अगले लोकसभा इलेक्‍शन में देश की 160 लोकसभा सीटों पर कैंडिडेट्स की किस्मत का फैसला फेसबुक से हो सकता है. यह नतीजा आइरिश नॉलेज फांउडेशन और इंडियन एसोसिएशन फॉर मोबाइल एंड इंटरनेट यूजर्स की ज्‍वाइंट स्टडी में सामने आया है.


160 हाई इंपेक्ट लोकसभा सीटें2014 के लोकसभा इलेक्शन को ध्यान में रखकर की गई इस स्टडी में सीटों को चार कैटेगरी में बांटा गया है. हाई, मीडियम, लो और नो इंपैक्ट. स्टडी के मुताबिक देश में कुल 543 लोकसभा सीटों में से 160 हाई इंपेक्ट कैटेगरी में आती हैं. सीटें जहां सोशल मीडिया साइट फेसबुक भूमिका निभा सकती है.ओबामा को भी मिला था सोशल मीडिया का सहारारिपोर्ट के मुताबिक अमरीकी प्रेसिडेंशियल इलेक्शंस में मिट रोमनी को पटकनी देने के लिए बराक ओबामा ने सोशल मीडिया का सहारा लिया था और इसमें कामयाब रहे.25 साल तक उम्र वाले वोटर्स होंगे निर्णायकदेश में 2004 से 2009 के बीच वोटर्स की संख्या 670 मिलियन से बढ़कर 720 मिलियन पहुंच गई. जिसके 2014 के लोकसभा इलेक्शंस तक 800 मिलियन होने की उम्मीद है. इनमें भी 25 साल या उससे कम उम्र वाले वोटर्स की बड़ी संख्या होगी.


अरबन इंडिया का सोशल मीडिया का तेजी जुड़ाव

अरबन इंडिया सोशल मीडिया से तेजी से जुड़ रहा है. आईएएमआई की फरवरी 2013 में आई रिपोर्ट सोशल मीडिया इन इंडिया के मुताबिक दिसम्बर 2012 तक 62 मिलियन लोग इस पर मौजूद थे जिनके जून 2013 तक बढ़कर 66 मिलियन होने की उम्मीद है. एक अनुमान के मुताबिक अगले लोकसभा इलेक्शंस तक यह संख्या 80 मिलियन हो सकती है.97 परसेंट एनआरआई फेसबुक परइतना ही नहीं 25 मिलियन एनआरआई जिन्हें अब वोटिंग राइट्स भी हैं इन इलेक्शंस की ओर उत्सुकता से देख रहे होंगे. इनमें से 97 परसेंट फेसबुक पर मौजूद हैं. सोशल मीडिया यूजर्स का एक तिहाई जहां पांच लाख से कम आबादी वाले शहरों और एक चौथाई दो लाख से कम आबादी वाले शहरों से आता है. मतलब साफ है कि सोशल मीडिया अब देश के टॉप 8 शहरों तक लिमिटेड नहीं रह गया है. अण्णा हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन और दिल्ली गैंग रेप जैसे इश्यूज पर सोशल मीडिया के जरिए जिस तरह यूथ मोबलाइज हुए उससे आगामी चुनावों में इसका असर पड़ना लाजिमी है.हाई इंपैक्ट कैटेगरी में 10 परसेंट एफबी यूजर्सरिपोर्ट ने उन सीटों को हाई इंपैक्ट कैटेगरी में जगह दी है जहां फेसबुक यूजर्स की संख्या कुल वोटर्स का 10 परसेंट या पिछले इलेक्शन में जीत दर्ज करने वाले कैंडिडेट के विनिंग मार्जिन से अधिक है. वहीं जिन सीटों पर कुल वोटर्स का 5 परसेंट फेसबुक पर हैं उन्हें मीडियम इंपैक्ट कैटेगरी में रखा गया है.बाकी सभी सीटों को लो और नो इंपैक्ट कैटेगरी में जगह दी गई है.

36 परसेंट कांग्रेस जीत वाली सीटों पर असरदेश में 543 में से 160 सीटें ऐसी हैं जहां फेसबुक वोटर्स से कनेक्ट करने या फिर उन्हें एजूकेट करने में महत्वपूर्ण निभा सकती है. 67 सीटें मीडियम, 60 लो और बाकी 256 नो इंपैक्ट कैटेगरी में आती हैं. कांग्रेस ने पिछले लोकसभा इलेक्शंस में जिन 206 सीटों पर जीत दर्ज की थी उनमें से 36 परसेंट यानी 75 सीटें हाई इंपैक्ट कैटेगरी में आती हैं. इसके अलावा जिन 144 सीटों पर वह दूसरे नंबर पर आई थी उनमें से 30 परसेंट यानी 43 सीटों पर फेसबुक का वोटर्स पर असर हो सकता है.37 परसेंट बीजेपी जीत वाली सीटों पर असररिपोर्ट के अनुसार बीजेपी की पिछले इलेक्शंस में जीती गई 37 परसेंट सीटें यानी 116 में से 44 हाई इंपैक्ट कैटेगरी में हैं. वहीं जिन सीटों पर वह दूसरे नंबर पर रही यानी 110 में से 50 इस कैटेगरी में आती हैं.28 सीटों पर पड़ सकता है असर
उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड की 28 लोकसभा सीटों पर फेसबुक से जुड़े वोटर्स नतीजों पर असर डाल सकते हैं. उत्तर प्रदेश जिस पर सभी पॉलिटिकल पार्टियों की नजर है में 14 सीटें हाई इंपैक्ट कैटेगरी में आती हैं. लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, बरेली, मेरठ, आगरा, गाजियाबाद, अलीगढ़, मुरादाबाद, गौतम बुद्ध नगर, मुजफ्फरनगर, चंदौली और खीरी. वहीं गोरखपुर मीडियम इंपैक्ट कैटेगरी में आता है.एफबी यूजर्स निर्णायक भूमिका में होंगेबिहार और झारखंड में आठ सीटों पर सोशल मीडिया का असर हो सकता है. बिहार में पाटलिपुत्र, पटना साहिब, मुजफ्फरपुर और बक्सर व झारखंड में रांची, जमशेदपुर, धनबाद और सिंहभूम ऐसी सीटें हैं जहां रिपोर्ट के मुताबिक फेसबुक से जुड़े वोटर्स निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. उत्तराखंड में अलमोड़ा लोकसभा सीट हाई इंपैक्ट कैटेगरी में आती है. मध्य प्रदेश में नौ सीटें इस कैटेगरी में आती हैं. इनमें भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और उज्जैन शामिल हैं.

Posted By: Satyendra Kumar Singh