सहारा मामले में एक नया मोड़ आ गया है. सहारा प्रमुख सुब्रत राय की मुश्किलें की मुश्‍किलें घटने की बजाय बढ़ती जा रही हैं. अब भारतीय रिजर्व बैंक ने सेबी के साथ खुद को एक पक्षकार बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अपील की है. रिजर्व बैंक ने सहारा प्रमुख सुब्रत राय की रिहाई के समूह की एक कंपनी को संपत्ति बेचने पर रोक लगाने की अपील की. यह कंपनी गैर बैंकिंग वाली फाइनेन्शियल फर्म है जो उनके नियमों के अधीन आती है.

कंपनी गैर बैंकिंग वाली फाइनेन्शियल फर्म
भारतीय रिजर्व बैंक ने कर्ज चुकाने के लिए धन की व्यवस्था करने हेतु सहारा समूह को अपनी संपत्ति बेचने की अनुमति देने संबंधी न्यायालय के आदेश में सुधार का अनुरोध किया है. रिजर्व बैंक ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी अर्जी में अनुरोध किया है कि सहारा इंडिया फाइनेन्शियल कार्पोरेशन लिमिटेड को सेबी की देनदारियों के भुगतान के लिये प्रतिभूतियों सहित अपनी किसी भी संपत्ति के इस्तेमाल से रोका जाए. अर्जी में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कहा है कि यह कंपनी गैर बैंकिंग वाली फाइनेन्शियल फर्म है जो उनके नियमों के अधीन आती है. सुप्रीम कोर्ट ने 4 जून, 2014 को अपने 2013 के आदेश में सुधार करते हुये भुगतान के लिये इस कंपनी सहित सहारा समूह की कंपनियों की प्रतिभूतियों तथा संपत्तियों को बेचने की अनुमति दी थी.

दस हजार करोड़ रुपए जमा कराने की शर्त
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 4 मार्च, 2014 से तिहाड़ जेल में सहारा प्रमुख सुब्रत राय बंद हैं. ऐसे में सुब्रत राय की रिहाई के लिये दस हजार करोड़ रुपए जमा कराने की शर्त रखी थी. रिजर्व बैंक ने यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया है कि यदि मेसर्स सहाराइंडिया फाइनेन्शियल कार्पोरेशन लिमिटेड की संपत्ति से सहारा इंडिया या समूह की किसी अन्य कंपनी के लिये सेबी-सहारा रिफन्ड खाते या सहारा इंडिया की भागीदारी फर्म में कोई राशि जमा करायी गयी है तो उसे किसी राष्ट्रीयकृत बैंक के स्क्रो खाते में रखा जाये.

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Posted By: Satyendra Kumar Singh