रघु की आवाज में जहां फोक की मिठास है वहीं पॉप का धमाल भी है. रॉक और फोक की ऐसी बिरयानी सब नहीं सर्व करते और ये कुक तो कुछ ऐसा पकाता है कि लोग कहते हैं वाह वाह क्या बात है!


देसी ब्वाएय का इंगलिश ढंग अगर देखना हो तो मिलिए रघु दीक्षित से. फोक म्यूजिक के मार्डर्न ब्रान्ड एम्बेसडर और फ्यूजन के साइंटिस्ट रघु दीक्षित के ठेठ अन्दाज के लाखों दीवाने हैं. रंग बिरंगी लुंगी, डॉर्ट लेंथ कुर्ते और पैरों में घुंघरू बांधे रघु को देखकर कहना मुश्किल है कि वे राक हैं या फोक.
रघु की आवाज में जहां फोक की मिठास है वहीं पॉप का धमाल भी है. रॉक और फोक की ऐसी बिरयानी सब नहीं सर्व करते और ये कुक तो कुछ ऐसा पकाता है कि लोग कहते हैं वाह वाह, क्या बात है. मैसूर के रघु दीक्षित को लोकल म्यूजिक को इंटरनेशनल प्लेटफार्म पर ले जाने का क्रेडिट दिया जाता है. रघु दीक्षित की सिंगिंग की खास बात यह है कि वे दूसरे इंडियन सिंगर्स की तरह एब्राड में रह रही एनआरआई क्राउड के लिये परफॉर्म नहीं करते हैं बल्कि वेस्टर्न लिसेनर्स के लिये अपनी पर्फार्मेस देते हैं. उनका बैंड जो म्यूजिक देता है उसमें लोकल फोक, रॉक, लैटिन, फंक सभी का मिक्सचर होता है. ‘आई ट्यून्स वर्ल्ड म्यूजिक’


रघु ने हिन्दी और कन्नड़ दोनों की लैंग्वेज में गाने गाये हैं. उनके म्यूजिक में कोई भाषाई फर्क नहीं है. इंटरनेशनल म्यूजिक चार्ट्स पर उनके गानों को कई बार टाप पोजीशन रखा गया था. उनका बैण्ड ‘द रघु दीक्षित प्रोजेक्ट’ आज म्यूजिक लवर्स के बीच खासा पापुलर है. रघु के गाने यूके में ‘आई ट्यून्स वर्ल्ड म्यूजिक’ की लिस्ट में दो बार टॉप पोजीशन पर रहे हैं. उनको ‘वर्ल्ड म्यूजिक कैटेगरी’ के ‘बेस्ट न्यूकमर’ के रूप में रिनाउंड ‘सांगलाइन्स’ अवार्ड भी दिया जा चुका है. रघु कई इंटरनेशनल फेम सेलीब्रिटीज जैसे कि राबर्ट प्लांट, मैविस स्टेपल्स के साथ अपने शो कर चुके हैं. पापुलर ब्रिटिश फोक बैंड ‘बेलोहेड’ के साथ भी रघु दीक्षित एक पार्टनरशिप का इंतजार कर रहे हैं. इसके तहत दुनिया भर की लोकल पापुलर स्टोरीज को म्यूजिकल थिएटर के लिये तैयार किया जा सकेगा. कोई प्रोफेशनल ट्रेनिंग नहीं

