल डिग्री नहीं ली। वक्त ही मेरा गुरु है। 12 साल से इस फील्ड में हूं। 1997 में मुंबई थिएटर से मेरे करियर की शुरुआत हुई। फिर वहीं मुझे पहला ब्रेक मिला। डायरेक्टर अभिनव देव ने 2003 में मुझे एक एड में कास्ट किया। बस उसके बाद से मेरा सफर शुरू हो गया।स्पेशल 26 में सोलंकी का रोल करने का अनुभव कैसा रहा?यकीन मानिए, इस रोल के लिए मुझे उम्मीद से ज्यादा बधाईयां मिलीं। ये रोल करने का फैसला मुझे शुरू में तो बचकाना लगा लेकिन बाद में यह प्लस प्वॉइंट हो गया। अब मैं अच्छा फील करता हूं। लोग मुझे सोलंकी के नाम से पुकारने लगे हैं। कई सारी मूवीज का ऑफर मिला लेकिन मैं अब कोएक्टर की भूमिका नहीं निभाना चाहता हूं। थिएटर से जुड़ाव की क्या वजह है?


थिएटर की ओर खिंचाव महसूस करता हूं। यह मेरा जूनून, नशा और पैशन है। मैं मौके ढूंढता रहता हूं थिएटर परफॉर्मेंस के लिए और जैसे ही टाइम मिलता है फिर मैं रुकता नहीं।आप अपना फेवरेट रोल बताइए?

परफॉर्मेंस, एक्टिंग और स्टोरी के लिहाज से देखूं तो 'बिट्टू बॉसÓ मुझे काफी पसंद है। इस फिल्म में मैंने ज्यादा अच्छा परफॉर्म किया है लेकिन क्या करें हिट या फ्लॉप तो बॉलीवुड में माएने रखता है।आपको नहीं लगता कि बॉलीवुड में स्टोरीज की कमी है?देखा जाए तो अब तो बहुत बेटर हालात हैं। हर डायरेक्टर का कहानी कहने का अपना तरीका होना चाहिए। ऑर्डिनरी स्टोरीलाइन को भी अलग और इंट्रेस्टिंग वे में प्रेजेंट किया जाए तो फिल्म चल सकती है। वहीं अब तो न्यू फेसेज को भी मौका मिलने लगा है। स्टोरी से ही तो किरदार, कलाकार, एक्टर और कैरेक्टर निकलते हैं। पहले इंडस्ट्री में कैरेक्टर आर्टिस्ट थे। फिर सबकुछ हीरो पर डिपेंडेंट हो गया, लेकिन इधर कुछ सालों से माहौल चेंज हो गया है। फ्यूचर प्लान क्या है?फिलहाल मूवीज तो नहीं। एक म्यूजिकल थिएटर कर रहा हूं 'रंग रंगीला गिट्टू गिरगिटÓ। दो नाटक भी कर रहा हूं। वहीं भारत रंग महोत्सव के लिए शिप ऑफ थियासिस के नीरज कवि के प्ले 'हैमलेटÓ की तैयारी में जुटा हूं।यंगस्टर्स के लिए कोई मैसेज?

यंगस्टर्स और न्यूकमर्स को चाहिए कि वह पेशेंस रखें। कोई भी जॉब हो या काम, सिर पर एक तलवार लटकती ही रहती है। यही हाल फिल्म इंडस्ट्री का भी है। अगर कोई इस फील्ड में आना चाहता है तो पेशेंस के साथ आगे बढ़े। वहीं बड़े चांस के चक्कर में मिल रहे मौके को मत छोडि़ए।

Posted By: Inextlive