- चौकाघाट-लहरतारा फ्लाइओवर की बीम गिरने का मामला

- राज्य सेतु निगम के पास टेक्निकल स्टाफ की बेहद कमी

VARANASI

राज्य सेतु निगम के पास टेक्निकल स्टाफ की भारी कमी है। डिपार्टमेंट में स्वीकृत पदों के सापेक्ष आधे पद खाली पड़े हैं। चौकाघाट-लहरतारा फ्लाइओवर की बीम गिरने की जांच में यह बात भी सामने आई है कि इंजीनियर्स का सुपरविजन हमेशा समय से नहीं होता था। इस प्रोजेक्ट में तीन असिस्टेंट इंजीनियर (सिविल) की जगह एक और पांच जूनियर इंजीनियरों की जगह महज दो जेई तैनात थे। स्थिति यह थी कि फ्लाइओवर निर्माण को तय समय सीमा में पूरा करने के लिए जिम्मेदार गाजीपुर यूनिट को वाराणसी यूनिट के असिस्टेंट इंजीनियर (मैकेनिकल) को काम सौंपना पड़ा। शासन के निर्देश पर बढ़ाई गई मियाद 31 दिसम्बर तक काम खत्म करना था, लिहाजा तीन शिफ्ट में काम करवाया जा रहा था। काम का दबाव इस कदर था कि कई बार एई या जेई के न रहने पर काम रोकना भी पड़ता था।

टाइम ज्यादा, काम होता आधा

दरअसल, स्टेट ब्रिज कॉरपोरेशन के प्रोजेक्ट को पूरा करने में सिविल और मैकेनिकल इंजीनियर्स की जिम्मेदारी होती है। ऐसे में इंजीनियर्स की कमी होने का खासा असर प्रोजेक्ट पर पड़ता था। सुपरविजन, मॉनीटरिंग समेत अन्य टेक्निकल वर्क करने में टाइम ज्यादा लगता था। काम भी आधा हो पाता था। ऊपर से शासन के प्रोजेक्ट को जल्दी पूरा करने के दबाव से कई बार तकनीकी कार्यो में गड़बड़ी भी सामने आती थी। वाराणसी यूनिट के प्रोजेक्ट मैनेजर संतराज ने बताया कि इस इकाई में छह की जगह चार असिस्टेंट इंजीनियर और आठ की जगह चार जेई तैनात हैं। इससे काम करने में दिक्कतें आती हैं।

दो यूनिटें करती हैं काम

शहर में फ्लाइओवर, पुल व आरओबी बनाने का काम राज्य सेतु निगम की वाराणसी और गाजीपुर इकाई के जिम्मे था। दोनों यूनिटों की क्षमता अन्य इकाइयों से ज्यादा है। वाराणसी के आसपास के कई डिस्ट्रिक्टस में भी दोनों इकाइयों ने ही पुल, आरओबी व फ्लाइओवर बनाए हैं। चौकाघाट-लहरतारा फ्लाइओवर निर्माण और विस्तारीकरण की जिम्मेदारी गाजीपुर यूनिट की है.

आउटसोर्सिग से चल रहे काम

राज्य सेतु निगम में स्टाफ की कमी के बाबत अफसरों ने कई बार शासन को जानकारी दी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। अफसरों का कहना है कि शासन से सिविल और मैकेनिकल इंजीनियर्स की भर्ती न होने से ऐसी स्थिति आई है। प्रदेश भर में कॉरपोरेशन में 50 फीसदी पद खाली पड़े हैं। सेतु निगम में चपरासी, चौकीदार, रनर समेत अन्य चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का भी टोटा है। जिससे कई बार ऑफिस के तमाम जरूरी कार्य रुक जाते हैं। विभागीय कार्य को समय पर पूरा करने के लिए अफसरों को आउटसोर्सिग और ठेके पर वर्कर रखने पड़ते हैं।

एक नजर

- 1 प्रोजेक्ट मैनेजर की मॉनीटरिंग

- 2 एई कर रहे थे सुपरविजन

- 2 जेई के हवाले था प्रोजेक्ट

- 10 टेक्निकल स्टाफ लगे थे

- 10 ड्राइवर लगाए थे काम में

- 200 मजदूर लगे थे

- 1784.43 मीटर लम्बा फ्लाइओवर

- 84 पिलर बनने हैं फ्लाइओवर के

सेतु निगम में इंजीनियर्स की कमी है। इससे प्रोजेक्ट पर असर पड़ता है। स्टाफ की कमी दूर करने के लिए शासन को डिमांड भेजी गई है।

एके श्रीवास्तव, चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर, राज्य सेतु निगम

Posted By: Inextlive