पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश में अब महिलाएं ए‍डमिनिस्‍ट्रेशन के लिए नई चुनौती बनकर सामने आ गई हैं. उन्‍होंने चूल्‍हा-चौका छोड़कर हाथों में लाठियां उठा ली हैं. पढि़ए एक रिपोर्ट कि आखिर ऐसा क्‍यों हुआ...


प्रशासन के लिए नई चुनौती ग्रामीण महिलाएंचूल्हा-चौका छोड़ कर लाठी-डंडे और फरसे लिए चौपालों पर पंचायत कर रहीं ग्रामीण महिलाएं पश्चिम उत्तर प्रदेश में प्रशासन की नई चुनौती हैं. सुलगते मेरठ और मुजफ्फनगर में हिंसा की वापसी का ताजा दौर खेड़ा गांव में महिला पंचायत से हुआ है, जहां गुस्साई महिलाएं पुलिस से भिड़ गईं. दंगा प्रभावित मुजफ्फरनगर व शामली के गांवों में आए दिन महिला पंचायतें हो रही हैं. गुस्से की वजह सांप्रदायिक बदले की भावना कम पुलिस का उत्पीडऩ अधिक है. पुरुषों की फर्जी नामजदगी को लेकर विरोध में गुस्सा बहुत गहरा है. इससे पहले अस्सी के दशक में किसान आंदोलन में ही महिलाएं इस तरह खुल कर पंचायतें करतीं और सड़क पर उतरतीं दिखी थीं. करीब आधा दर्जन महिला पंचायतें व आंदोलन


पिछले पांच दिनों में मुजफ्फरनगर में ही कुटबा, शामली, फुगाना, खतौली, सिसौली, मुंडभर हड़ौली सिम्भालका, बुढ़ाना, जानसठ, सठेड़ी में करीब आधा दर्जन महिला पंचायतें व आंदोलन हुए हैं. कमान बुजुर्ग महिलाओं के हाथ में है. गांवों में सूचना देने और महिलाओं को लाने ले जाने का काम बच्चे करते है. महिला पंचायतों पर दल विशेष या नेताओं का निंयत्रण नहीं है बल्कि महिलाओं का जुटान अपने आप शुरू हुआ है. गांव सौरम की 62 वर्षीया प्रेमवती का कहना है कि घरों से बाहर निकलकर एकजुटता दिखना मजबूरी है. किसान आंदोलन में शामिल रही महिला नेता सोहनवीरी का कहना है कि खेतों में नुकसान बढ़ रहा है, पशु भूखे मर रहे हैं. मर्द मुसीबत में हैं तो महिलाओं को मजबूरन बाहर कदम निकालना पड़ रहा है. अब 84 गांवों की महापंचायत का एलानमुजफ्फरनगर दंगों के मामले में एक पक्षीय और फर्जी नामजदगी से खफा कुटबा की महिलाओं ने पंचायत कर एलान किया है कि यदि दो अक्टूबर तक नामजदगी वापस नहीं हुई तो वह 10 अक्टूबर को 84 गांवों की महापंचायत करेंगी. सैकड़ों महिलाओं ने उत्तर प्रदेश सरकार की एकपक्षीय कार्रवाई और फर्जी नामजदगी के विरोध में लाठी-डंडे, फरसे आदि लेकर प्रदर्शन किया. बामनौली गांव में आमरण अनशनमुजफ्फरनगर दंगों के बाद बड़ौत क्षेत्र के बामनौली और वाजिदपुर गांव में हुई हिंसा में गांव के कुछ युवकों पर फर्जी नामजदगी के खिलाफ रविवार को ग्रामीणों ने आमरण अनशन शुरू किया. एक तरफा कार्रवाई करने पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, मुलायम सिंह और आजम खां मुर्दाबाद के नारे लगाए. महिलाओं ने लगाया दुष्कर्म का आरोप

जिले में हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान तीन महिलाओं ने सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाकर सनसनी फैला दी है. पुलिस ने तीन अलग-अलग मुकदमे दर्ज कर महिलाओं को मेडिकल परीक्षण के लिए भेजा है. फुगाना के राहत शिविर में रह रही तीन महिलाओं ने बताया कि आठ सितंबर को उनके गांव में उपद्रवी घर में घुस और आग लगा दी गई. एक महिला ने आरोप लगाया कि इस दौरान चार युवकों ने उससे दुष्कर्म भी किया था. दूसरी महिला ने भी पांच लोगों के द्वारा सामूहिक दुष्कर्म और घर में आग लगाने की बात कही है. एक और अन्य महिला ने चार लोगों को नामजद करते हुए घर जलाने और सामूहिक दुष्कर्म की तहरीर दी.

Posted By: Satyendra Kumar Singh