शहर में दूध में जमकर चल रही मिलावटखोरी, जहर सरीखा दूध पी रहे हैं हम

रेट पर भी नहीं है कोई लगाम, डिमांड के अनुसार दो से तीन गुना तक बढ़ जाता है रेट

-मिलावटखोरों पर नहीं होती प्रॉपर कार्रवाई, सिर्फ त्योहारों के आसपास होती है खानापूर्ति

VARANASI : बच्चों के लिए दूध कितना जरूरी है, ये बताने की जरूरत नहीं मगर ये दूध अगर बच्चे की सेहत बनाने के लिए उसकी जान के लिए खतरा बन जाए तो चिंतित होना लाजिमी है। जी हां, इस शहर में जो दूध बिक रहा है, उसकी जहरीली सच्चाई जानकार आप भी यही कहेंगे कि ऐसे दूध से अच्छा तो बच्चा बिना दूध के ही रहे। बच्चे ही क्यों, सभी की भलाई इसी में है कि यूरिया-डिटर्जेट मिले इस दूध से दूर ही रहे। तो आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि दूध के नाम पर किस तरह जहर बेच रहे हैं मौत के सौदागर?

बच्चे ऐसे दूध बिना ही अच्छे

इस शहर में हर घर तक दूध जरूरत के मुताबिक नहीं पहुंच पा रहा है। घर में दुधमुंहे बच्चे का पेट भरने के लिए दूध तलाशते माता-पिता बाजार में भटकते रहते हैं लेकिन दूध नहीं मिलता। कहीं दूध मिलता भी है तो पानी की तरह और कहीं भाव आसमान छूता रहता है। इसकी वजह साफ है। दूध की डिमांड बढ़ती जा रही है और प्रॉडक्शन घटता जा रहा है। इसका पूरा फायदा दूधिए उठा रहे हैं। वह लोगों को दूध के बदले जहर पिला रहे हैं। इसका खुलासा दूध के लिए नमूनों के रिपोर्ट से हुआ है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग ने मिल्क और मिल्क प्रॉडक्ट्स के डेढ़ सौ अधिक नमूने लिए। इनमें से भ्0 परसेंट में गड़बड़ी मिली है। किसी में डिटर्जेट मिला था तो किसी में यूरिया।

सफेद दूध धोखा है

मिल्क और मिल्क प्रॉडक्ट्स के नमूनों की प्रयोगशाला में जांच के बाद पता चला है कि शहर में बिकने वाले दूध में ऐसा कुछ मिलाया जा रहा जो इंसान की सेहत के लिए बेहद खतरनाक होता है। पराग डेयरी के पूर्व चेयरमैन नवल किशोर सिंह के अनुसार दूधिए दूध में यूरिया मिलाते हैं। इससे दूध इस भीषण गर्मी में भी बिना गर्म किए खराब नहीं होता है। दूध में डिटर्जेट भी मिलाया जाता है। इससे दूध गाढ़ा नजर आता है। वहीं वॉइटनर से दूध की वॉइटनेस को बढ़ा दिया जाता है। आमतौर पर मंडियों में लाकर बेचने वाले दूधिए इनका जमकर इस्तेमाल करते हैं। उन्हें देर तक मंडी में रहना होता है। ऐसे में दूध को खराब होने से बचाना जरूरी है। यहां दूध लेने आने वाले इसकी वॉइटनेस और गाढ़ापन देखकर कीमत तय करते हैं। यह काम मिलावट आसानी से कर देता है।

ऐसे करते हैं मिलावटी दूध तैयार

-सिटी की मंडियों में पहुंचने वाला ज्यादातर दूध आसपास के गांवों से आता है

-दूधिए साइकिल, बाइक और मालवाहक पर लादकर लाते हैं

-दूध को निकालने के बाद मंडी लाने से पहले यूरिया मिला जाता है

-जब तक वह मंडी में पहुंचता है तब तक यूरिया पूरी तरह दूध में घुल जाता है और दूध गाढ़ा हो जाता है

-दूध में डिटर्जेट मिलाने का काम उसे बेचने से थोड़ा पहले किया जाता है

-इससे कस्टमर को गाढ़ापन नजर आता है

-वॉइटनर के इस्तेमाल से पहले दूध में जमकर पानी मिलाया जाता है

-दूधिए खुद भी मिलावटी दूध तैयार करते हैं और मंडी में मौजूद एक्सप‌र्ट्स की हेल्प भी लेते हैं

-मिलावटी दूध तैयार करने के लिए मात्रा का ध्यान रखना जरूरी है नहीं तो दूध के रंग में काफी अंतर होगा

डिमांड अधिक सप्लाई है कम

-डेयरी संचालक राजेश यादव का कहना है कि मिलावट की वजह दूध की अधिक डिमांड है

-बनारस में दूध की जितनी डिमांड है उस हिसाब से सप्लाई नहीं हो पाती है

-आसपास के जिले के अलावा कई दुग्ध सहकारी समितियों का भी प्रॉडक्ट भी यहां पहुंचता है

-आम दिनों में बनारस में डेली लगभग छह लाख लीटर दूध की डिमांड होती है

-तेज लगन और त्योहार में यह बढ़कर आठ से नौ लाख लीटर तक पहुंच जाती हैं

-शहर में डेली चार से पांच लाख लीटर दूध ही पहुंचता है

-शहर में आने वाला दूध आसपास के दो सौ गांवों से पहुंचता है

-रामनगर, चंदौली, मिर्जापुर, मेरठ, सहारनपुर, बलिया में मौजूद बड़ी डेयरियां यहां दूध की सप्लाई करती हैं

