-साल में दो करोड़ रुपये के ऊपर कैश पेमेंट पर लग रहा दो परसेंट टैक्स

-टैक्स में संशोधन की आस लगाए हैं व्यापारी

बरेली: जीएसटी के साथ अब टीडीएस से कारोबारियों की टेंशन बढ़ गई है। वजह सरकार ने दो करोड़ रुपये के ऊपर कैश पेमेंट पर दो परसेंट का टीडीएस लगाना शुरू कर दिया है। इससे खासकर गल्ला व्यापारी परेशान हैं। क्योंकि वे किसानों के सामान खरीदने के बाद उन्हें कैश में ही पेमेंट कर रहे हैं। इससे कैश फ्लो बढ़ जा रहा है और पहले से जीएसटी से परेशान कारोबारियों को टीडीएस भी भरना पड़ेगा। हालांकि टीडीएस में कारोबारी संशोधन की आस लगाए हैं। जिसकी कवायद भी चल रही है।

कैश पेमेंट लेते हैं काश्तकार

गल्ला व्यापारियों से काश्तकार अपने सामानों की कीमत कैश में ही लेना पसंद करते हैं। औसतन 10-15 लाख रुपये तक तो बड़े कारोबारी एक दिन में कैश पेमेंट कर देते हैं। ऐसे में उनका कैश पेमेंट का आंकड़ा करीब 5 करोड़ रुपए तक पहुंच जाता है, जिससे उनके समक्ष दिक्कत आ खड़ी हो जा रही है।

क्रेडिट लिमिट से बढ़ी दिक्कत

कैश फ्लो दिखाने के चक्कर में कारोबारियों के सामने मुश्किलें खड़ी हो जा रही है, क्योंकि सभी बड़े कारोबारियों ने बैंकों से कैश क्रेडिट लिमिट बनवा रखा है, जिसके आधार पर उनके व्यापार पर भी इनकम टैक्स की नजर होती है। कारण अक्सर देखा जाता है कि कारोबारी 25 लाख की लिमिट फिक्स कराते हैं, जबकि दस लाख ही रुपये लेते हैं। इसके एवज में 3 परसेंट का चार्ज कारोबारियों को देना होता है। इसके चलते एनुअली जीएसटी ऑडिट के दौरान इन्हें परेशानियां उठानी पड़ती हैं।

कारोबार पर पड़ रहा असर

एक कारोबारी को सालभर में 26 बार रिटर्न फाइल करना होता है, जबकि टीडीएस लगने पर इन्हीं कारोबारियों को 12 बार और रिटर्न फाइल करना पड़ता है। अधिकांश बड़े कारोबारियों ने अपने प्रतिष्ठानों पर ऑपरेटर की व्यवस्था की है जो उनके कैश काउंटर के साथ-साथ रिटर्न के इनपुट भी तैयार करते हैं। ऐसे में इस समय इन आपरेटर्स के सामने सर्वर के स्लो होने की दिक्कत है। इससे ऑडिट फाइल कराने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि वे सीए को इनपुट नहीं दे पा रहे हैं।

सरकार ने जीएसटी लगाते समय कहा था कि एक राष्ट्र एक टैक्स होगा, लेकिन टीडीएस के नाम पर अलग टैक्स लगाकर व्यापारियों के साथ अन्याय किया है।

-अवधेश अग्रवाल महामंत्री, मंडी व्यापार समिति

दो तरह से टैक्स लगाने के कारण कारोबार पर विपरीत असर पड़ रहा है। सरकार को टीडीएस को जीएसटी में ही जोड़ देना चाहिए।

-कैलाश मित्तल

जीएसटी के कारण कारोबारी पहले ही परेशान था अब टीडीएस लगने से दिक्कत और बढ़ गई है। यही चलता रहा तो व्यापार करना मुश्किल हो जाएगा। इसका विरोध किया जा रहा है।

-गुलशन सब्बरवाल, अध्यक्ष बरेली किराना कमेटी

किराने के ज्यादातर सामान बाहर से आते हैं। ऐसे में मंडी शुल्क लगाना गलत है। सरकार को एक राष्ट्र एक टैक्स लगाना होगा। अलग-अलग टैक्स लगाकर व्यापारियों को परेशान किया जा रहा है।

-त्रिलोकी नाथ गुप्ता, महामंत्री बरेली किराना कमेटी

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सरकार को पोस्ट कार्ड भेजेंगे व्यापारी

उत्तर प्रदेश व्यापार मंडल की अगुवाई में व्यापारी सरकार को पोस्ट कार्ड भेजकर समस्या बताने के साथ ही उनके समाधान की मांग करेंगे। एक अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक बरेली, बहेड़ी, ऑवला और नबावगंज मंडी में व्यापारियों से पोस्ट कार्ड भरवाए जाएंगे। इसके बाद इन सभी मंडियों से एक-एक हजार पोस्ट कार्ड को पीएम और सीएम को भेजा जाएगा। इसके बाद तीन सूत्रीय मांगों को लेकर डीएम को पत्र 30 अक्टूबर को सौंपा जाएगा। मांग पूरी न होने पर दिसंबर से लखनऊ में धरना दिया जाएगा।

पोस्ट कार्ड की जाएगी यह मांग

-दो करोड़ से अधिक कैश पेमेंट करने पर लग रहा दो परसेंट टीडीएस खत्म किया जाए।

- बढ़ाई गई बिजली दर को वापस लिया जाए।

-2.5 लगाए जा रहे मंडी शुल्क को खत्म किया जाए।

-खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम में संशोधन किया जाए।

एक दिन पहले लखनऊ में मीटिंग हुई। जीएसटी आडिट में आ रही दिक्कत, एक से अधिक टैक्स और बढ़ी बिजली बिल आदि को लेकर जनपद स्तर पर आंदोलन करने की रणनीति तय की गई। एक से 30 अक्टूबर तक बरेली के चार हजार व्यापारी पोस्ट कार्ड पर अपनी समस्या और मांग को लिखकर पीएम और सीएम को भेजेंगे।

-राजेंद्र गुप्ता, प्रांतीय महामंत्री, उत्तर प्रदेश व्यापार मंडल

Posted By: Inextlive