सामाजिक कार्यकर्ता अन्‍ना हजारे और अरविंद केजरीवाल की जोड़ी कैसे टूटी इसको कोई स्‍पष्‍ट जवाब अभी नहीं मिल सका है. इन दोनों के रिश्‍ते में अचानक इतनी बड़ी दीवार आखिर कैसे आ गई. आइये हम अपको बताते हैं हजारे और केजरीवाल कैसे हुये अलग...

चिठ्ठी ने खोला था राज
एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूपीए शासन के दौरान तत्कालीन विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद और अन्ना हजारे की गुप्त बैठक के बाद पीएमओ की ओर से अन्ना को एक चिठ्ठी लिखी गई थी. हालांकि यह चिठ्ठी अन्ना हजारे के पास नहीं बल्कि केजरीवाल के पते पर भेज दी गई थी. इसके बाद इस मामले से जुड़े सूत्रों के हवाले से बताया है कि हजारे को पीएमओ की ओर से चिठ्ठी मिलने के कारण केजरीवाल को शक हो गया. केजरीवाल ने जब उस चिठ्ठी को खोला, जब पता चला कि अन्ना ने कांग्रेस के साथ समझौता कर लिया है.
अन्ना हजारे ने बहुत छिपाया
दरअसल केजरीवाल के पास जो चिठ्ठी आई थी, उसमें अन्ना और खुर्शीद के बीच पुणे में हुई मीटिंग का जिक्र था. इसके अलावा इस चिठ्ठी में कांग्रेस के लिये 2014 लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिये अन्ना द्वारा इचछा जताये जाने को लेकर भी धन्यवाद दिया गया था. इसके बाद नाराज केजरीवाल ने खुर्शीद को कथित सीक्रेट मिशन को लेकर प्रेस कांफ्रेंस किया और मनमोहन सिंह सरकार पर अपने और अन्ना के बीच दीवार खड़ी करने का आरोप लगाया था. हालांकि वक्त से पहले इस मामले का खुलासा होने से खुर्शीद को झटका लगा. इस पूरे मामले को अन्ना हजारे गुप्त रखना चाहते थे और उन्होंने खुर्शीद से मुलाकात के बारे में मीडिया के सामने इंकार करने को भी कहा था.
चोरी छिपे मिले थे अन्ना और खुर्शीद
सूत्रों की मानें तो अन्ना हजारे ने पुणे में मौजूद किरन बेदी और अन्य करीबियों को कहा कि वह एक संत से मुलाकात करने जा रहे हैं, जिन्हें यह पसंद नहीं कि अन्ना के साथ कोई और आये. इस मुलाकात को अन्ना ने इतना गुप्त रखा कि वह अपने सुरक्षाकर्मियों को भी साथ में नहीं ले गये. वहीं दूसरी ओर खुर्शीद ने अपनी सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मियों को कहा कि उनकी पत्नी की चाची की मौत हो गई है, इसलिये वह अकेले ही जायेंगे. इसके बाद अन्ना और खुर्शीद ने मुलाकात की. आपको बताते चलें कि इस मीटिंग में खुर्शीद ने उस शख्स के सामने सरकार का पक्ष रखा, जिसने एक आंदोलन के जरिये देश को कांग्रेस के खिलाफ कर दिया था.

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari