- जांच न पड़ताल बन गया पॉल्यूशन सर्टिफिकेट

- दैनिक जागरण आईनेस्क्ट स्टिंग में खुला मामला

BAREILLY :

बढ़ते एयर पॉल्यूशन पर नियंत्रण के लिए परिवहन विभाग ने डिस्ट्रिक्ट में 21 सेंटर बनाए हैं, जहां वाहनों को पॉल्यूशन चेक कर उन्हें सर्टिफिकेट जारी किया जाता है, लेकिन इन सेंटर्स पर पॉल्यूशन सर्टिफिकेट जारी करने में बड़ा खेल चल रहा है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने इस खेल का खुलासा करने के लिए पॉल्यूशन टेस्टिंग सेंटर्स का स्टिंग किया, तो चौंकाने वाला सच सामने आया। आइए पढि़ए

बिना जांच के दे दिया सर्टिफिकेट

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम दोपहर 12 बजे सिविल लाइंस स्थिति जेबी मोटर्स पहुंची। सेंटर पर बैठे कर्मचारी से बाइक का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनाने के लिए कहा गया। कर्मचारी ने वाहन का कागज तक नहीं मांगा। बस किस मॉडल का वाहन है पूछा और 60 रुपए लेकर सर्टिफिकेट जारी कर दिये। जबकि, किसी भी वाहन का सर्टिफिकेट जारी करने से पहले साइलेंसर से धुएं को चेक किया जाता है। धुएं से निकले पॉल्यूशन के लेवल को सर्टिफिकेट में दर्ज किया जाता है। जिस बाइक का जेबी मोटर्स ने सर्टिफिकेट जारी किया वह 2012 मॉडल की है। ऐसे में, बाइक के धुएं में पॉल्यूशन का लेवल मानक से अधिक हो सकता है, लेकिन अधिक मुनाफा के चक्कर में सेंटर संचालक ने प्रॉपर जांच करना जरूरी नहीं समझा। इसके बाद टीम मालगोदाम रोड स्थित भारत मोटर्स पहुंची। यहां भी वाहनों के पॉल्यूशन चेकिंग का तरीका कुछ ऐसा ही रहा। सतपाल नाम के कर्मचारी ने बिना कागज या जांच किये ही पॉल्यूशन सर्टिफिकेट जारी कर दिया।

अधिकतर सेंटर्स का यही हाल

जिले में रजिस्टर्ड पॉल्यूशन जांच सेंटर्स की संख्या 21 हैं, लेकिन इनमें से अधिकतर का यही हाल है। वाहनों की जांच किये बगैर ही पॉल्यूशन सर्टिफिकेट जारी कर दिये जा रहे हैं। जबकि, नियम के मुताबिक सेंटर्स को बाकायदा मशीन से पॉल्यूशन की जांच करनी चाहिए। जांच में पॉल्यूशन का परसेंटेज अधिक होने पर वाहन ओनर्स को वाहन की मरम्मत की सलाह देनी चाहिए। उसके बाद उन्हें सर्टिफिकेट जारी करना चाहिए, लेकिन अधिक से अधिक मुनाफा के चक्कर में जिले में संचालित अधिकतर सेंटर्स बिना जांच के ही सर्टिफिकेट जारी करने में लगे हुए हैं।

एनवॉयरमेंट बन रहा जहरीला

पॉल्यूशन की जांच सही नहीं होने के चलते ही एनवॉयरमेंट साल दर साल जहरीला होते जा रहा है। वाहनों का इंजन बैठने या रिंग बैठने पर ईधन पूरी मात्रा में नहीं जलता है, जिसकी वजह से वाहनों से धुंआ अधिक मात्रा में निकलने लगता है। यही कारण है कि शहर की फिजा में रिस्पायरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मेटर (आरएसपीएम) जो की वायुमंडल में छोटे घुलित कण होते है 300 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब पर पहुंच गया है। जबकि, आरएसपीएम का स्टैंडर्ड मानक 100 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब होना चाहिए। पॉल्यूशन पार्टिकल्स और हार्मफुल गैसेज व्यक्ति के बीमारी का कारण बन रही हैं। यह हानिकारक पदार्थ सांस के माध्यम से सांस की नलियों में पहुंच जाते हैं, जो कि सांस फूलने, फेफड़े में इंफेक्शन जैसी कई बीमारियों का कारण बनते हैं।

पॉल्यूशन सर्टिफिकेट जारी होता है

- 3 और 6 महीने यूरो थ्री वाहन।

- 1 वर्ष के लिए यूरो फोर से ऊपर तक के वाहन।

- सीएनजी थ्री व्हीलर 30 रुपए बाइक और कार 60 रुपए पॉल्यूशन जांच फीस।

आरटीओ में रजिस्टर्ड वाहन

- 26,547 कॉमर्शियल वाहन।

- 5,00,3269 प्राइवेट वाहन।

- जेबी मोटर्स, सिविल लाइंस।

- भीम मोटर्स, सिविल लाइंस।

- कामर्शियल मोटर्स, रामपुर रोड,

- स्टार आटोमोबाइल्स गैराज, सिविल लाइंस।

- ऑटोवेज प्रा.लि., सिविल लाइन्स।

- ड्राइव वेल सर्विस, शाहजहांपुर रोड।

- केएल मोटर व‌र्क्स, ट्रांसपोर्ट नगर।

- स्टेशन वर्कशॉप, ईएमई

- केजीएन पर्यावरण समिति, टनकपुर रोड।

- दिवाकर पर्यावरण सेवा समिति, राजेद्र नगर।

- नव पर्यावरण समिति, सुभाषनगर।

- बरकाती वेलफेयर सोसाइटी, नकटिया।

- बांके बिहारी सेवा समिति, शाही बस स्टैंड रामपुर रोड।

- संाईराम पर्यावरण सेवा समिति, परसाखेड़ा।

- फवादा फरहाद नूरी वेलफेयर सोसाइटी, रामपुर रोड।

- भारत मोटर जन कल्याण शिक्षा समिति, मालगोदाम रोड बरेली।

- मां पूर्णागिरी पर्यावरण समिति, नवाबगंज।

- खाटू श्याम जी पर्यावरण संरक्षण समिति, पीलीभीत बाईपास रोड।

- ग्रीन फील्ड वेलफेयर सोसायटी, सिविल लाइंस।

- अमित वेलफेयर सोसाइटी, फरीदपुर।

- केजीएन पर्यावरण समिति, महानगर।

पॉल्यूशन की जांच किये बगैर ही सर्टिफिकेट जारी करना गलत है। इसकी जांच कराई जाएगी। दोषी पाये जाने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई के लिए डीटीसी को लिखा जाएगा।

आरआर सोनी, आरटीओ

Posted By: Inextlive