-सुरगंगा संगीत महोत्सव की 42वीं शाम सिंध और पंजाब की लोक संस्कृति से रही सराबोर

-भांगड़ा और गिद्दा पर जमकर झूमे दर्शक

VARANASI

सुरगंगा संगीत महोत्सव की ब्ख्वीं निशा सिंध और पंजाब की लोक संस्कृति से सराबोर रही। हेमू कलाणी एवं देवकी नन्दन खत्री को समर्पित इस निशा में एक ओर पंजाब के माटी की सोंधी खुशबू महसूस हुई तो वहीं सिंध के लोकनृत्य लाडा एवं ढोकला के रंग भी देखने को मिले। पंजाब के भांगड़ा और गिद्दा पर कलाकार तो झूमे ही टाउनहाल के मैदान में दर्शक भी खूब थिरके। यूनेस्को की ओर से संचालित क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क, नगर निगम व सामाजिक संस्था पहल की ओर से आयोजित सुर गंगा महोत्सव में सोमवार को पहली प्रस्तुति सिंधी इष्टदेव झूलेलाल की चरण वंदना गीत पर नृत्य से हुई। गीत 'मुंझी बेड़ी अथयी विच सीर थे' पर सिंध के लोकनृत्य लाडा एवं ढोकला की समन्वयी प्रस्तुति देखने को मिली। कलाकार डिम्पल हरचानी ने 'एक सोन जो रूपियों' पर कव्वाली नृत्य प्रस्तुत किया तो हर ओर से तालियां बजने लगीं। 'दहेज बंद करी' गीत के बोल पर बेटी बचाओ के नृत्य नाटिका की भावपूर्ण प्रस्तुति भी खूब पसंद की गई। 'दमा दम मस्त कलन्दर' भी नृत्य प्रस्तुत किया।

गूंजे पंजाबी गीत

इंडियन आइडल एकेडमी के कलाकारों ने 'पंजाब दा गिद्दा ते भांगडा' पर जमकर धमाल मचाया। वहीं शिवानी पाण्डेय ने 'गल बन गयी बन गयी' पर ठुमका लगाया। पंजाबी गानों की भी एक से एक लुभावनी प्रस्तुति हुई। चीफ गेस्ट एडीएम सिटी जितेन्द्र मोहन सिंह व एसपी सिटी दिनेश कुमार सिंह रहे। समारोह में पंजाबी समाज के अजीत सिंह बग्गा एवं सिन्धी समाज के मान सिंह हरचानी आदि रहे। संचालन जगदीश्वरी चौबे, अपूर्वा श्रीवास्तव, नेहा गुप्ता, उत्कर्ष सहस्त्रबुद्धे, ओजस्वी शर्मा व शिल्पी सेठ ने किया।

Posted By: Inextlive