लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गईं थाइलैंड की पूर्व प्रधानमंत्री यिंगलुक शिनवात्रा पर महाभियोग साबित हो गया है.सैन्य नियंत्रण वाली नेशनल लेजिस्लेटिव असेंबली एनएलए के 220 में 190 सदस्यों ने कल शुक्रवार को महाभियोग के पक्ष में मतदान किया. यिंगलुक अब पांच वर्षों तक राजनीति में हिस्सा नहीं ले सकेंगी. पूर्व प्रधानमंत्री ने इस पर कोई त्वरित टिप्पणी नहीं की है.

दस साल कैद की सजा हो सकती
यिंगलुक पर चावल अनुदान कार्यक्रम के जरिये सरकारी खजाने को चार अरब अमेरिकी डॉलर से ज्यादा (तकरीबन ढाई खरब रुपये) की चपत लगाने का आरोप लगाया गया है.चावल घोटाले में अटॉर्नी जनरल ने यिंगलुक के खिलाफ आपराधिक मामला चलाने को भी मंजूरी दे दी है. दोषी साबित होने पर उन्हें दस साल कैद की सजा हो सकती है. चुनाव के जरिये वर्ष 2011 में थाइलैंड की सत्ता में आईं यिंगलुक को पिछले साल मई में सेना ने तख्तापलट के जरिये सत्ता से बेदखल कर दिया था.

2006 में तख्तापलट कर दिया गया
बीते बृहस्पतिवार को एनएलए में अपना पक्ष रखते हुए कहा था, कैबिनेट के प्रस्ताव पर चावल अनुदान योजना लोगों के एक समूह द्वारा चलाया जा रहा था. ऐसे में मुझे ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है? इस मामले में राजनीतिक एजेंडे के तहत सिर्फ मेरे खिलाफ ही अभियोग चलाया गया.यिंगलुक ने भ्रष्टाचार रोधी आयोग के औचित्य पर भी सवाल उठाया था. गौरतलब है कि यिंगलुक के भाई थाकसिन शिनवात्रा का भी वर्ष 2006 में तख्तापलट कर दिया गया था. दो साल बाद 2008 में दोषी ठहराए गए पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन निर्वासित जीवन जीने को मजबूर हैं.

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Posted By: Satyendra Kumar Singh