अपने आप को इस धरती पर भगवान बताने वाले रामपाल को पकड़ना प्रशासन के लिए जितना चुनौतीपूर्ण रहा उतना ही सरकार को महंगा भी पड़ा. कल कड़ी सुरक्षा के बीच रामपाल को न्यायमूर्ति एम जयपॉल और न्यायमूर्ति दर्शन सिंह की खंडपीठ के सामने पेश किया गया. पीठ ने मामले की सुनवाई 23 दिसंबर के लिए स्थगित कर दी. अगली सुनावाई पर रामपाल के साथ उसके साथी आरोपी रामपाल ढाका और ओपी हुक्‍का को भी पेश किया जाएगा. इस दौरान कोर्ट में रामपाल के अभियान में खर्च हुए 26 करोड़ रुपये की रिपोर्ट पर कोर्ट ने कहा कि यह खर्च रामपाल से ही क्‍यों न वसूला जाए.

कोर्ट ने मांगा ब्योरा
कल अवमानना केस मे रामपाल को अदालत में पेश किया गया था. इस दौरान हरियाणा के डीजीपी एसएन वशिष्ठ ने कोर्ट में रामपाल के अरेस्ट ऑपरेशन के दौरान हुए खर्च और इंतजाम आदि के विस्तृत रिपोर्ट पेश की. इसके अलावा चंडीगढ़ प्रशासन और केंद्र सरकार की ओर से भी इस बाबत रिपोर्ट पेश की गई. सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने डीजीपी को ऑपरेशन के दौरान घायल हुए लोगों की मेडिकल रिपोर्ट पेश करने के लिए भी कहा है. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा, 'क्यों ने ये सारा खर्च रामपाल से ही वसूला जाए. कोर्ट ने अब एडिशनल सेक्रेटरी से रामपाल और उसके ट्रस्ट या अनुयायियों के नाम पर जुटाई गई सारी संपत्ति का पूरा ब्योरा मांगा है. डीजीपी से पूछा गया है कि गिरफ्तार लोगों में से कोई सेना या पुलिस से रिटायर्ड या कार्यरत व्यक्ति तो नहीं है.

 

हलफनामे में खर्च की डिटेल
एक हलफनामे में बताया गया कि हिसार में बरवाला स्थित सतलोक आश्रम से  गिरफ्तारी के दौरान इस खर्च में 2.19 करोड़ रुपये सार्वजनिक संपत्ति, सरकारी संपत्ति और फसल को क्षति, सात करोड़ दो आइजीपी रैंक के अधिकारियों समेत पुलिस अधिकारियों पर और पांच हजार से अधिक अन्य पुलिस अधिकारियों पर, 1.69 करोड़ रेलवे पुलिस पर, 2.36 करोड़ परिवहन खर्च के रूप में और 4.50 लाख रुपये सुरक्षा बल के भोजन पर खर्च किये गये. वहीं पंजाब और चंडीगढ़ हाइकोर्ट व अदालत में रामपाल को पेश करने के लिए व्यवस्था करने पर क्रमश: 4.34 करोड़ और 3.29 करोड़ खर्च किये. केंद्र ने कहा कि 20 नवंबर तक 3.55 करोड़ खर्च किये गये.

 

वकील ने किया विरोध
रामपाल के वकील एसके गर्ग ने हाईकोर्ट के सुनवाई के अधिकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि मामला आपराधिक अदालत की अवमानना का बनता है. ऐसे में कोर्ट चाहे तो उनके मुवक्किल को सजा कर दे, लेकिन मुआवजा या कोई तल्ख टिप्पणी करना उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है. ऐसे में हाईकोर्ट की टिप्पणियां ट्रायल कोर्ट में चल रहे केस को खराब कर सकती हैं. रामपाल की गिरफ़्तारी के समय पुलिस और रामपाल समर्थकों के बीच हिंसक टकराव भी हुआ. रामपाल के खिलाफ 2006 में हुई एक हत्या के मामले में अदालती अवमानना के आरोप में गैर ज़मानती वारंट जारी किया गया था. जिसकी अवमानना पर बीते दिनों काफी मशक्कत के दौरान रामपाल को 20 नवंबर को सतलोक आश्रम से अरेस्ट किया गया था.

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Posted By: Satyendra Kumar Singh