रघु ने म्यूजिक में कोई प्रोफेशनल ट्रेनिंग नहीं ली है. वे बस गाने को इंन्ज्वाए करते हैं और गाते हैं. उनके मुताबिक वे जब गाते हैं तो बस पूरी तरह उस गाने में डूब जाते हैं. हां रघु का काम करने का तरीका दूसरों से खासा डिफरेंट है. उन्होने अपने इवेंट को अच्छी तरह मैनेज करने के लिये इवेंट मैनेजर पॉल नोलेस और एंटरटेनमेंट लॉयर रॉबर्ट होर्सफाल को हायर किया है. ये लोग उनके लिये प्लानिंग करते हैं और रघु के पापुलर होने की एक बड़ी वजह भी शायद यह भी है.   रघु दीक्षित मैसूर में पले-बढ़े थे. अपनी 19 साल की उम्र तक उन्होने गिटार को हाथ भी नहीं लगाया था. जब किसी लड़के को कालेज में गिटार बजाकर लड़कियों को इंप्रेस करते हुए देखा तो उन्हे लगा कि गिटार सीखा जाना चाहिये. फिर क्या 2 महीनों के अन्दर ही रघु ने एक राक सांग को गिटार पर बजाना सीख लिया. रघु ने भरत नाट्यम डांस की भी ट्रेनिंग ली थी. शुक्र है कि बाहरी देशों में बालीवुड नहीं है: Raghu Dixit रघु उस वक्त पूना मे हो रहे म्यूजिकल फेस्ट NH-7 में शरीक होने जा रहे थे जब हमारा फोन उनके मोबाइल पर बजा. इस वादे के साथ कि हम उनके दो ही मिनट खर्च कराएंगे रघु ने इंटरव्यू के लिये हामी भर दी. हम कहां मानने वाले थे. अगले 5 मिनटों की बातचीत में रघु से वो सब निकलवा लिया जिसके बारे शायद हम और आप जानना चाहते थे. हां, हम उनसे उनकी लवलाइफ के बारे में पूछना जरूर भूल गये पर डोन्ट वरी, अगली बार हमारा पहला सवाल शायद यही होगा-     
इंटरनेशन फोक के सबसे पापुलर बैंड ‘बेलोहेड’ के साथ ‘रघु दीक्षित प्रोजेक्ट’ के टाईअप की खबरें हैं. इस बैंड के साथ मिलकर आप किस तरह का म्यूजिक बनाएंगे?
हां, ‘बेलोहेड बैंड’ जनवरी में इंडिया आ रहा है. हमारी उनसे आफीशिअली कोई टाईअप नहीं हुआ है पर जनवरी में हम कई उनसे कई प्रोजेक्ट्स पर बात करेंगे. हम इंडिया की पापुलर और अनपापुलर स्टोरीज का एक कलेक्शन तैयार करेंगे और उन पर म्यूजिक बनाएंगे. यह सब काफी इनीशिअल स्टेज पर है और इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी ही होगी. इंडियन फोक को इंटरनैशनल प्लैटफार्म पर गाकर आपने लोकल फोक की पापुलैरिटी को काफी बढ़ा दिया है. फोक की ग्लोबल सिचुएशन क्या है?(हंसते हुए) शुक्र है कि बाहरी देशों में बालीवुड नहीं है वरना वहां भी फोक का वही हाल होता है जो इंडिया में हमारे लोकगीतों का है. बालीवुड की तरह वहां फिल्मों में गाने नहीं होते और इस तरह लोकल सिगर्स पर बेकार का दबाव नहीं होता है. बाहर हर तरह के म्यूजिक के लिये लिसनर्स मिल जाते हैं. माइक्रोबायोलाजी के एक गोल्ड मेडलिस्ट का मन इंडियन फोक में कैसे लग गया. आपका म्यूजिक किससे इंस्पायर्ड है?
मैं एक इंडियन हूं और एक रिच कल्चरल कन्ट्री में रह रहा हूं. ऐसे देश में जहां हर 200 किलोमीटर पर भाषा और कल्चर बदल जाता हो कोई कैसे इससे इन्सपायर्ड हुए बिना रह सकता है. मैं मेरे देश भारत से सबसे ज्यादा इंस्पायर्ड हूं. और रही मन लगने की बात, तो लाइफ है और कौन जानता है कि कल क्या होगा. आप अपने लुक को लेकर खासे चर्चा में रहते हैं. इसके पीछे का इंस्पिरेशन?मैं एक कनडिगा हूं. यहां की ड्रेसिंग और स्टाइल मुझे बेहद पसंद है. मेरी ड्रेसिंग मेरी पर्सनालिटी को रिप्रेजेंट करती है. लुंगी लगाना और डॉर्ट लेंथ कुर्ते पहना भी इसी का हिस्सा है. मैं सारी दुनिया के रिच कल्चर को पसंद करता हूं और यही वजह है कि मैं तमाम जगहों की जूलरी भी पहनता हूं. क्या इसे आपका ब्रान्ड माना जाए. आप इसी लुक को कान्टीन्यू करना चाहेंगे?कुछ कह नहीं सकता. मैं आज को जानता हूं और प्रजेन्ट को ही फालो करता हूं. मैं एक फोक आर्टिस्ट हूं और यह ड्रेसिंग मुझे काम्प्लीमेंट करती है. अभी तो इसमें ही तमाम वैराइटी ट्राई करना चाहता हूं. Interview by: Alok Dixit

Posted By: Divyanshu Bhard