वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत में बाघों की संख्‍या में 30 परसेंट बढ़ोत्तरी देखी जा रही है. इस बढ़त के बाद बाघों को बचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों को सफल माना जा स‍कता है.


बढ़ गई बाघों की आबादीइंडिया में बाघों की संख्या कम होने के चिंतित कर देने वाले आंकड़ों से उबरते हुए अब नई गणना में बाघों की संख्या बढ़कर बढ़कर 2226 हो गई है. यह संख्या बीते चार वर्ष के मुकाबले 30 प्रतिशत अधिक है. गौरतलब है कि वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को एक रिपोर्ट जारी की है. 'ऑल इंडिया टाइगर एक्सपीडिशन 2014' रिपोर्ट के मुताबिक पिछली बार जब 2010 में बाघों की गिनती की गई थी तो उनकी संख्या महज 1706 ही थी. लेकिन इस बार की गई बाघ गणना में बाघों की संख्या 2226 है. हाइटेक तरीके से हुआ सर्वेक्षण
बाघ गणना-2010 को विश्व का अब तक का सबसे व्यापक और अत्याधुनिक-वैज्ञानिक तरीके से हुआ आकलन करार देते हुए जावड़ेकर ने कहा कि बाघ संरक्षण के क्षेत्र में बीते चार वर्ष में देश भर में अच्छा काम हुआ है. इसी के नतीजतन अब देश में बाघों की औसत संख्या 2226 है. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2006 में बाघों की संख्या गिरकर 1411 रह गई थी. इस चिंतित करने वाली संख्या के सामने आने के बाद देश भर में सेव टाइगर मिशन चलाए गए थे. इसके साथ ही बाघ संरक्षण कार्यक्रमों को प्रमोट किया गया था. उत्तराखंड में हुई उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी


ताजा गणना के अनुसार देश में अब 1,945 से 2,491 के बीच बाघ हैं. इसका औसत अनुमानित आंकड़ा 2226 लिया गया है. बाघों की पिछली गणना वर्ष 2010 में हुई थी. उस समय देश में 1,706 (1520-1909) बाघ थे. इसके साथ ही उत्तराखंड, तमिलनाड़ु, मध्यप्रदेश, केरल और कर्नाटक में बाघों की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. इसके अलावा बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उड़ीसा, मिजोरम, पश्चिम बंगाल-उत्तर बंगाल और केरल में बाघों की संख्या स्थिर है.

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Posted By: Prabha Punj Mishra