मोदी सरकार ने शुक्रवार को लिए एक अहम फैसले में रेल यात्री किराए में 14.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी की घोषणा की है. बढ़ा हुआ किराया 25 जून से लागू हो जाएगा.


लंबे समय से थे आसारलंबे समय से इस बात की अटकलें लगाई जा रही थीं कि रेल यात्री किराए में बढ़ोतरी हो सकती है. शुक्रवार को आखिरकार सरकार ने इस पर अपनी मुहर लगा दी. रेल यात्री किराए में 14.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है. जो कि 25 जून से लागू होगी. इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने माल भाड़े में भी बढ़ोतरी कर दी है. यह 6.5 प्रतिशत बढ़ाया गया है. रेल बजट से पहले ही बढ़ा किरायागौरतलब है कि यह बढ़ोतरी संसद का बजट सत्र शुरू होने के पहले की गई है. बजट सत्र अगले महीने शुरू होना है जिसमें नई सरकार का पहला आम बजट और रेल बजट पेश किया जाएगा. पिछली सरकार में रेल यात्री किराए में बढ़ोतरी की योजना को चुनावों को देखते हुए टाल दिया गया था. जिस पर फैसला नई सरकार को लेना था.
रेलवे मिनिस्टर ने दिए थे संकेतरेलवे मिनिस्टर ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में रेल किराया बढ़ाने के संकेत दिए थे. मिनिस्ट्री के एक ऑफिसर के मुताबिक रेलवे की माली हालत अच्छी नहीं है.  पैसेंजर सब्सिडी 26,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गई है. इस देखते हुए यात्री किराया और माल भाड़ा दोनों में बढ़ोतरी किए जाने की जरूरत है.


16 मई से टल रहा था फैसलारेल किराए में बढ़ोत्तरी का मसला 16 मई से पेंडिंग है, जब रेलवे बोर्ड ने सभी क्लास के किरायों में 20 मई से 10 फीसदी बढ़ोतरी का फैसला ले लिया था. लेकिन मोदी सरकार के कामकाज संभालने से पहले इसे लागू करना ठीक नहीं समझा गया था. मई में एफएसी (फ्यूल एडजस्टमेंट कंपोनेंट)और छोटे ट्रेनों के मासिक सीजन टिकटों (एमएसटी) का किराया बढ़ाने का फैसला भी हुआ था. रेलवे मिनिस्टर की परेशानियांसदानंद गौड़ा आजकल रेल बजट की तैयारियों में लगे हुए हैं. उन्होंने कहा कि रेलवे के नए प्रॉजेक्ट उन्हीं राज्यों में शुरू होंगे जो इसका आधा खर्च उठाने को राजी होंगे. उनकी दिक्कत यह है कि एक लंबे अर्से से रेलवे मिनिस्ट्री राजनीतिक कद बढ़ाने का जरिया भर बना हई है. इसका नतीजा यह हुआ कि बगैर फाइनेंशियल रिसोर्सेज की परवाह किए, एक के बाद एक घोषणाएं की जाती रहीं. आलम यह है कि अभी करीब पांच लाख करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स अभी पड़े हुए हैं जबकि रेलवे से सालाना आमदनी 25 से 30 हजार करोड़ रुपए का होती है. आदमनी के नए सोर्स की है जरूरत

साउथ और साउथ वेस्ट रेलवे के कुछ प्रोजेक्ट्स तो ऐसे हैं जो शुरू हो चुके हैं लेकिन उनके पूरा होने में 50 साल तक लग सकते हैं।. वजह यह है कि 1000 करोड़ की कोई परियोजना शुरू तो कर दी गई लेकिन उसके लिए दिए गए महज 10-15 करोड़ रुपए. ऐसे में ज्यों-ज्यों प्रोजेक्ट्स लंबी खिंचते जा रहे हैं वैसे-वैसे उनकी लागत भी बढ़ती जा रही है. फिर इसी वजह से डेडलाइन भी आगे खिसकती जा रहा है. ऐसे में रेल मंत्रालय के सामने इसके अलावा और कोई चारा नहीं है कि आमदनी के नए स्रोत खड़े किए जाएं. रेल का किराया बढ़ाने के सिवा कोई ऑप्शन भी नहीं है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh