अंबानी परिवार नीता अंबामी का स्‍वर्णिम पड़ाव यानी 50वां जन्‍मदिन काशी में मनाने आए. अब ये महज इत्‍तेफाक भर तो नहीं. ऐसा भी नहीं कि बाबा विश्‍वनाथ के दरबार में हाजिरी लगाने की एक अरसे की इच्‍छा पूर्ति के लिए पूरा परिवार इस स्‍वर्णिम अवसर पर यहां पहुंचा हो. इस बात के तो पूरे संकेत हैं कि काशी के होने वाले कायाकल्‍प अनुष्‍ठान में जाने-माने उद्योगपति व रिलायंस ग्रुप के प्रमुख मुकेश अंबानी भी अपनी प्रमुख हिस्‍सेदारी निभाएंगे. शुरू से लेकर आखिरी तक की कड़‍ियों को जोड़ें तो स्थिति तो फ‍िलहाल यही स्‍पष्‍ट होती है.

एक ही समय पर जापान पहुंचे थे पीएम और मुकेश अंबानी
अगस्त महीने में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्योटो (जापान) गए थे, तो उनके साथ तो नहीं लेकिन उसी वक्त मुकेश अंबानी भी जापान यात्र पर थे. उसी दौरान वहीं पर यह समझौता भी हुआ था कि क्योटो की तर्ज पर काशी का विकास किया जाएगा. ऐतिहासिक शहर बनारस को पूरी तरह से क्योटो का रूप देने की कोशिश की जाएगी.
पीपीपी मॉडल को माना जा रहा रामबाण
अब सवाल यह उठता है कि सबसे ज्यादा पुरातन व जीवंत बनारस शहर का विकास अकेले सरकार के वश की बात तो बिल्कुल नहीं है. तभी तो अब विकास की सभी कवायदों में पब्लिक, प्राइवेट पार्टनरशिप ‘पीपीपी मॉडल’ को ही हर तरह से रामबाण माना जाने लगा है. ऐसे में भला उद्योग घरानों के सहयोग के बिना किसी शहर का ढांचागत विकास कहां संभव है. तो फिर पूरे परिवार के साथ इतने अच्छे अवसर के बहाने ही सही मुकेश अंबानी का बनारस में होना भी कोई इत्तेफाक नहीं जान पड़ता है.  
पीएम संग मुकेश अंबानी की हुई थी मुद्दे पर बात
अब यहां ऐसा भी माना जा रहा है कि दीपावली के ठीक पहले मुकेश अंबानी ने जब प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी तो काशी के विकास से जुड़ी गुफ्तगू भी विस्तार के साथ की थी. यही वजह है कि क्योटो के बाद काशी भी अंबानी मोदी के साथ भले न आए, लेकिन मोदी की दो दिवसीय यात्रा से ठीक पहले पूरा परिवार नीता अंबानी के जन्मदिन के बहाने यहां पहुंचा.

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Posted By: Ruchi D Sharma