नेहरू सरकार द्वारा नेताजी सुभाषचंद्र बोस के परिवार की जासूसी कराने पर पहले ही विवाद खड़ा हो चुका है. अब एक नया मामला सामना आ रहा है जिसके अनुसार नेहरू सरकार ने आजादहिंद फौज के खजाने को लूटने वालों को क्रीमी नौकरियां पर रखा.


अंग्रेजी वेबसाइट ने छापी रिपोर्टएक अंग्रेजी वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज को सही ढंग से चलाने के लिए एक बड़ी मात्रा में खजाना इकठ्ठा किया था. लेकिन सुभाषचंद्र बोस की कथित मौत के बाद आजाद हिंद फौज के खजाने को कुछ लुटेरों ने चुरा लिया. रिपोर्ट के अनुसार तत्कालीन भारत सरकार को जब इस बारे में जानकारी दी गई तो मामले की जांच करने की बजाए नेहरू सरकार ने मामले से मुंह मोड़ लिया. नेहरू सरकार ने जानबूझ कर विदेश मंत्रालय से मिली जानकारी को नजरअंदाज किया. लुटेरों को दी नौकरी
रिपोर्ट के मुताबिक नेहरू सरकार ने ना सिर्फ खजाने की लूट की सूचना को नजरअंदाज किया बल्कि संदिग्ध लुटेरों को मलाईदार नौकरियों पर भी रखा. रिपोर्ट के अनुसार नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने करीब 100 किलो सोना इकठ्ठा किया था. इस खजाने की लूट की सूचना के संबंध में विदेश मंत्रालय अधिकारी आरडी साठे ने तत्कालीन पीएम नेहरू को पत्र लिखा था कि वियतनाम में छोड़े गए खजाने को लूट लिया गया है. सरकार ने शुरुआत में तो इस संबंध में रुचि दिखाई लेकिन इसके बाद मामले को नजरअंदाज कर दिया.

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Posted By: Prabha Punj Mishra