-दूध की सप्लाई पैकेट बंद के साथ डोर टू डोर होती है

-दूध की बड़ी बिक्री लंका, गोदौलिया, अर्दली बाजार समेत अन्य स्थानों पर मौजूद सट्टी से होती है

सोने से तेज बढ़ती है कीमत

सोने की कीमत जितनी तेजी से नहीं बढ़ती है उतनी तेजी से इस शहर में दूध की कीमत बढ़ती है। डिमांड बढ़ने के साथ रेट दो गुना से तीन गुना होने में वक्त नहीं लगता है। पांच साल पहले तक दूध क्भ्-ख्0 रुपये लीटर तक मिल जाता था। क्राइसिस के समय दूध सट्टियों में ब्0-भ्0 रुपये लीटर में उपलब्ध होता जाता था। कुछ सालों में ही इसकी कीमत दोगुना होकर फ्भ् से ब्0 रुपये लीटर तक पहुंच गयी है। क्राइसिस के समय तो पूछना ही नहीं है। काफी मशक्कत के बाद 80 से 90 रुपये में बमुश्किल मिल पाता है। इसके साथ ही छेना का भाव दो से ढाई सौ रुपये किलो तक पहुंच जाता है। पनीर तो ढाई से तीन सौ रुपये किलो बिकता है। दूध की वजह से मिठाइयों के भाव आसमान में छूने लगे हैं।

अभी और बढ़ेगी डिमांड

रमजान और लगन की वजह से अभी दूध की काफी डिमांड है। इसकी चलते रेट भी तेज है। सट्टी में दूध भ्0 से म्0 रुपये प्रति लीटर तक बिक रहा है। वहीं सावन शुरू के बाद तो दूध की जबरदस्त डिमांड हो जाएगी। शिव मंदिरों में चढ़ने और व्रत में इस्तेमाल करने के लिए लोग थोड़ा दूध भी पाने को परेशान रहते हैं। उस वक्त दूध की कीमत सौ रुपये प्रति लीटर पार कर जाने की उम्मीद है।

हर कोई होगा परेशान

-दूध की किल्लत से सबसे अधिक हाउस वाइफ परेशान होती हैं

-घरों में बच्चों को पिलाने के लिए दूध नहीं मिल पाता है

-मेहमानों का स्वागत चाय से नहीं हो पाता है

-पॉली पैक या मिल्क पाउडर का इस्तेमाल महंगा पड़ता है

-शहर में मौजूद दस हजार छोटी-बड़ी चाय की दुकानों पर चाय मिलनी मुश्किल हो जाती है

-मिल्क और मिल्क प्रॉडक्ट्स की दुकानों पर कस्टमर कम हो जाते हैं

सेहत का है दुश्मन

दूध में मिलावट का खेल इंसान की सेहत पर भारी पड़ता है। मिलावटी दूध के सेवन से पेट की प्रॉब्लम हो सकती ही। लीवर और किडनी पर बैड इफेक्ट होता है। दूध में डिटर्जेट मिलाने से डाइजेस्टिव सिस्टम इफेक्टिव होता है। वॉइटनर लीवर और किडनी के लिए खतरनाक है। वहीं यूरिया तो कैंसर का कारण बन सकता है। दूध में मिलावट का खेल इतनी बारीकी से होता है कि आमतौर पर पहचाना मुश्किल होता है। सिर्फ उसके स्वाद और रंग से पहचान हो पाती है। मिलावटी दूध का स्वाद मीठा के बजाय कड़वा होता है। गर्म करने पर रंग नेचुरल हल्का पीला के बजाय सफेद ही रहता है।

नहीं हो रही कार्रवाई

मिलावटखोरों पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन विभाग की है। वह इस ओर विशेष ध्यान नहीं देता है। मिलावटी मिल्क और मिल्क प्रॉडक्ट की शिकायत लगातार आती है। इसके बाद भी शहर की दूध सट्टियों में छापेमारी नहीं हो रही है। सिर्फ त्योहार के आसपास दो-चार दिन के लिए कार्रवाई की जाती है। वह भी महज औपचारिकता के तौर पर। इसका पूरा फायदा मिलावटखोर उठा रहे हैं।

यह तो बड़ा ही शॉकिंग है। दूध में मिलावट हो रही है। हम बच्चों को दूध सेहत बनाने के लिए देते हैं यह तो सेहत बिगाड़ देंगे।

-वीना, गुरुधाम

दूध के कीमत पर कोई लगाम नहीं है। जब चाहा मनमाना बढ़ा दिया। जब चाहा क्राइसिस क्रिएट कर दिया। इसके लिए नियम बनना चाहिए।

-शालिनी, लंका

मिलावटखोरी की शिकायत के बाद भी दूधियों पर कार्रवाई नहीं होती है। दूध सट्टियों में खुलेआम मिलावटी दूध की बिक्री होती है।

-विमल सोनकर, कैंट

रमजान और सावन में दूध की डिमांड सबसे अधिक होती है। इस वक्त जरूरत के मुताबिक नहीं मिल पाता है। मिलता है भी तो काफी मंहगा।

-जावेद कुरैशी, नई सड़क

मिलावटखोरों पर लगाम लगाने के लिए विभाग की ओर से समय-समय पर कार्रवाई की जाती है। मिलावटी दूध, खोवा, पनीर को पकड़ने के लिए अभियान चलाया जाता है।

-हरिशंकर सिंह, अभिहित अधिकारी, खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन

Posted By: Inextlive