सुप्रीम कोर्ट: '1993 के बाद से सभी कोल ब्लॉक आवंटन गैरकानूनी'
आवंटन की प्रकिया में नहीं पारदर्शिता
SC ने अपने फैसले में कहा कि आवंटन की प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई और नियमों को ताक पर रखा गया. हालांकि इस दौरान हुये 218 आवंटनों को रद्द करने को लेकर अभी कोई आदेश नहीं दिया गया है. चीफ जस्टिस आर.एस.लोढ़ा की बेंच ने मामले में सुलवाई करते हुये सोमवार को कहा,'1993 के बाद से कोल ब्लॉक आवंटन के दौरान जरूरी पारदर्शिता नहीं बरती गई. दिशा-निर्देशों का उल्लंधन किया गया और सभी आवंटनों को गैरकानूनी ढंग से अंजाम दिया गया'. कोर्ट ने कहा कि सभी आवंटनों में मनमानी की गई.
1 सितंबर को अगली सुनवाई
SC ने अपने फैसले में आवंटन को गैर कानूनी तो बताया है, लेकिन आवंटन रद्द करने को लेकर कोई डिसीजन नहीं लिया है. कोर्ट ने कहा कि सभी 218 आवंटनों को रद्द किया जाये या नहीं इस पर निर्णय से पहले सुनवाई और विचार की जरूरत है. बताया जाता है कि सभी आवंटन को रद्द करने का फैसला 1 सितंबर को अगली सुनवाई के दौरान लिया जायेगा. गौरतलब है कि SC की बेंच 194 कोल ब्लॉक आवंटन में अनियमितता की सुनवाई कर रही थी. ये कोल ब्लॉक झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, वेस्ट बंगाल, ओडिशा और मध्य प्रदेश में निजी कंपनियों और पार्टियों को 2004 से 2011 के बीच आवंटित किये गये थे. सुनवाई कर रही पीठ में जस्टिस एमबी लोकुर और कुरियन जोसफ CBI द्वारा इस घोटाले की जांच की मॉनिटरिंग कर रहे हैं.